Category: एशिया

उदित स्वर्णिम भोर – (कविता)

उदित स्वर्णिम भोर (रूपमाला छन्द) चैन की वंशी बजाती, नित्य स्वर्णिम भोर।वो सुहाना युग पुराना, खो गया किस छोर? खत्म आँखों से शरम ह स्वार्थ ठेकेदार।चढ़ गया मुख पर मुखौटा,…

अविचल रहना साधे मन को – (कविता)

अविचल रहना साधे मन को (वामा छन्द) मन व्यग्र बड़ा रातों जगता।सब उथल-पुथल जीवन लगता।प्रतिकूल परिस्थिति क्षुब्ध करे।चिंता विपदा के रंग भरे। तब हार नहीं मन मार नहीं।मन हार करे…

वैश्वीकरण और २१वीं सदी का भारत – (लेख)

वैश्वीकरण और २१वीं सदी का भारत -अनु बाफना If you don’t adapt, you will get left behind ! Change is the only constant ! दोनों ही कथन एकदम सटीक हैं…

बेशर्म – (लघु कथा)

बेशर्म –अनु बाफना दुबई शहर का नामी-गिरामी रेस्टोरेंट। शनिवार की शाम व समुद्र किनारे होने से लोगों से खचाखच भरा था। काशवी अपने पति और १५ वर्षीय बेटे के संग…

सुनहरी किरण – (कहानी)

सुनहरी किरण अनु बाफना रात के सन्नाटे में जीप धांय-धांय उड़ी जा रही थी…किरण ड्राइवर के पास वाली सीट पर बैठी थी। कांस्टेबल ओम प्रकाश गाडी चला रहा थे। पीछे…

झूठ अच्छे होते हैं…. – (लघु कथा)

झूठ अच्छे होते हैं …. -अनु बाफना दीदी आपने झूठ क्यों बोला? उमा ने मुँह बनाते हुए शिकायती लहज़े में कहा। क्या हो गया उमा रानी ?- स्वाति ने शरारती…

रद्दी के टुकड़े – (कहानी)

रद्दी के टुकड़े -अनु बाफना ‘पर ये अचानक ..क्या हुआ है तुमको केशवी ..?” ‘व्हाई आर यू बीइंग सो मैलोड्रामैटिक ?”- ओफ्फो…जस्ट कांट बेयर योर मूड स्विंग्स यार !-‘ इट्स…

अनु बाफना

अनु बाफना एम्.एस. एन.एन.आई. (मुंबई) एम्.बी.ए, एम्.ए. हिंदी बी.एड, सर्टिफाइड ट्रेनर, आठ वर्षों तक नैरोबी (केन्या) में निवास कर गत ढाई वर्षों से दुबई में आ बसी हैं। ई.एस.एल नामक…

माता-पिता – (कविता)

माता-पिता माता-पिता आज केआज के युग का गहन संतापमाता-पिता का अस्तित्व तो हैपर रहते हैं वो चुपचाप!यूँ तो देश-विदेश में भ्रमण कर आयेंपरंतु चैन अपने स्वयं के घरों में ही…

अमलतास – (कविता)

अमलतास अमलतास की स्वर्णिम आभामानो प्रकृति ने पहना फूलों का झालाचमकीलाहवा की इशारों पर नाचतासुंदरता को यूँ ही उड़ेलताजब जब खिलताआकर्षण का केंद्र बन जाता हैसुनहरा अमलतास का वृक्ष न्यारा!…

विदेश में मज़दूर – (कविता)

विदेश में मज़दूर दोपहर की तपती धूप में मोटा पीला टोप (हेलमेट) चढ़ाएंपसीने में लथपथतन्वंगा-साभू-खनन कार्य में तल्लीन मिलेगा एक मज़दूर!! प्रकृति के प्रचंड कोप को निज शीश पर नि:शब्द…

नीला समंदर (कविता)

नीला समंदर हिलोरे लेता गहरा नीला समंदरअसीम रत्नराशि लिए समंदरबिखरा हुआ है मेरे आगेबहुत दूर तक जाता हैयह नीला समंदर! ना जाने कहाँ से आता है!?ना जाने कहाँ परजाता है!?निरंतर…

आराधना सदाशिवम

आराधना सदाशिवम आराधना सदाशिवम का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा राजाराम महिला इंटर कॉलेज और केदारनाथ महिला इंटर कॉलेज, बदायूं, उत्तर प्रदेश से…

अनिल कुलश्रेष्ठ की ग़ज़लें

ग़ज़ल -1 बेखुदी ऐसी घिरी है कुछ समझ आता नहींख़ुद को तो भूला हुआ हूँ आप को पाता नहीं एक चौरस्ता है जिसपे मैं खड़ा हैरान हूँइक कदम तेरे बिना…

अनिल कुलश्रेष्ठ

अनिल कुलश्रेष्ठ जन्मतिथि: 15 नवम्बर शिक्षा: दो परा-स्नातक डिग्रियां (स्टेटिस्टिक्स तथा अर्थशास्त्र) सम्प्रति: भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य-प्रबंधक के पद से रिटायर्ड. रुचियां: पर्यटन, आध्यात्म एवं ग़ज़ल व लघुकथा लेखन…

खोज ईश्वर की – (कविता)

खोज ईश्वर की ईश्वर को खोजते फिरते हैंईश्वर कहाँ है? ईश्वर कैसा है?जिस मूर्ति की पूजा करते हैंक्या ईश्वर बिल्कुल वैसा है? देश, धर्म, जाति के आधार परईश्वर का विभाजन…

कृतज्ञता – (कविता)

कृतज्ञता जो अपने आहारया अस्तित्व के लिएदूसरों पर निर्भर रहते हैंपरजीवी कहलाते हैंप्रायः इस वर्गीकरण के अंदरजीव-जंतु या वनस्पति हीक्यों आते हैं? कितना आश्रित है मानवफिर भी दंभ लिए इठलाता…

जीवन सरिता – (कविता)

दो तटों की सीमा में बद्धबहती पूर्ण स्वतंत्र तरंगिणीनहीं बाँधती स्वयं को किसी तट सेनिरंतर गतिमान कल्लोलिनी आ जाता है यदि कोई अवरोध तोबदल लेती है मार्ग सहजता सेसतत प्रवाह…

कैसे कहूँ पराया तुमको – (कविता)

कैसे कहूँ पराया तुमको एक समान चलती हैं श्वासेंवही प्राण ऊर्जा है तुम में मुझ मेंहै एक समान हृदय में स्पन्दनवही लाल रुधिर है तुम में मुझ में पृथ्वी, जल,…

परिवर्तन – (कविता)

परिवर्तन हे बुद्धिमान मानव!थोड़ा ठहर…अपने चारों ओर देख,प्रकृति के साथ एकरूप होदेख सब कुछ निरंतर बदल रहा हैकुछ भी स्थायी नहीं हैजो स्थाई है, वह है बस परिवर्तनदेख तो ….दिन…

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