Category: यूरोप

यूरोप

टॉलस्टाय का जहां हृदय परिवर्तन हुआ -(यात्रा संस्मरण)

टॉलस्टाय का जहां हृदय परिवर्तन हुआ – डॉ. सच्चिदानंद जोशी लियो टॉलस्टाय को वैश्विक धरातल पर सार्वकालिक महान साहित्यकारों की सूची में आदर का स्थान है। उनके जीवन और उनके…

घाट – (कविता)

– डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन घाट चल रहा हूंनित्य मैं कांवर उठाएढो रहा हूंनित्य प्यासे अंध तापसजनक-जननी काल एवं कामना कोसामने लहरा रहा तालाबजिसमें तृप्त होने को छलकती लालसाएंऔर पक्का…

अलविदा दिल्ली, तुम्हारा आसमां – (कविता)

– डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन अलविदा दिल्ली, तुम्हारा आसमां अलविदा दमघोंट जहरीला धुंआअलविदा फैशन भरी तन्हाइयांअलविदा मतलब भरी रुसवाइयांअलविदा मेले नुमाइश शोरगुलअलविदा बेकार के जल्से बिगुलअलविदा दिल्ली की जिंदा महफिलेंअलविदा…

लंदन के फुटपाथ-शायी – (कविता)

डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन लंदन के फुटपाथ-शायी शंख औंधे जा पड़े इस-उस किनारेलहर के छोड़े हुए सूने पिटारे भूख कुतिया-सी न छोड़े साथ इनकाचुन रहे पत्तल फिंकी से नमकपारे राज…

लंदनी धूप – (कविता)

डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन लंदनी धूप यहां धूप मिलती पहनकर लबादाहर दिन बदल जाए उसका इरादाकभी बनके निकले फटेहाल दुखियाकभी बाप ज्यों उसका हो रायजादादबे पांव घुस-घुसके देखे घरों मेंपरदों…

धुंध का बुर्का पहनकर आई बरतानी सुबह – (कविता)

डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन धुंध का बुर्का पहनकर आई बरतानी सुबह धुंध का बुर्का पहनकर आई बरतानी सुबहपेड़ पर पंछी सरीखी झाड़ती पानी सुबहबहुत रोका और सोने दो नहीं मानी…

गौतम सचदेव – (परिचय)

डॉ. गौतम सचदेव डा. गौतम सचदेव जी का जन्म 8 जून 1939 को मंडी वारबर्टन (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय से आपने एम.ए. तथा पी.एच.डी. किया। डा. गौतम सचदेव…

मुझे फिर से लुभाया – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन मुझे फिर से लुभाया खुले हुए आसमान के छोटे से टुकड़े नेमुझे फिर से लुभाया।अरे! मेरे इस कातर भूले हुए मन कोमोहने,कोई और नहीं आया।उसी खुले…

वक्त – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन वक्त यह कैसा वक्त हैकि किसी को कड़ी बात कहोतो वह बुरा नहीं मानता। जैसे घृणा और प्यार के जो नियम हैंउन्हें कोई नहीं जानता खूब…

देश मेरा – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन देश मेरा देश मेरा हो गया हैसमृद्ध और वैभवशालीदैनिक जरूरतों में शामिल हैफ्रिज, टेलिविजन और मोटरगाड़ी एक दौड़ जिसे निबटा लिया हैबहुतों नेबाकी बस पहुंचने वाले…

लिखना-दिखना – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन लिखना-दिखना जो लिखता था,वैसा ही तो मैं दिखता था। अभी पुरानी नहीं हुई यह बातधूप धूप थीरंग रंग थेसही नाम हर एक चीज काफूल अगर कागज…

कंगाली – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन कंगाली शब्द पहले ही कम थेऔर मुश्किल से मिलते थेदुख-सुख की बात करने कोअब जैसेएक कंगाली सी छा गई है क्या इशारों में हम करें बातेंसर…

हर ओर जिधर देखो – (कविता)

– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन हर ओर जिधर देखो हर ओर जिधर देखोरोशनी दिखाई देती हैअनगिन रूपों रंगों वालीमैं किसको अपना ध्रुव मानूंकिससे अपना पथ पहचानूं अंधियारे में तो एक किरन…

कीर्ति चौधरी – (परिचय)

कीर्ति चौधरी कीर्ति चौधरी जी का जन्म सन् 1934 में नईमपुर, उन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनकी मां श्रीमती सुमित्रा कुमारी सिन्हा हिन्दी की प्रमुख कवयित्री थीं। अतः उनका…

उनकी खामोशी बोलती है – (कविता)

– ऋतु शर्मा ननंन पाँडे, नीदरलैंड उनकी खामोशी बोलती है (द्वितीय विश्वयुद्ध के यहूदी पीड़ितों के लिए) ⸻ छोटे-छोटे जूते लाइन में रखे थे,मासूम आँखों में डर चिपका था,नाम, धर्म,…

भारतीय संस्कृति की पैरोकार, जिंदादिल, सुलझी हुई बड़ी बहन जय वर्मा –  (संस्मरण)

भारतीय संस्कृति की पैरोकार, जिंदादिल, सुलझी हुई बड़ी बहन जय वर्मा डॉ. संदीप अवस्थी, राजस्थान, भारत “डॉक्टर साहब ने ही मेरी रचनाधर्मिता को नए आयाम दिए। वह (डॉक्टर महिपाल जी,…

ब्रिटेन के प्रवासी हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत – (संस्मरण)

ब्रिटेन के प्रवासी हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत –तरुण कुमार ब्रिटेन में हिंदी भाषा की समर्पित सेविका और साहित्य की प्रतिष्ठित रचनाकार जय वर्मा का 22 अप्रैल…

गंध – स्पर्श – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** गंध – स्पर्श यह फूलअपनी सुगंध कोकुछ देर पहले तकपत्तियों में बांधे हुए था स्निग्ध हवा का एक झोंका आयाअब पत्तियां झर रही हैंऔर खुशबू…

यह शहर : लन्दन – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** यह शहर : लन्दन यह शहर उग रहा अब सेवार सा चारों तरफइस शहर की भीड़ में हर जन कहीं भटका हुआस्वप्न की इन फाइलों…

धुंए भरे कमरे में – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** धुंए भरे कमरे में उस धुंए भरे कमरे मेंबहुत लोग नहीं थेलेकिन जो थेवे अपनी उपस्थिति के प्रतिनिरंतर चौकन्ने थेउनकी आंखों में जो परेशानी थीवह…

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