महाकुंभ 2025 : आस्था को सहेजने के लिए मुझे सौ आंखें और चाहिए – (आलेख)
महाकुंभ 2025 : आस्था को सहेजने के लिए मुझे सौ आंखें और चाहिए – रामा तक्षक मेरा बहुत समय से भारतीय ज्ञान परम्परा और महाकुंभ के बारे में लिखने का…
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महाकुंभ 2025 : आस्था को सहेजने के लिए मुझे सौ आंखें और चाहिए – रामा तक्षक मेरा बहुत समय से भारतीय ज्ञान परम्परा और महाकुंभ के बारे में लिखने का…
नई कहानी नानी सुनाओ कोई नई कहानीराजा रानी की कहानीहो गई बहुत पुरानीनई सोच और मन बहलाने वाली जादूगर और भूतों सेलगता डर अब हमको नहींहमको पता है अबयह रहते…
जिन गलियों मेंखेल-कूद करबचपन बिताया जिन खाली जगहों परगिल्ली डंडा और क्रिकेटखेलकरछुट्टियों के दिन काटे जिन रास्तों परचल करस्कूल आया गया जिन चौराहों सेनिकलकरसायकल चलाना सीखा पहचान नहीं पायावो गलीऔर…
रोज मर्रा केकाम काजनिपटाते-निपटातेजिन्दगी केहंसी लम्हेनिपट रहे हैं सुविधाओं सेलिपटने की होड़ मेंअकेलापन औरअवसादलिपट रहे हैं जिन्दगी तोभाग रही हैबेतहाशालेकिनदिल के अरमानघिसट रहे हैं छूने की चाहत मेंचाँद सितारेपीछे छोड़…
वो माँ!जिसने जनम दिया-मुझेऔर आपको, वो माँ!जो देवों से भी-बढ़कर है, वो माँ!जिसे हमस्वर्ग से भीमहान कहते हैं, वो माँ!जिसकाप्रेम और त्याग-अतुलनीय है, वो माँभी तो हमारीमाँ होने से पहले,किसी…
कहाँ चले जा रहे हैं, कहीं तो जा रहे हैं, नहीं है ख़बरक्या चाहते हैं, पता नहीं, कुछ न कुछ तो मिलेगा मगर ऐसी ही उहा-पोह में जूझता बढ़ा जा…
मौन की सीमाएँ लाँघकरघबराहट को पीछे बाँधकरभावों की उलझन समेटकरउमड़ती हुई हसरतें लपेटकरमुझे तुमसे कुछ कहना थामहफ़िलों में भी तन्हा रहता हूँख़ामोश सा सब कुछ सहता हूँतारे गिन-गिन हमने रात…
ग्वालियर के मूल निवासी श्री विश्वास दुबे , पिछले एक दशक से भी ज़्यादा समय से यूरोप के विभिन्न देशों में रहे हैं। पिछले 8 वर्षों से वे नीदरलैंड्स में…
बीते ऐसे दिन बीते ऐसे दिन बहुतेरे।बीते दिन बीती रातों में,सुधियों के बढ़ते से घेरे।बीते ऐसे दिन बहुतेरे॥ बचपन के सुन्दर सपनों मेंछिपा हुआ सुखमय संसार।सहजप्राप्य अभिलाषाओं मेंभरा हुआ सुख-चैन…
डच कवि : हेर्ड्रिक मार्समैन अनुवाद : ऋतु शर्मा ननंन पांडे Trecht na uw vijftigste jaar Langzaam te leren,dat het goed isAls de bladeren vallenDe sterken worden danToch nog niet…
हेर्ड्रिक मार्समैन हेर्ड्रिक मार्समैन 20 वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध डच कवियों में से एक हैं उनकी कविताएँ डच साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखतीं हैं। इनका जन्म 30 सितंबर…
परछाइयाँ नापती पसीने से,तर बूंदें, कहीं शरीर पर,अनायास चल पड़़ती धार,सूरज ताप से,भूख के संताप से,तपती देह को,घटती, बढ़ती परछाइयाँ। सुबह उठ,कर, झाड़ साफ, झोंपड़ी,राख सनी रुखी रोटी,मिर्ची की महकलहसुन…
लिंगभेद : समझ प्रमाद है समझ ही का केवल प्रमादलिंगभेद, नहीं है अभेद,दोनों की शक्ति मिल,बनता जीवन अभिषेक। प्रसव पीड़ा की सुन किलकारी,एक ही जिज्ञासा, मन की भारी,लिंग की है…
रामा तक्षक रामा तक्षक जन्म : सन् 1962 में, जाट बहरोड़, जिला अलवर, राजस्थान । शिक्षा : स्नातकोत्तर हिन्दी साहित्य एवम् अँग्रेजी साहित्य राजस्थान, विश्वविद्यालय जयपुर। डॉक्टरेट इन हर्बल मेडिसिन…
समग्र सोच अक्षरों में शब्दों को,वाक्यों में पदों को;ऊंचाइयों में कदों को,पाबंदियों में हदों को,देखने के लिए समग्र सोच चाहिए। पेड़ों में वन को,अंगों में तन को;विचारों में मन को,चाँद-तारों…
लाला रूख़ लाला रूख़ में बैठ भारत सेजब विदा हो गये तुमन समझना कभी किएक दूसरे से जुदा हो गये हम एक ही माँ की दो संतानें हैं हमएक ही…
खोया शहर सालो बाद अपने शहर आई हूँ,बहुत से सपने और उम्मीदेंसमेट मन में भर कर लाई हूँढूँढ रही हूँ वो आँगनजहाँ खेलते बीता मेरा बचपन खोज रही हूँ माँ…
गुड़िया तुम्हारी बाबा मैं पली भले ही माँ की कोख मेंपर बढ़ी हर पल आपकी सोच मेंआप ही मेरा पहला प्यारआप ही मेरा छोटा-सा संसारआपकी ही अंगुली पकड़ करपहला कदम…
बस्ता हर एक स्त्री की पीठपर एक बस्ता हैजिसमें छिपे हैंउसके दुख-दर्दऔर चिंताएँकभी कभीन चाहते हुए भीदर्द को न दिखाते हुए भी,सब छिपाते हुए भीहर एक स्त्री कोये ढोना पड़ता…
तुम हंसती बहुत हो तुम हंसती बहुत हो,क्या अपनी उदासी कोइसके पीछे छिपाती हो?ये जो गहरा काजलतुमने आँखों में है लगायाकितने ही आंसुओं कोइनमें है छिपाया? खुद को मशरूफ रखनेका…