Category: प्रवासी साहित्य

आशीष में जुड़ें हाथ – (संस्मरण)

आशीष में जुड़ें हाथ – शशि पाधा अपने पैंतीस वर्ष के सैनिक जीवन में कितने ही लोगों से मिली हूँ, कितनी छावनियाँ देखी हैं। कुछ ऐसे पल, कुछ ऐसे व्यक्ति…

एक नदी : एक पुल – (संस्मरण)

एक नदी : एक पुल – शशि पाधा एक सैनिक अधिकारी की पत्नी होने के नाते मैंने अपने जीवन के लगभग ३५ वर्ष वीरता, साहस एवं सौहार्द से परिपूर्ण वातावरण…

निर्भीक योद्धा : मेजर मोहित शर्मा, अशोक चक्र, सेना मेडल – (आलेख)

निर्भीक योद्धा : मेजर मोहित शर्मा, अशोक चक्र, सेना मेडल – (आलेख) – शशि पाधा वर्ष 1857 से 1947 तक के इतिहास को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नाम से जाना…

जीवन में सफलता का रहस्य : भावनात्मक बुद्धिमत्ता – (आलेख)

जीवन में सफलता का रहस्य : भावनात्मक बुद्धिमत्ता – शशि पाधा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्राणी सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुँचने की अभिलाषा रखता है और इसके लिये…

भूत और भविष्य के सेतु : बुज़ुर्ग – (आलेख)

भूत और भविष्य के सेतु : बुज़ुर्ग – शशि पाधा घनी शाखाओं वाले विशाल वटवृक्ष की ठण्डी छाँव हर प्राणी को राहत देती है और चिन्ताएँ हर लेती है। जो…

तुम कहो तो मैं लिख दूँ – (कविता)

तुम कहो तो मैं लिख दूँ चूल्हे की रोटी का वो स्वाद,जो माँ के प्यार से रचा था,मोहल्ले की दादी का आशीर्वाद,जहाँ हर गम छुप जाता था।तुम कहो तो मैं…

विदेश में देश – (संस्मरण आलेख)

विदेश में देश – विनीता तिवारी देश से बाहर निकले करीब पच्चीस साल हो गए लेकिन इन पच्चीस वर्षों में से शुरू के लगभग तेरह वर्ष ऐसे थे, जिनमें हर…

कवि और कविता – (कविता)

कवि और कविता——————— हिन्दी के कवि और कविता कीदेखो कितनी लाचारी है।बिना मानदेय छप-छप कर भीसंपादक का आभारी है। कोविड ने जब से दिखलाईराह नई अंतर्जालों कीज़ूम बराबर ज़ूम हो…

नया साल : नया गीत – (कविता)

नया साल : नया गीत———————— नये साल में गीत लिखेंकुछ नये भाव के ऐसेहर शाखा पर पत्र-पुष्प नवऋतु बसंत में जैसे ख़ुशियाँ हों हर घर आँगन मेंप्रेम प्यार हो मन…

पहुँच गए अमरीका – (कविता)

पहुँच गए अमरीका———————— बाँध गठरिया घर से निकलेपहुँच गए अमरीकानए देश के नए शहर मेंलगता था सब फीका धीरे-धीरे समय गुजरतादिखती थी चहुँओर विषमतासात समुंदर पार करे नहींकोई रोली टीका…

विनीता तिवारी की ग़ज़लें – (ग़ज़ल)

ग़ज़ल- 1. न तुम अच्छे, न मैं अच्छी, ग़लतफ़हमी में मत रहना,हुई ये बात अब नक्की, ग़लतफ़हमी में मत रहना। सितारों पर घुमाने का मुझे सपना दिखाते हो,बहुत भोले हो…

काश मैं अंग्रेजी होती – (कविता)

काश मैं अंग्रेजी होती काश मैं अंग्रेजी होतीमैं इतराती, मैं इठलातीSwag से मैं भी बोली जातीकाश मैं अंग्रेजी होती वक्ताओं का गुरूर होतीश्रोताओं को भी cool लगतीकाश मैं अंग्रेजी होती…

मेरे राम लला – (कविता)

मेरे राम लला एकटक तकतीं शून्य में,बाट जोहती प्रति क्षण,पंथ निहारतीं.. तरसती दरस को,अंखियां मेरी प्रतीक्षा में तेरी,ओ मेरे राम लला। सुध-बुध बिसरा के,सर्वस्व भूला के,राम नाम जपते जपते,सिया राम…

मेरा भारत देश महान – (कविता)

मेरा भारत देश महान गर्व है सौभाग्य है किमिट्टी में तेरी जन्मी ये कायादूर हो कर भी दूर नहींतू मन में जो है समायातू मेरा भारत देश महानमेरा भारत देश…

राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस – (रिपोर्ट)

राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस लो फिर एक बार.. राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस आ गया,लो फिर एक बार.. हम भारतीयों का देश प्रेम जाग गया। देशभक्ति हममें है कितनी, प्यार हमें…

बदलती ऋतु – (कविता)

बदलती ऋतु तुम..जैसे..इंग्लैंड की कड़कड़ाती ठंड में खिली,किरन एक छोटी सी सुनहरी धूप की। तुम..जैसे..पतझड़ के मौसम में वो पत्तियाँ झड़ी,धरती सजी तमाम रंगों की रंगोली सी। तुम..जैसे..ओले और बर्फ़बारी…

सोचा ना था कभी – (कविता)

सोचा ना था कभी सोचा ना था कभी,देस से दूर कहीं बस जाना होगा, करोड़ों की आबादी में भीखुल कर सांस लेने वाले,हमको मुठ्ठी भर लोगों मेंघुटन महसूस करना होगा।…

चाँद को ताकूँ मैं – (कविता)

चाँद को ताकूँ मैं चाँद को ताकूँ मैंसारी सारी रातऔर सोचूँ अक्सरबस एक ही बात।। बाबजूद दाग़ के भीवो क्यों लगेइतना ख़ास हमको,बाबजूद दाग़ के भीखूबसूरती क्यों लगेबेदाग हमको। चाँद…

अभिलाषा – (कविता)

अभिलाषा भिन्न हो चाहे रहन-सहन या फिर हमारी वेश-भूषा,खान-पान में हो भिन्नता या अलग हो हमारी भाषा,हों किसी भी गांव-शहर से.. किसी भी धर्म-जाति के हम,मिलजुल कर सब साथ रहें,…

एक नाटक के पीछे का नाटक – (व्यंग्य)

एक नाटक के पीछे का नाटक -आस्था देव दिन के इस समय जब न सुबह है, न शाम , न दोपहर! घड़ी ने 10:30 बजाये हैं। बावजूद इसके कि मैं…

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