दिल्लगी – (कविता)
दिल्लगी आँखों ही आँखों में आपने ना जाने क्या कह दिया।कि हमने अपना दिल आपके नाम कर दिया।।बस यही तो एक भूल की हमने।कि बिना सोचे समझे आपसे प्यार कर…
हिंदी का वैश्विक मंच
दिल्लगी आँखों ही आँखों में आपने ना जाने क्या कह दिया।कि हमने अपना दिल आपके नाम कर दिया।।बस यही तो एक भूल की हमने।कि बिना सोचे समझे आपसे प्यार कर…
सई शिधये मेरा नाम सई शिधये है। मैं पुणे, महाराष्ट्र से हूँ।वर्तमान में जापान में रह रही हूँ।मुझे कविताएँ और शायरी पढ़ना बहुत पसंद है और मैं खुद से कुछ…
जिनकी गोद-भराई नहीं होती -अनिल प्रभा कुमार चाय का प्याला साथ की तिपाई पर रखते हुए, मां ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा। “उठ जा बेटे, आज तो…
अमेरिका के पटल पर हिंदी भाषा और साहित्य –अनिल प्रभा कुमार यह एक तथ्य है कि वर्तमान समय में विश्व पटल पर भारतीय छाए हुए हैं। स्वाभाविक है कि उनके…
फिर से –अनिल प्रभा कुमार केशी पांच सीढ़ियां नीचे धंसे फ़ैमिली रूम में, आराम-कुर्सी पर अधलेटे से चुपचाप पड़े थे। व्यस्तता का दिखावा करने के लिये सीने पर किताब नन्हे…
अनिल प्रभा कुमार जन्म : दिल्ली में। शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी आनर्स और एम.ए तथा आगरा विश्वविद्यालय से “हिन्दी के सामाजिक नाटकों में युगबोध” विषय पर पी एच.डी.…
चला आया हूँ चला आया हूँ, उस दौर को छोड़कर,उस खेल को छोड़कर, उस छाँव को छोड़कर।आ गया हूँ, कहाँ, पूछता हूँ खुद से,जाना कहाँ है, ये भी नहीं है…
गांधी के सपनों का भारत, आ निकला है किस ये पथ पर उम्र जवां है, उमड़ा यौवन, दिल मे लेकिन चुभता नश्तर।।बोस, आजाद, बिस्मिल, जैसे थे मणि के हीरे।चमक रहे…
शर्म की बात है! बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ,नारा तुम लगाते हो।आती है जब बात न्याय की,चुप्पी साध क्यों जाते हो?आठ साल की बच्ची थी वो,थी वो दुनियाँ से अनजान।बनाया उसको…
इंसाफ का सवाल वाह रे मेरे देश के इंसान,मारते हो इक छोटी सी बच्ची,और चिल्लाते हो,मेरा भारत महान।वाह रे, मेरे देश के फ़नकार,खिताब न लौटाओगे अब,बैनर न लगाओगे अब,अरे झूठे…
अलविदा कलाम! कहाँ चल दिये यूँ छोड़ कर हमें,अभी तो बहुत सारे काम बाकी हैं!आपने कहा था सोने न दें जो, वो हैं सपनें,अभी तो उन सपनों की उड़ान बाकी…
मेरी नवल जवानी ऊँचे पर्वत, नीला आसमाँ, नौका और पतवार।मेरी नवल जवानी को छू जाती, शीतल मंद बयार।। प्रकृति का सौंदर्य, और सूर्य की मुस्कान।मिल जाये जहाँ, उसे ही तू…
डॉ. सूर्य प्रताप सिंह डॉ. सूर्य प्रताप सिंह वर्तमान में टोक्यो में रहते हैं और अनुबंध के आधार पर टोक्यो मेट्रोपॉलिटन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।…
माँ देवी अहिल्याबाई होळकर मन्दिर टूटे, मुरत टूटी, हुआ धर्म पर कुटील प्रहारमाँ देवी अहिल्याबाई ने किया सबका जीर्णोद्धार जनमी किसान के घर में, तो बहू थी वो राजघराने कीराज…
समय पखेरू समय पखेरू उड़ता जाता लेकर अपने संग हमेंसुख-दुःख के दिखलाते जाता नए नए से रंग हमें कर्म किया और फल की इच्छा, मानव को संतोष नहींजैसी करनी, वैसी…
मन मंथन सोचता हूं मन में मेरे जाने क्या क्या चल रहा है,आग जैसे बह रही है, पानी जैसे जल रहा है मेरे अन्दर एक जंगल जाने कब से बस…
सीता-लक्ष्मण संवाद सौमित्र तुम्हे हैं धन्यवाद वन निर्जन में पहुंचाते होमेरी नियती के लेखे को पढने से क्यूँ सकुचाते होराजाज्ञा पालन करने में लक्ष्मण व्यर्थ मत करों शोकअपनी गति बहता…
राम भजन रामा रघु नंदना, रामा रघु नंदनाचरण कमल कब ले आओगे दाता मेरे अंगनारामा रघु नंदना कब से तेरी राह निहारूंअपना सब कुछ तुझ पर वीरूंतेरे दरस से जनम…
लेकर के अगला जन्म जो इस हृदय में है छुपी वो बात न बतला सकूँलेकर के अगला जन्म ही शायद मैं तुझको पा सकूँ संग में हवाओं के बसंती खुशबू…
जोगिया तेरे प्रीत का रंग न रंग जोगिया मोहे अपने तू रंग मेंचाहूँ मैं रंगना अपने ही ढंग में तेरे ही रंग में रंग जो गई मैंमैं न रही मैं,…