Category: एशिया

नितीन उपाध्ये की लघु कथाएँ

1. चूड़ियाँ “रुक्मि आज तो चलेगी न” गंगी ने खोली का पर्दा हटाकर पूछा। रात भर की जागी आँखों को उठाकर उसने गंगी की तरफ देखा और धीरे से सर…

मोटी सुई – (बाल कथा)

मोटी सुई नितीन उपाध्ये आज शाम से ही गोलू की बेचैनी देखने लायक थी। आज उसने अम्मा से कुछ खाने के लिए भी गुहार नहीं लगाई। वह तो अम्मा ने…

गंगासागर – (कहानी)

गंगासागर नितीन उपाध्ये आज जब से डाकिया जान्हवी दीदी की चिट्ठी दे कर गया है, सारे घर का वातावरण ही बदल गया है। अम्मा तो रसोईघर में जाकर सुबह से…

दाई मां – (कहानी)

दाई मां नितीन उपाध्ये भारत के प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब आजादी के गुमनाम नायकों को उचित सम्मान देकर उनकी वीर गाथा आज की पीढ़ी को बताने की…

नितीन उपाध्ये – (परिचय)

डॉ. नितीन उपाध्ये जन्म: 30 जुलाई, 1963 को इंदौर (मध्य प्रदेश) शिक्षा: UPTU, लखनऊ से PhD, BITS, पिलानी से MS (मैन्युफैक्चरिंग मैनेजमेंट), विक्रम विश्वविद्यालय से बी.ई. (मेकेनिकल इंजीनीरिंग) सृजन: कविता,…

खजुराहो – (कविता)

खजुराहो खजुराहो,उनके लिएअद्भुतकिंतुअवांछितऔरघृणास्पद रहा, जो-नहीं रह सकते थेवासना मुक्तक्षण भर भी। उनका चलता तोफिंकवा देतेउसेसागर की अतलगहराइयों में,जहाँ बड़वानलनिगल जाताउन कामुक मूर्तियों को।सोख लेताउसका अध्यात्मजिसके बिनाकरवट हीनहो जाती है दुनिया।…

मैं जनतंत्र हूँ ! – (कविता)

मैं जनतंत्र हूँ ! मैं जनतंत्र हूँ !लोग मुझे-लोकतंत्र,गणतंत्रसंघतंत्र, औरअंग्रेज़ी मेंडेमोक्रेसी भी कहते हैं।मैंने स्वयं को कभी नहीं देखा,मेरा मुख,मेरे कर-कमल,मेरे चरण, औरमेरा उरु प्रदेशसभीवास्तु पुरुष की भाँति अदृश्य हैं।…

मर्यादा पुरुषोत्तम – (कविता)

मर्यादा पुरुषोत्तम राम!बड़े मौलिक शिल्पी हो,बड़े कलाकार भीशील, शक्ति और सौन्दर्यके अधिष्ठातामर्यादा पुरुषोत्तम भी। आदर्श की धुरी होया धुरी के आदर्श, पता नहीं!पर सब तुम्हारे चरित की छाप है-अनवरत, काल…

अंकुश – (कविता)

अंकुश सबका है रक्षकजगती का है वह प्राणदुखों को दूर करता हैवही सुख सागर बनता है…! वही, जो व्याप्त है सर्वत्रवही उत्पत्तिकारक हैसभी में है परमवह श्रेष्ठवही तो शुद्धस्वरूपा है।…

सन्मार्ग – (कविता)

सन्मार्ग हे नाथ, दिखा दो राह मुझे…! जान न पाया इस जगती कोजिसका ओर न छोरमाना इसको मैंने अपनाक्या-क्या दुखद न पायाकेवल अपनी अजानता के-कारण जनम गँवाया। जब से आया…

वीणावादिनि – (कविता)

वीणावादिनि वीणावादिनि शत-शत नमन!कैसे करूँ वंदना तिहारीमैं अबोध बालक महतारीशरणागत, हे मेरी माते-शरण तिहारी आया हूँ। तुलसी-वाल्या-कालीतेरी कृपा निराली,वही कृपा हे हंसवाहिनीदे अबोध के दुख हर ले। वीणावादिनि! पद्मासना!सुन ले…

ऋषिकेश मिश्र

ऋषिकेश मिश्र नाम: डॉ॰ ऋषिकेश मिश्र जन्म व जन्म स्थान: 30 जनवरी 1978; ग्राम – शहाबपुर, पोस्ट – परियत, जिला – जौनपुर, उत्तर प्रदेश – 222162 शिक्षा: इलाहाबाद विश्वविद्यालय से…

बिना शर्तों का रिश्ता – दोस्ती – (कविता)

बिना शर्तों का रिश्ता – दोस्ती बड़ी अनमोल होती है दोस्ती,दिलों से दिलों का जुड़ाव होती है दोस्ती,हर मुश्किल में साथ निभाने का एहसास है दोस्ती,हर अच्छे बुरे वक्त में…

पापा की यादें – (कविता)

पापा की यादें पापा याद तुम्हारी आती है,आंखों में नमी भर जाती है,बचपन की वो मीठी यादें,वो खेल खिलौने और फरियादें !वो भाइयों से लड़ना झगड़ना मेरा ,वो रो रो…

पापा – (कविता)

पापा पापा, तुम हो मेरे जीवन की सबसे अद्भुत रेखा,तुम्हारे आशीष ने लिखा मेरी किस्मत का लेखा।तुम्हारे मार्गदर्शन और साथ से ही मैंने सीखा,अपने सपनों को पंख देकर, उड़ने का…

सूत्रधार – (कविता)

सूत्रधार कर्म करना है मात्र कर्म तेरा, आगे की क्यों तू सोच करेफल देना तो है काम मेरा, तू क्यों मन में संताप धरे। मैं राम की मर्यादा, मैं सीता…

प्रतिमा सिंह

प्रतिमा सिंह पति का नाम- श्री प्रेम बीर सिंह शिक्षा- अर्थशास्त्र में परास्नातक। विद्यार्थी जीवन से ही आध्यात्मिक संस्था सहज मार्ग से जुड़े होने के कारण आध्यात्मिकता और कविता लिखने…

करे है क्यों गोरी श्रृंगार – (कविता)

करे है क्यों गोरी श्रृंगार (श्रृंगार छन्द) करे है क्यों गोरी श्रृंगार।तुझे क्या गहनों की दरकार।रूप तेरा है रस की धार।ओस में ज्यों भीगा कचनार। लुभाते हैं कजरारे नैन।लगाऊँ अंक…

कृष्ण पूरे नहीं राधिका के बिना – (कविता)

कृष्ण पूरे नहीं राधिका के बिना (गंगोदक सवैया) बात ऐसी भला आज क्या हो गयी,रूठ से क्यों गए हो बताओ पिया।भूल क्या हो गयी? चूक कैसी हुई?मौन क्यों बोल दो,…

तिलक करें दशरथ नंदन का – (कविता)

तिलक करें दशरथ नंदन का (चौपाई छन्द) सब भक्तों के पालनहारे, गूँज रहे उनके जयकारे।परमशक्ति सबके रखवाले, जय हो नीली छतरी वाले।आदि-अनंत शक्ति के दाता, धर्म-कर्म-वेदों के ज्ञाता। मितभाषी तुम…

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