Category: यूरोप

यूरोप

‘फूफा जी’

फूफा जी छोटा कद के, श्यामल छवि के, हल्के डील-डौल के, अधेड़ उम्र के व्यक्ति के रूप में बचपन की यादों में अंकित हैं। सिर और मूंछों के डाई किए…

दीपक और सूरज

सूरज कहता धन्य दीप तुम, धन्य तुम्हारा त्याग से नाता जब मैं चलकर थक हूं जाता, दीप तब अपना तन पिघलाता बना तेल बाती की सेना, चल पड़ते हो तान…

अभिषेक त्रिपाठी

पता : द वाइन्स,बेलफास्ट, आयरलैंड, पोस्ट कोड: BT10 0GP ईमेल : Belfast.Abhi@gmail.com/Hindi.Ireland@gmail.com जन्मस्थान : लखनऊ, उत्तर प्रदेश (भारत) शिक्षा : सम्प्रति : संबद्ध : प्रकाशन : मान्यता/ पुरस्कार/ सम्मान :…

दिव्या माथुर

वातायन-यूके की संस्थापक, दिव्या माथुर एक वरिष्ठ और बहु-पुरस्कृत लेखिका, अनुवादक और इम्प्रेसरियो हैं, जिन्हें तीन दशकों में सैंकड़ों सफल और सार्थक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए भारत और ब्रिटेन…

अंतिम तीन दिन

अपने ही घर में माया चूहे सी चुपचाप घुसी और सीधे अपने शयनकक्ष में जाकर बिस्तर पर बैठ गई; स्तब्ध। जीवन में आज पहली बार मानो सोच के घोड़ों की…

प्रवासी लेखन में ‘नौसटैलजिया’

दिव्या माथुर समय तेजी से बदल रहा है, जाहिर है कि हमारे साहित्य में भी यह बदलाव, व्याकुलता और बेचैनी छलक रही है जो हिन्दी साहित्य को अपनी मौलिकता से…

लोरी – (कविता)

लोरी निंदिया बनके तेरी पलकों में छिप जाऊंतू जागे मैं जागूं, तू सोए सो जाऊंकाली रात की अलकें भारी भारीतेरी आँखें हैं कारी कजरारीभोर किरण बन आऊंतुझको चूमूं जगाऊँतू जागे…

आत्महत्या के बीज – (कविता)

आत्महत्या के बीज सुना हैभारत बड़ी तरक्की कर रहा है जिसे देखो ऊपर, ऊपर और ऊपर हीचढ़ रहा हैसुना है किसान अब अपने बीज नहीं बो सकते न ही बांट…

मैं चील हूँ – (कविता)

मैं चील हूँ मैं एक चील हूँजो एक पीड़ादायी मृत्यु से जीत आईघायल हुई, हाँ, बेहद घायल,किन्तु मैंने पुन: सीखे कौशलऔर देखो न, मैं कितनी तैयार हूँअब तो मृत्यु के…

कढ़ी – (कविता)

कढ़ी आज सुबह मैंने कढ़ी बनाईछोटी छोटी गोल मटोल पकौड़ियांयूं खदक रही थीं पतीले में ज्यूं फुदकते थे बच्चे बरसात से भीगे आंगन मेंऐसा आल्हादित था मन कि सारे मुहल्ले…

दस्तक – (कविता)

दस्तक न सुने तो कोई क्या कीजेदस्तक देने में हर्ज़ है क्याहम खुशी खुशी भुगतेंगे इसेजो मिट जाए वो मर्ज़ है क्यादिल माँगा, जां हमने दीये छोटा मोटा क़र्ज़ है…

रचनात्मक अवरोध (writer’s block) – (कविता)

रचनात्मक अवरोध (writer’s block) बाहर हल्कीपर मन में भारी बारिश हो रही हैकागज़ की नाव पर सवार शब्दतेज़ी से बहे जा रहे हैंमैं उन्हें बचाने के लिएभाग रही हूँ छपाछपनाव…

शब्दकोष – (कविता)

शब्दकोष शब्दकोष वह अद्बभुत था, ‘युद्ध’ शब्द उसमें न था‘शत्रु’ का था न अता-पता, ‘बारूद’ बेचारा क्या करता’घृणा’ न थी न ‘द्वेष’ वहाँ, ‘आहें’ थीं न ‘बीमारी’न ‘आँसू’ थे न…

मेरी खामोशी (झूठ, झूठ, झूठ संग्रह से) – (कविता)

मेरी खामोशी मेरी खामोशीएक गर्भाशय हैजिसमें पनप रहा हैतुम्हारा झूठएक दिन जनेगी येतुम्हारी अपराध भावना कोमैं जानती हूँ कितुम साफ़ नकार जाओगेइससे अपना रिश्तायदि मुकर न भी पाये तोउसे किसी…

लौट आई हूँ लन्दन – (कविता)

लौट आई हूँ लन्दन लौट आई हूँ लन्दनछोड़ के वृन्दावनसाफ़-सुथरी पक्की सड़क परहरे और घने दरख्तों से घिरेएक बेधूल और सुसज्जित घर मेंजहाँ गर्मी में पसीना नहींन ही सर्दी में…

विस्मृति के द्वार: बाबा-अम्मा और मैं – (संस्मरण)

विस्मृति के द्वार: बाबा-अम्मा और मैं –दिव्या माथुर ये संस्मरण 18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरुआत के हैं। पड़दादा और पड़दादी को मैंने केवल फ़ोटोज़ में ही…

मनीष पाण्डेय

जन्म: 22 जून 1979 को ग्राम पचोरी, जिला: जाँजगीर-चाम्पा, छत्तीसगढ़ में जन्म शिक्षा: भारत से कंप्यूटर साइंस में एम.एस.सी. और निदरलैंड्स से एम.बी.ए. संप्रति: सन् 2006 से अमेरिका और यूरोप…

एक छोटी सी चाह… – अर्चना पैन्यूली

स्वाति शुरू से ही जानती थी कि इवा उसकी अपनी माँ नहीं है। मगर जबसे तेरह की हुई तो उसके अवचेतन मस्तिष्क में सुप्त पड़े कुछ प्रश्न नई चेतना पा…

दो अँजुरी पानी

आजकल मैं भारत की राजधानी नई दिल्ली से कुछ 6300 किमी दूर, यूरोप के एक प्रतिष्ठित शहर लक्सेम्बर्ग में रहता हूँ। यह शहर इस देश की राजधानी भी है और…

Translate This Website »