वशीकरण – (कविता)
वशीकरण पल भर में बदल जाते हैं मौसम चेहरे परक्षण भर में ले आता है मुस्कान वह अधरों पर है आधिपत्य आजकल सर्वश्रेष्ठ सिंहासन परगर्व से विराजमान है सभी के…
हिंदी का वैश्विक मंच
वशीकरण पल भर में बदल जाते हैं मौसम चेहरे परक्षण भर में ले आता है मुस्कान वह अधरों पर है आधिपत्य आजकल सर्वश्रेष्ठ सिंहासन परगर्व से विराजमान है सभी के…
चलिए वसंत बन जाएं ऋतुराज वसंत जब आता हैजीवन, जीवंत हो जाता हैप्रकृति के विराट आँचल परसौंदर्य विस्तार पा जाता है अमराई से आती मधुर ध्वनिगूँजता कोयल का कूजनपल्लवित सुगंधित…
विवाह विवाह की वरमालामात्र पुष्पों का हार नहींयह जयमाला हैएक दूसरे की जय कीएक दूसरे को चुन लेने कीएक दूसरे के सम्मान की विवाह का गठबंधनमात्र दो दुपट्टों की गांठ…
चदरिया झीनी रे झीनी -अदिति अरोरा मैं अपने परिवार के साथ आजकल लंदन प्रवास पर हूँ। हमारा घर थेम्स नदी के समीप निर्मित एक बहुमंज़िली इमारत की छटी मंज़िल पर…
एक पतंग का आत्ममंथन -अदिति आरोरा एक महीन अदृश्य डोर से बंधी, दो पतली डंडियों का एक कंकाल और उस पर रंग-बिरंगी पोशाक, आकाश की ऊँचाइयों को छूने की महत्वाकाँक्षा…
एक अंतिम आलिंगन अदिति अरोरा कितना सत्य है, समय न कभी किसी के लिए रुकता है और न ही बीता हुआ समय कभी पलट कर आता है। पलट कर आती…
अदिति अरोरा जन्म स्थान – बड़ौत, उत्तर प्रदेश।वर्तमान नागरिकता – सिंगापुर शिक्षा – मेरठ विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर और बी.एड.पिछले २७ वर्षों से सिंगापुर प्रवासीमातृभाषा के लिए योगदान…
धीरे-धीरे हम दलदल में धीरे-धीरे हम दलदल मेंधँसते चले गए।अपने ख़ुद के बुने जाल मेंफँसते चले गए। हैरी-पॉटर तो गहरीतन्मयता से पढ़तेगीता-रामायण पढ़ने सेदूर-दूर रहतेसंस्कार हम सभी ताक पररखते चले…
धनवान -आलोक मिश्रा आलोक जी का जन्म १ दिसंबर १९६५ को कानपुर में हुआ। आलोक जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रायबरेली जिले के एक छोटे से गाँव रंजीतपुर लोनारी में…
गीत आशाओं भरे गाया करो २१२२ २१२२ २१२गीत आशाओं भरे गाया करोमुश्किलों से खौफ़ ना खाया करो । दर्द समझेगा तुम्हारा ना कोईज़ख़्म सबको ही न दिखलाया करो । चाहते…
आलोक मिश्रा आलोक जी का जन्म १ दिसंबर १९६५ को कानपुर में हुआ। आलोक जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रायबरेली जिले के एक छोटे से गाँव रंजीतपुर लोनारी में प्राप्त…
सब बिज़ी हैं! जी, सभी व्यस्त हैं ऐसा भी लिखा जा सकता था किन्तु वह यथार्थ का परिमार्जित संशोधित रुप होता अर्थात् व्याकरणीय छन्नी से छानकर आदर्श की मिलावट के…
दैहिक, वैचारिक, आर्थिक अथवा सामाजिक समता एवं स्वतंत्रता? आख़िर वह कौन सी धुरी है जिसके इर्द-गिर्द, गले में नारीवाद की घंटी लटकाकर कोल्हू के बैल सदृश जुते हुए विचारक, वर्षों…
10 जनवरी 1974 में नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगाँठ को चिह्नित करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के द्वारा 10 जनवरी 2006 से एक…
किन्हीं कम प्रसिद्ध कविवर के काव्य-संकलन को जब साहित्य के श्रेष्ठ सम्मान से पुरस्कृत किया गया तो मन में जिज्ञासा जागी कि तनिक उनकी कविताओं का आस्वादन किया जाए। हम…
घर के अहाते में क़दम रखते ही गुड्डी की नज़र बरामदे में टंगे हुए डंडों पर झूलते नए पर्दों पर गई । प्रतिदिन की तरह विद्यालय से लौटते ही वह…
मेज़ पर जमी हुई धूल को तर्जनी ऊँगली से हटाते हुए और उसे शेष उंगलियों से रगड़कर झाड़ते हुए शर्मा जी झुंझलाए और फिर ऊँचे स्वर में कामिनी को पुकारते…
(मैथिली कविता एवं उसका हिन्दी अनुवाद – आराधना झा श्रीवास्तव) ज्यों जहाज का पंछी अपने पंखों से माप देता है सागर पर संध्याकाल में लौट आता है पुन: उसी जहाज…
इस प्रवासी काया में मेरा देसी मन ये कहता है, मैं जाऊँ जहाँ, जहाँ भी रहूँ इक भारत मुझमें बसता है । बेहतर कल की आशा में हमने लाँघी देश…
समय की मार ने उधेड़ दी है घर के दीवारों की चमड़ी बुज़ुर्ग छत पर पड़ गयी हैं सिलवटें झुर्रीदार दरवाज़ों की भिंची हुई मुट्ठियाँ पड़ती जा रही हैं नरम…