Category: प्रवासी साहित्य

ललक – (कविता)

ललक ज़िंदगी एक दौड़ है-बैसाखी पर चलने की लाचारी नहींन हीं घुटनों के बलचलने का नाम है-जिसे वक़्त अपने डंडों से हाँकता रहेऔर प्रतिस्पर्धादौड़ की चाहत लिएपिछड़ जाए। तेज़ चलना…

एहसान – (कविता)

एहसान ज़िंदगीतुमसे कोई शिक़ायत नहीं !एहसानमंद हूँक्योंकि,कम से कममरने तो नहीं दिया तुमने !जिलाए ही रखा-साँसों में शराब की तरह,आँखों में ख़्वाब की तरह,ज़ख़्मों में नासूर की तरह,दुनिया में दस्तूर…

आयाम – (कविता)

आयाम आधुनिकता की दौड़ मेंसारे आयाम सरेआम बदलते जा रहे हैं-व्यक्ति का चारित्रिक मूल्य,पीढ़ियों का अन्तर्द्वंद्व,जातीयता का समीकरण,प्रांतीय विखंडित व्यवहारया राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय बाज़ारूपन। कौन ज़िम्मेदार है इनका?अतीत का पिछड़ापन,वर्त्तमान की तेज़…

ज़िंदगी का गणित – (कविता)

ज़िंदगी का गणित ज़िंदगी के गणित मेंनियमित लगे रहनाकितना परिणामदायक है-यह कहना, निस्संदेह मुश्किल है।इन ‘पहाड़ों’ का दैनिक जीवन में इस्तेमालतभी वाजिब है जब-दिल को जोड़ सकेदुश्मनी घटा सकेसुख को…

ज़िंदगी के पहलू – (कविता)

ज़िंदगी के पहलू i)ज़िंदगी एक बंद किताब हैजिसे खोलने की कोशिश तब सही हैजब इसके पन्नों को दोनों तरफ़ से पढा जाएमहत्त्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित किया जाएऔर अतीत के अवांछित…

किताब ज़िंदगी की – (कविता)

किताब ज़िंदगी की ज़िंदगी सिर्फ़काग़ज़ों पर जीना नहीं होताउसके लिएव्यावहारिक ज्ञान औररेखांकित प्रयास की ज़रूरत होती है तालीम की ईंटशुरुआती नींव तो दे सकती है;पर समुचित मज़बूत ढाँचाऔर कुशलता की…

आसमान वही छूते हैं – (कविता)

आसमान वही छूते हैं जो तूफ़ानों को चुनौती देते है,सपने उनके ही सच होते है।जो ऊँचाई से नहीं डरते है,वही आसमान को छूते हैं। जो हर पल को नई दिशा…

शायद मैं वही किताब हूँ – (कविता)

शायद मैं वही किताब हूँ गर ज़िन्दगी कोसफ़होँ में बाँट कर रखूँऔर खुद को किताब मान लूँतो शायदमैं वही किताब हूँजिसके पन्ने तुमने कभीधीरे से नहीं पलटेबस बन्द किताब कोअँगुलियों…

खुर्ची हुई लकीरें – (कविता)

खुर्ची हुई लकीरें मेरे नाम को अपनी हथेलियों से मिटाने की कोशिश मेंअनजाने मेंअपनी ही कुछ लकीरों को भी खुरच दिया था उसनेसुर्ख रंग उभर आने परउन हथेलियों को उसी…

जब उसे रात के आसमाँ पर सितारे ना मिले – (कविता)

जब उसे रात के आसमाँ पर सितारे ना मिले जब उसे रात के आसमाँ पर सितारे ना मिलेउसने धूप को पानी पर बिखेर करसितारों को दिन में ही अपने घर…

हथेलियाँ – (कविता)

हथेलियाँ पेड़ की शाख परअपनी कईं हथेलियाँ उगा दी थी मैंनेइसी राह से जाना हुआ था उसकामुझे पहचानने के लिएएक हाथ का इशाराउसके लिए शायद काफी न होबस इसीलिएपेड़ की…

पिता हो तुम – (कविता)

पिता हो तुम गर्मी की दोपहर में जल कर जो साया दे वो दरख़्त होबच्चो की किताबों में जो अपना बचपन ढूंढेवो उस्ताद हो, तुम पिता हो तुमदुनिया से लड़ने…

उफ़ – (कविता)

उफ़ क्या नाम दूँ तुझे ए ज़िंदगीकिस रूप में पहचानूँ तुझकोमेरे देश के गाँव के आँगन मेंआँख-मिचौली खेलते हुएहम दोनों हुए थे जवानतेरे हर रूप रँगीले दिखते थेइंद्र्धानुषी यौवन को…

मेरी आँखों में – (कविता)

मेरी आँखों में आज सुबह को देखना तुममेरी आँखों मेंउस सपने की तरहजो लाती है सूरज को रोज़ किसीसच की तरहदेखना वो हो जाएगा बर्फतुम्हारे प्यार की आग के सामने…

ख़्वाब – (कविता)

ख़्वाब कितनी ही चीज़ों कोतुमने जोड़ दिया हैमेरे दायरे में-फ़िलहालसोच के ढेरों ख़्वाबहथेलियों में छपाक-छपाकफिसलती जा रही है देहनस-नस मेंदरिया की तरह बदलतीजा रही है तुम्हारी मौजूदगीबहुत सारे मायनें बदल…

चाहत – (कविता)

चाहत क्या हुआ जो तुम मुझे नहीं चाहतेमेरा प्यारहो यासमुद्र की अथाह गहराईन तुम उसे भाँप सकेन इसे नाप सकेफिर भी तुम आया करोक्योंकितुम्हारा आना जैसेपतझड़ के मौसम मेंबहार का…

अकेली – (कविता)

अकेली तुम खुद हीअपनी दुनिया सेमेरी दुनिया में आए थेमैंने तुम्हें स्वीकारा थाअन्तरमन से चाहा थातुम्हारे दिखाये सपनों केइन्द्रधनुषी झूले से झूली थीतुमने दिखाई थी बहारेंलिपट गयी थी गुलाबों से…

माँ नहीं रही – (कविता)

माँ नहीं रही माँ तो गईअब मकान भी पिता कोअचरज से देखता हैमानो संग्रहालय होने से डरता हैउसने खंडहरों में तब्दील होतेमुहल्ले के कई मकानों को देखा है माँ तो…

युद्ध – (कविता)

युद्ध जब वो कहते हैंजब तुम भी कहते होकि मैं गलत हूँतो मैं मान भी लेती हूँकि मैं गलत हूँलेकिन उनके कहने मेंऔर तुम्हारे कहने मेंजो अंतर हैउस अन्तर के…

धूप की मछलियाँ – (कविता)

धूप की मछलियाँ बनारस के घाटों परनयी करवटें बदलती ज़िंदगीअंतिम यात्राएक बुलबुला फटता हैजिसमे जीवन कैद था।बस यह तो बाहरी छिलका था जो गिर गयाबाहरी सतह टूट गयीअंदर की तो…

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