Category: प्रवासी कविता

पेड़ लगाना यज्ञ है – (कविता)

– मृणाल शर्मा, ऑस्ट्रेलिया पेड़ लगाना यज्ञ है जब यौवन सो चुका युद्ध की बेला,और मांग रहा रण अपनी आहुतिउस समय बिन विचारे घर-घर वीर जगाना यज्ञ है जब धरा…

चिड़ियों को दाना – (कविता)

– मृणाल शर्मा चिड़ियों को दाना मै चिड़ियों को दाना,पीने को पानी क्यों दूँ ?यह जबरन झरोखों से,भीतर घुस आती हैअलमारियों के पीछेपंखे के ऊपर घोंसले बनाती हैटूटते परिवारों के…

कब तक ? – (कविता)

– अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया कब तक ? कल तक आँख में चुभन थीआज देखता हूँ यहाँ नज़ारा ही बदला है सोचता हूँप्रकृति ने दोनों आँखें आगे लगायी हैं ताकि कदम…

संस्कार – (कविता)

– अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया संस्कार जड़ ने कहा तने सेछाया विस्तार ले, अपरिमित प्यार देइसलिए तने रहो, बने रहो तना बोला डाली सेफैलो पर याद रहे, किस वृक्ष की तुम…

बंजारा मन – (कविता)

– अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया बंजारा मन बंजर तनबंजारा मनकहाँ कहाँ न हारा मनजहाँ कहीं भी चोट लगीवहीं गया दोबारा मन ख़्वाबों के तिनके चुन चुनयादों के धागों से बुननीड़ बनाया…

स्वीकृति – (कविता)

अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया स्वीकृति स्वीकृतिहमारे स्व की आकृति हैजो हमारी खुशियों का, कल्पना का,हृदय का विस्तार हैहमें स्वीकार है एक खुशबू है हवा मेंप्रेरणा है गति मेंअच्छा-सा लगता हैतुम्हारी उपस्थिति…

कहो तो – (कविता)

– अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया कहो तो कहो, तुम्हारा परिचय क्या है ? सृष्टि-द्वार पर दिवा-रात्रि काउषा-निशा ले आना जानाबदली में छिप कर बिजली काआवेशित संगीत सुनाना संसृति रंगमंच पर प्रतिपलअभिमंत्रित…

अलग-अलग – (कविता)

– अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया अलग-अलग कुछ शब्द पड़े थे कोने में स्वर देकर तुमने समझायाअन्तर होने, न होने में जैसे ठंढी की रातों मेंकुछ जागे-जागे, कुछ विस्मृतसपनों पर कोई छलका…

खामोशी – (कविता)

–अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया खामोशी हद से ज्यादा बढ़ी है खामोशीअर्चियों की लड़ी है खामोशी ऐसा क्या खो गया है मेले मेंबुत-सी गुमसुम खड़ी है खामोशी हुए हम कैद ख़ुद की…

नाम – (कविता)

–अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया नाम नाम शब्द सेशब्द अक्षर सेअक्षर ध्वनि सेध्वनि कम्पन से कम्पन स्वयं-निनादित भव सेभव सम्भव हो सका भाव सेया सब लीला के प्रभाव से ? इस प्रभाव…

सिंदूर – (कविता)

गोवर्धनसिंह फ़ौदार ‘सच्चिदानन्द’, मॉरीशस सिंदूर जान हथेली ले उतरे हैं, अपने सारे वीर।बदला ये सिंदूर का आज, ले पोंछेंगे नीर।। पानी सिर से हुआ है उपर,खैर नहीं इस बार।कुचलने फ़न…

चाय नहीं तो चाह नहीं – (कविता)

डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया चाय नहीं तो चाह नहीं मेरा घरोंदा… और मेरी चाय,कितना मदहोश नशा है ये।चलो फिर,उगते और डूबते सूरज के साथचाय पीते हैं।रिमझिम बारिश,और तेरा मादक…

बेशुमार दर्द – (कविता)

डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया बेशुमार दर्द खंडहर के सन्नाटे… कुछ बोल रहे हैं,जुगनू बनकर रिश्ते… छलक रहे हैं।गूँजती थी जो बांसुरी,उसी राग को अब मन खोज रहा है,रीते-रीते कमरे…मौन…

महिला दिवस – (कविता)

डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया महिला दिवस फिर आया महिला दिवस,फिर मचा शोर — नारी-शक्ति का।फिर सुनाई दी आवाज़ — अस्मिता और सम्मान की,और दोहराई गई कहानी — अत्याचार और…

बाबा की साइकिल की कहानी – (कविता)

डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया बाबा की साइकिल की कहानी बाबा की साइकिल की कहानीबचपन की वो यादें सुहानी,कितनी खूबसूरत सी —बाबा की साइकिल की कहानी।मेरे बाबा की दो चीजें…

मन कहता है – (कविता)

डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया मन कहता है मन कहता है.एक कहानी लिखूँ।ना कोई मोहब्बत की दास्तान,ना ही प्रकृति के रंगों की कहानी।ये है समाज में सड़न की तरह फैली…

वो जो मेरा मोहल्ला था – (कविता)

डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया वो जो मेरा मोहल्ला था वो जो मेरा मोहल्ला था,उसमें मेरा घर — “मनुस्मृति” था।घर का कमरा भले ही छोटा था,मगर खचाखच भरा रहता था…सबके…

संवेदनशील विश्वास – (कविता)

डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया संवेदनशील विश्वास ना जाने कितनी बार पूछा होगा,क्या हाल-चाल हैं आपके?चलो माना कि जब सुनाने लगे हम हाले-दिल,कर चले तुम — सुनकर भी अनसुना।कह देने…

हिसाब – (कविता)

डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया हिसाब चलो करते हैं हिसाब,वो छोटी-छोटी ख़ुशियों का,तुमसे की हुई बातों में लिपटी हुई ज़िंदगी का।ये फ़ासले, ये दूरियाँ,ये बेवजह रूठना,गुज़ार देना वक्त,सिर्फ़ ये तय…

हम फिर मिलेंगे… – (कविता)

डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया हम फिर मिलेंगे… सुनिए ना,कोशिश अब भी करती हूँ,आपका हाथ थामने की,दिल की गहराइयों मेंअब भी बसा है कहीं आपका वजूद।बिस्तर की सिलवटों में ढूंढती…

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