Category: कविता

ख्यालों में गुम – (कविता)

ख्यालों में गुम जब कभी उड़ती हैतनहाइयों की धूलतब ले आती हैपवन यादों की बारिशजैसे कई लहरें,उछलती, गिरती, बैठतीसूने तट को बहलातीयाकोई निराश आवाज़घूमती, गुनगुनातीकिसी टूटे साज़ को धड़कातीवैसे हीउनकी…

ऋण – (कविता)

ऋण दिव्य शक्तियों की बात पुरानीशास्त्रों में मिलती कई कहानीवेदों का अनंत ज्ञानप्रकृति का करता गुणगानप्राचीन काल सेगहरी आस्था हमारीजिससे है सृष्टिजन जवीन सारीपृथ्वी, जल, वायु, अग्नि आकाशपंच महाभूतों के…

अपना बसिंदा – (कविता)

अपना बसिंदा आज कल न जाने क्योंदिन घिसते-घिसतेरात हो जाती हैऔर रात – एक लम्बी बनवासदिखाई देती है मुझेये सूरज चाँद सितारेलेकिन दिखता नहीं क्योंअपना बसिंदा आम का पेड़जो सालों…

ये दिवाली वो दिवाली – (कविता)

ये दिवाली वो दिवाली क्या याद है तुम्हेंअपनी वो दिवालीउस गाँव केछोटे से घर परअब तोकई साल बीत गए हैंछूट गया गाँवटूट गया वो घरहमारी दिवाली के बीचआमावस आ गई…

मदहोश परिंदे! – (कविता)

मदहोश परिंदे! ऐ थम जा मदहोश परिंदे!ये चाँद सी तड़पसूरज सी जलनअरमानों कोराख कर देगाहमारे सपनों कोखाक कर देगाऐ थम जा मदहोश परिंदे!उड़ना मुझको आता नहींजलना हमें गवारा नहींतुम उस…

एक चेहरा – (कविता)

एक चेहरा हजारों चेहरों मेंमैं ढूँढ़ रहा हूँछोटी सा आरजू लेकरवहीं नगर वहीं डगरघूम रहा हूँघूम रहा हूँघूम रहा हूँआँखों में बसी हैतेरे घुँघराले बालऔर चमचमाते झुमकेजो कर देती है…

पिंजरा – (कविता)

पिंजरा एक छोटी सी पोटलीएक मीठा सा सपनालेकर झगरूचला सात समुद्र पारबारह सौ मील दूरजब आँख खुलीतो पाया रमणीक द्वीपसाहब का कटीला चाबुकऔर भूत लैन मेंएक अंधेरा कमरारोया, गाया, भागा,बहुत…

शाम – (कविता)

शाम अच्छे से वाकिफ़ हूँ इससेजो अंधेरे जैसी छाई है,जमाना कहे जिसे आज़ादीएक लंबी सी तनहाई है ।ए ख़ुद की मर्जी की मालिक,तूने क्या किस्मत पाई है,कहते हैं जिन्होंने हर…

पहाड़ और नदी – (कविता)

पहाड़ और नदी मैं, दुर्गम, कठोर पहाड़वह खिलखिलाती बहती नदी थी,ताज़्जुब नहीं कि चली गईहैरत है कि वह कभी मेरी थी।मेरा ठहराव,शायद कभी समझी नहीं।अच्छा हुआ के मुझ पत्थर संगवह…

दिल्लगी – (कविता)

दिल्लगी आँखों ही आँखों में आपने ना जाने क्या कह दिया।कि हमने अपना दिल आपके नाम कर दिया।।बस यही तो एक भूल की हमने।कि बिना सोचे समझे आपसे प्यार कर…

सागर के तट पर – (कविता)

सागर के तट पर सागर की पारदर्शी देह पर थिरकती हैंरहस्य और रोमांच से आह्लादित लहरेंरेतीली जमीन पर लिखती हैंप्रेम की अमिट कहानियां…समर्पित होने से ठीक पहलेआवेग से आती हैंपुरजोर…

सिरहाने में रखी है किताब – (कविता)

सिरहाने में रखी है किताब कई दिनों तक पड़ी रहींमेरी पसंद की किताबेंमेरे सिरहानेपढ़ती रही मैं उन्हेंकिसी-किसी बहाने। कभी नींद लाने की कोशिश मेंतो कभी जाग जाने की खातिरकभी खुदबुदाते…

समर्पित अहसास -(कविता)

समर्पित अहसास हैं बहुत ही खास कुछ अहसास मेरे पासकर रही हूं आज वो तुमको समर्पित। मुट्ठियों में हूं सहेजे बालपन की गिट्टियांभेज न पाई कभी जो प्रेम की कुछ…

शिवोहम् – (कविता)

शिवोहम् आंखों की नमी से गूंदती हैज़िन्दगी का आटाथपकियां दे देकर चकले की धार परगोल-गोल घूमती हैरिश्तों की आंच पर रोटी के साथ-साथसिंकती है खुद भीउनके लिएबड़के और छुटकी के…

जिंदगी की चादर – (कविता)

जिंदगी की चादर जिंदगी को जिया मैंनेइतना चौकस होकरजैसेकि नींद में रहती है सजगचढ़ती उम्र की लड़की कि कहींउसके पैरों से चादर न उघड़ जाए। ***** – अलका सिन्हा

बेइन्तहा मुहब्बत – (कविता)

बेइन्तहा मुहब्बत सच है, मैंने किया है तुमसे अटूट प्रेमबेइन्तहा मुहब्बतले ली है दुनिया भर से लड़ाईपर जुनून ही न हुआ तो मुहब्बत कैसीसच है, मैंने दीवानावार चाहा है तुम्हें।…

भंडारघर – (कविता)

भंडारघर पहले के गांवों में हुआ करते थेभंडारघर।भरे रहते थे अन्न से, धान से कलसेडगरे में धरे रहते थेआलू और प्याज़गेहूं-चावल के बोरेऔर भूस की ढेरी मेंपकते हुए आम।नई बहुरिया…

बहुत मुश्किल है – (कविता)

बहुत मुश्किल है बहुत मुश्किल हैरंगों से भरे कैनवास परसफ़ेद चुप्पी के रंग को उकेरनातमाम उम्र जो रंग भरती रही जीवन मेंउस मॉं को सफ़ेद चादर में लपेटनाया अपनी ही…

हमें रास आ गई है – (कविता)

हमें रास आ गई है कभी क़िस्सागोईकभी सड़ककभी रसोईकभी बतकहीकभी अनकहीकभी यूँ ही भटकनाकभी बिन बात अटकनाकभी किताबों की बातेंकभी बेबाक़ मुलाक़ातेंकभी ईद कभी तीजकभी इक दूजे पर खीजकभी लड़ना…

स्त्री होना… – (कविता)

स्त्री होना… मेरी ना उसे स्वीकार नहीं थीमेरी हाँ भी होती तो भी नहीं बदलता कुछ भीपुरूष होने का या स्त्री होने काअंतर तो रहता ही हमेशाबड़ा आसान है मुझे…

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