Category: प्रशांत

रिश्ते – (कविता)

रिश्ते रिश्ते बनते नहीं; होते हैंधागे में मोती से पिरोतै हैंकुछ बनाये जाते हैंकुछ बस दूर सोते हैंकुछ बस ना भी कहोकहीं अचानक खोते हैं रिश्ते सहेजने की ज़रूरत नहींवो…

हिंदी भाषा – (कविता)

हिंदी भाषा आओ बच्चों तुम्हें बताऊँबात इक बतलाती हूँछोटी सी कविता गा करमैं तुम को समझाती हूँ। जब भी छुट्टियाँ होती होगींनानी के घर जाओगेनानी को मिल कर अपनीक्या क्या…

मँजी – (कविता)

मँजी आज बरसो बाद मुझको लगामैं अपनी दादी के संग सोईचाँद सितारों के नीचे खोई।मंजी की रस्सी मेंपाया दादी का प्यारअनंत असीम शांति व दुलार।दुपट्टे में छिपायाअपने संग सुलाया।आज बरसो…

देवनागरी लिपि – (कविता)

देवनागरी लिपि देव नागरी लिपि अनोखीभाव अर्थ की नहीं है दूरी अ अमृत की वर्षा हो सब परसभी सुखी हों जिस से हर पल। आ आंगन की तुलसी है न्यारीमानव…

निकट – (कविता)

निकट निकट जिस को निकट मानानिकट, विकट हो आ खड़ा है। विकट हो सब रीत डालाजीवन ऐसे बीत डाला। निकट होने की समस्याकर रही केवल तपस्या। निकट से कुछ मिल…

मधु खन्ना – परिचय

ऑस्ट्रेलिया, ब्रिज़्बन की निवासी मधु खन्ना का जन्म भारत, राजधानी दिल्ली में हुआ। एम ए ‘हिंदी’ व बी.एड ‘दिल्ली’ व एम.एड स्पेशल एजुकेशन ‘ग्रिफ़िथ यूनिवर्सिटी’ से। वे क्वींज़लैंड में विशेष…

मॉरीशस और फीजी : विश्व हिंदी सम्मेलन के झरोखे से – (पुस्तक समीक्षा)

मॉरीशस और फीजी : विश्व हिंदी सम्मेलन के झरोखे से –डॉ. सुभाषिनी लता कुमार लेखक कृपाशंकर चौबे की हिंदी भाषा एवं साहित्य लेखन, पत्रकारिता और संपादक के रूप में अंतरर्राष्ट्रीय…

हिंदी की पुकार – (कविता)

हिंदी की पुकार आओ चले,निज भाषा की ओरजिससे है पहचान हमारीहिंदी हमारी मातृभाषाजहाँ है ज्ञान का भंडारभाषा है संस्कृति का आधार,सीख लोगे जब संस्कारहोंगे संगठित तब परिवार,बनेंगे घर-आँगन स्वर्ग समान,मिलेगा…

तुम्हारा साथ – (कविता)

तुम्हारा साथ तुम्हारा हाथजब थाम लेता हैहाथ मेराबेचैन मन कोमिलता हैएक मजबूत भरोसाजैसे चटकती धूप मेंमिल गई हो छाव कहीं। शाम की चाय होजब साथ तेरेराहत पा जाती हैदिनभर की…

जोगिन्द्र सिंह कंवल : फीजी के प्रेमचंद – (आलेख)

जोगिन्द्र सिंह कंवल : फीजी के प्रेमचंद डॉ. सुभाषिनी लता कुमार स्वर्गीय श्री जोगिन्द्र सिंह कंवल एक महान लेखक, अद्भुत व्यक्तित्व और सामान्य रूप में शिक्षा और समाज में योगदान…

‘फीजी माँ’ – फीजी हिंदी का महाकाव्यात्मक उपन्यास – (समीक्षा)

‘फीजी माँ’ – फीजी हिंदी का महाकाव्यात्मक उपन्यास -सुभाषिनी लता कुमार अंग्रेजी के प्रतिष्ठित और चर्चित साहित्यकार होते हुए भी प्रो. सुब्रमनी ने अंग्रेजी भाषा के मोह को त्यागकर फीजी…

जोगिन्द्र सिंह कंवल के उपन्यास ‘करवट’ की समीक्षा – (पुस्तक समीक्षा)

जोगिन्द्र सिंह कंवल के उपन्यास ‘करवट’ की समीक्षा -सुभाषिनी लता कुमार सामाजिक-राजनैतिक जागृति और 20 वीं सदी के नागरिक होने के नाते अपने अधिकारों को लेकर भारतीयों के संघर्ष को…

फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष – (समीक्षा)

फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष सुभाषिनी लता कुमार पं. तोताराम सनाढ्य भारत से 1893 में एक करारबद्ध मजदूर के रूप में फीजी लाए गए थे। आपका जन्म 1876 में…

गिरमिटियों की व्यथा – (नाटक)

गिरमिटियों की व्यथा – सुभाषिनी लता कुमार पात्र परिचय :अमर सिंह- (अमरु) 19 या 20 साल का युवकमाँ- अमरु की माँ, लगभग 50 साल की महिलासेठ कड़ोरीमल- गाँव का जमीनदार,…

ख्यालों में गुम – (कविता)

ख्यालों में गुम जब कभी उड़ती हैतनहाइयों की धूलतब ले आती हैपवन यादों की बारिशजैसे कई लहरें,उछलती, गिरती, बैठतीसूने तट को बहलातीयाकोई निराश आवाज़घूमती, गुनगुनातीकिसी टूटे साज़ को धड़कातीवैसे हीउनकी…

ऋण – (कविता)

ऋण दिव्य शक्तियों की बात पुरानीशास्त्रों में मिलती कई कहानीवेदों का अनंत ज्ञानप्रकृति का करता गुणगानप्राचीन काल सेगहरी आस्था हमारीजिससे है सृष्टिजन जवीन सारीपृथ्वी, जल, वायु, अग्नि आकाशपंच महाभूतों के…

इंटरनेट वाला प्यार – (कहानी)

इंटरनेट वाला प्यार –सुभाषिनी कुमार कई बार ऐसा होता है कि हमारी खुशी हमारे आस पास ही होती है लेकिन वो हमें दिखती नहीं। मैं बा शहर के एक छोटे…

फीजी और भारत की मिली-जुली संस्कृति – (लेख)

फीजी और भारत की मिली-जुली संस्कृति डॉ. सुभाषिनी कुमार फीजी द्वीप समूह एक बहुसांस्कृतिक द्वीप देश है जिसकी सांस्कृतिक परंपराएं महासागरीय यूरोपीय, दक्षिण एशियाई और पूर्वी एशियाई मूल की हैं।…

पंडित कमला प्रसाद मिश्र : फीजी के राष्ट्रीय कवि – (आलेख)

पंडित कमला प्रसाद मिश्र : फीजी के राष्ट्रीय कवि डॉ. सुभाषिनी कुमार पंडित कमला प्रसाद मिश्र हिंदी जगत के एक जाज्वल्यमान सितारे रहे हैं। हिंदी के प्रति उनकी तपस्या से…

गिरमिटियों के उद्धार में पं. तोताराम सनाढ्य का योगदान – (आलेख)

गिरमिटियों के उद्धार में पं. तोताराम सनाढ्य का योगदान -डॉ. सुभाषिनी लता कुमार पं. तोताराम सनाढ्य ने अपने गिरमिट अनुभव को ‘फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष’ नामक पुस्तक में…

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