Category: कविता

पागल मन यूँ ही उदास है – (कविता)

पागल मन यूँ ही उदास है पागल मन यूँ ही उदास है,कितना सुन्दर आसपास है। काले बादल के पीछे सेझाँक रही इक किरण सुनहरी,सारे दिन की असह जलन केबाद गरजती…

मगर उपवन मिला – (कविता)

मगर उपवन मिला कुछ मिले काँटे मगर उपवन मिला,क्या यही कम है कि यह जीवन मिला। घोर रातें अश्रु बन कर बह गईं,स्वप्न की अट्टालिकायें ढह गईं,खोजता बुनता बिखरते तंतु…

देवदार के पेड़ – (कविता)

देवदार के पेड़ शीश झुका कर ज्यों रोये हैंदेवदार के पेड़ बादल के घर ताक-झाँककरने की उनको डाँट पड़ी हैभरी हुई पानी की मटकीसर से टकरा फूट पड़ी है सूरज…

बसंत तेरे स्वागत में – (कविता)

बसंत तेरे स्वागत में बसंत तेरे स्वागत मेंठूँठ पड़े हिस्सेपाते संजीवनसिरहन, थिरकन, नवरूपनशब्द-रंग में नितरमन का सूनापनपहुँचातामेरी टीस तुम तककोमल कोंपल छलककार्डिनल कूजत अथक ***** – मधु भार्गव

मेरी स्ट्रीट – (कविता)

मेरी स्ट्रीट है बहुत सुन्दर, मेरी स्ट्रीटदस हज़ार साल से पुरानी कॅरिंग प्लेस ट्रेलइसी पर थे फ़र्स्ट नेशन लोग सदा-सदा चलेहम्बरतटे, ऊँचे-ऊँचे संतरी ओक हैं खड़ेमेपल, बर्च, बीच, गिंगको मनोहर…

क्षणिकाएँ – (कविता)

क्षणिकाएँ 1. ढलते सूरज का गुलाबी दुपट्टासफ़ेद बर्च से लिपटा लिपटासजीला ओक उन्हें देख मुसकाएगुलाबी गुलाबी ख़ुद भी हो जाए 2. जैसे रूई के बादल सेयत्र तत्र छि तरे-छितरेस्नो फ़्लेक…

भुवनेश्वरी पांडे की हाइकु – (हाइकु)

भुवनेश्वरी पांडे की हाइकु 1. कैसा नगरकोई ना पहचानेहम घूमते 2. केवल मकाँबीच कोई सड़कबैठोगे कहाँ? 3. अकेला पत्तालहराता रहा हैशीत ऋतु में। 4. थोड़ी सी छाँवतेरी नीली छतरी,हमें भी…

दे सको तो दे दो – (कविता)

दे सको तो दे दो जो कभी देने पर आओ, तो देना,मुझे मेरी स्वतंत्र उड़ान,मेरी कोमल आशायें,मेरी आत्मा की आवाज़,मेरी अनुभूति,मेरी अभिव्यक्ति। जो कभी देने पर आओ, तो देना,मेरी चाहत…

रूपांतरित – (कविता)

रूपांतरित मेरा भी रूपांतरण हो गया,धरती थी मैं, वृक्ष हो गई,धरती से उपजा यह तन मन,धरती ने ही दी तुमको महक। सुगंध भर दी साँसों में तुम्हारी,रंग रूप दिया और…

सुनो मुझे चाहिए – (कविता)

सुनो मुझे चाहिए सुनो, नहीं चाहिए तुम्हारी जायदाद,तुम्हारी कोठी, तुम्हारा रुतबा,तुम्हें मुबारक तुम्हारी शान। हमें तो बस, एक छोटी सी क्यारी थी चाहिए,जिसमें सुबह ही खिल उठती, थोड़ी हँसी,ज़रा सा…

कृषक – (कविता)

कृषक है कौन कृषक जोकपास की खेती अंबर में करता है?नाना प्रकार के खिलौनेप्रति दिन रूई के रचाता है,जाने कैसे बिन डोरी केमेघ नभ में लटकाता है?अरु घुमा घुमा कर…

वह मैं नहीं हूँ किंचित प्यारे – (कविता)

वह मैं नहीं हूँ किंचित प्यारे जो मुझको तुम समझते हो नित,वह मैं नहीं हूँ किंचित प्यारे,नौ द्वार के प्राकृतिक भवन मेंहम मनुज निवास करते सारे,राजा और उसका अमूल्य महलनहीं…

तरु संवाद – (कविता)

तरु संवाद शंकुल जाति के देवदारु ’सीडर’ने यहपर्णपाती ’मेपल’ से प्रश्न किया,क्यों हो रहा तव रंग इस तरह से पीलातब भीमकाय मेपल ने उत्तर दिया। (शरद)ग्रीष्म का गमन है होता…

कविता – (कविता)

कविता अनुभूति करने की कवि में क्षमता,व्यक्त करे वह बनती है कवितापानी में ही यदि हो दरिद्रताकैसे बहेगी सुरसरिसी सरिता? वारि बहन ही आपगा नहीं है,शब्द चयन ही कविता नहीं…

मन की मंदाकिनी – (कविता)

मन की मंदाकिनी मन की मंदाकिनी में,जब भी लहरें उठती है भावों की,आती जाती इन श्वासों को,वे याद दिलाती है आहों की,सब दिवस गये पल क्षण बनकर,देखो तो अति चतुराई…

स्वयंभू – (कविता)

स्वयंभू मन में तुम्हारी प्रीत का हर शब्द गीत है,तन में रमा है त्याग का वो पल पुनीत है,जो आदि से ही उपजा स्वयंभू सुनीत है,उस आदि प्रेम की ही…

आओ चलें वहाँ – (कविता)

आओ चलें वहाँ आओ चलें वहाँ, जहाँ न कोई द्वेष राग हो,हों प्रेम के आदर्श और भावना सुभाष हो,हो ज़िन्दगी का मूल्य, जहाँ कोई न हताश हो,मेरी कल्पनाओं में कदाचित…

प्रकृति – (कविता)

प्रकृति जब प्रकृति लय छेड़ती,स्वर ताल देता है पवन। मुक्त स्वर से विहग गाते,मुदित मन होते सुमन,झूमके आते हैं वारिद,तड़ित चमकाती गगन।वृक्ष हो आनंदमयझूमते होकर मगन। मेघ गाते हैं मल्हारें,निरख…

मुझे क्या मिला – (कविता)

मुझे क्या मिला कभी कभी सोचा करता हूँ मुझे क्या मिलातीस वर्ष तक तीन देश में अध्यापन करशोधकार्य में शिक्षण में भी नाम कमायासतत परिश्रम करने पर भी मुझे क्या…

ओ ईंट – (कविता)

ओ ईंट काली मिट्टी में से पाथकरपथेरे ने रूप बदला तेराओ ईंट!ओ कच्ची-पीली सीजून भोगती ओ ईंट!अनचाही, अनजानी ठोकरेंखा-खा कर टूटती रही तूटोटे होकर सखियों सेबिछुड़ती रही तूअपनों के भी…

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