Category: एशिया

 मन की गाड़ी – (कविता)

मन की गाड़ी मन की गाड़ी रेल गाड़ी छूक छूक चलती हैपीछे पीछे जाती है येतेज़ नहीं चल पाती है येभूले बिसरे कुछ मोड़ों परसीटी जोर बजाती है येइसकी पटरी…

शब्दों के बिन – (कविता)

शब्दों के बिन शब्दों के बिन जाना वो सब, शब्दों से जो परे हैप्रियकर मेरे, मौन के तेरे, अर्थ बड़े गहरे है सामने जब तू छम से आईआँखों में बिजली…

IIश्री रामII – (कविता)

IIश्री रामII माँ-बाप की सेवा करे, उसके ह्रदय में राम हैंजन-जन की जो पीड़ा हरे, उसके ह्रदय में राम हैं तन से यहाँ जो शुद्ध हो, और मन से भी…

उज्जैन महिमा – (कविता)

उज्जैन महिमा बहती है क्षिप्रा यहाँ, यह धरती है महाकाल कीशिक्षा दीक्षा यही हुई थी बलदाऊ गोपाल कीजय जय महाकालबाबा महाकाल सान्दीपनि का आश्रम हमको द्वापर में ले जाता हैमंगल…

ऑनलाइन शिक्षा – (कविता)

ऑनलाइन शिक्षा ऑनलाइन क्लास में पढ़ कर बना डॉक्टरजब यूटूब विडीओ ऑन कर इंजेक्शन की तय्यारी करने लगाहर दो सेकंड में विडीओ रोक कर, निर्देशों को पढ़ने लगातो हमारा पहले…

मुझे गीत से प्रीत नहीं है – (कहानी)

मुझे गीत से प्रीत नहीं है गा ना सकी तो ये मत कहनामुझे गीत से प्रीत नहीं हैरो ना सकी पर मन की गागरहौले हौले रीत रही हैइतने ज़ख़्म दिए…

पीर बहुत पर नीर नहीं – (कविता)

पीर बहुत पर नीर नहीं बरसों से सूखी आँखें है, पीर बहुत पर नीर नहींइन आँखों के पथराने में, क्या तुम ने मेरे मुस्काने मेंमहसूस की है कोई नमी कभी…

मतलब बदल गया है – (कविता)

मतलब बदल गया है तुम वहीमैं वहीहैं भी पर नहींक्यों ?क्योंकि मतलब बदल गया हैमतलब बदल गया हैपाने और खोने कासपने संजोने काअश्कों से रातों कोतकिए भिगोने कासाँसों के संगीत…

छाले – (कविता)

छाले चलो छिपा लें दिल के छालेऔरों से भी खुद से भीमाना हम गमगीन बहुत हैंऔर आंसू नमकीन बहुत हैरंगीन तराने चलो सुना लेऔरों से भी खुद से भी चलो…

आँचल – (कविता)

आँचल जोरो कि बरसती बारिश मेंजब पूरी छत टपकती थीएक खाट पर बैठी माँबच्चो और बक्से के संगपूरी रात सिसकती थीकमरे में बहते पानी मेंकितनी बारिश , कितने आंसूमाँ का…

मन की महाभारत – (कविता)

मन की महाभारत मैं कौरव, मैं पांडव ,मैं अर्जुन मैं दुर्योधनकैसे रोकूँ ये चीरहरण ,हैं पड़े सोच में मनमोहन नारी भिक्षा , नारी कायानारी को धनतुल्य बनायाधर्मराज कर रहे अधर्मकहाँ…

Love Meter का तहलका – (कविता)

Love Meter का तहलका धुआँधार गालियों की थी बमबारीDialogues (डॉयलॉग) की जारी थी गोलबारीहाथापाई की थी पूरी तय्यारीजब बीच बचाव करने पहुँचीदोनो की मय्या प्यारीअचानक तोपों का रूख बदल गयासारा…

जल रही हूँ – (कविता)

जल रही हूँ तप रही हूँ, जल रही हूँरूह तक पिघल रही हूँ सागर की अनगिनत नदियाँनदी का बस इक समंदर,यही है मेरा मुक़द्दरइसी जल में जल रही हूँ ।…

घर – (कविता)

घर घर तो पहले हुआ करते थेअब तो बस पत्थरों के मकान रह गए हैं एक अकेले कमरे में जहाँना तेरा था ना मेरा थासब कुछ जिसमें अपना थावो प्यारा…

मीनाक्षी गोयल

मीनाक्षी गोयल नायर शिक्षा से रसायन शास्त्र में डॉक्टरेट, पेशे से वैज्ञानिक, और दिल से हिंदी की उपासक, मीनाक्षी गोयल नायर, पिछले ३० वर्षों से जापान में रहती हैं। वे…

माँ अगर मैं जयचंद होता – (बाल कथा)

माँ अगर मैं जयचंद होता नितीन उपाध्ये मोनू की दादी के गाँव से शहर आने की ख़ुशी जितनी मोनू को नहीं होती थी उससे ज्यादा उसके आसपास रहने वाले विक्की,…

डॉ. मधु संधु की लघु कथाओं में स्त्री पात्रों की सामाजिक विडम्बनाओं के प्रति सरोकार – (समीक्षा)

डॉ. मधु संधु की लघु कथाओं में स्त्री पात्रों की सामाजिक विडम्बनाओं के प्रति सरोकार डॉ. नितीन उपाध्ये, यूनिवर्सिटी ऑफ़ मॉडर्न साइंसेज, दुबई साहित्य समाज का दर्पण होता है। समाज…

‘आत्मनिर्भर भारत’ : कितना ज़रूरी और कितना सफल – (लेख)

‘आत्मनिर्भर भारत’ : कितना ज़रूरी और कितना सफल नितीन उपाध्ये “आत्मनिर्भर” मेरे विचार में आज किसी भी व्यक्ति/परिवार/शहर/राज्य/देश का पूर्णरूपेण आत्मनिर्भर होना सरल नहीं है। अब मैं स्वयं का ही…

सोशल मीडिया :क्या खोया, क्या पाया – (लेख)

सोशल मीडिया : क्या खोया, क्या पाया नितीन उपाध्ये सोशल मीडिया से हमने जो पाया है वह है “दुनिया के किसी भी कोने में जब एक गौरेय्या अपने पंख फड़फड़ाती…

क्या हम केचुएं है ? – (लेख)

क्या हम केचुएं है ? नितीन उपाध्ये आज परसाईयत में श्रद्धेय श्री हरिशंकर परसाई जी का व्यंग्य लेख “केचुवां” पढ़ा। मन में कई ख्याल आये सब एक दूसरे के ऊपर…

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