ख्यालों में गुम – (कविता)
ख्यालों में गुम जब कभी उड़ती हैतनहाइयों की धूलतब ले आती हैपवन यादों की बारिशजैसे कई लहरें,उछलती, गिरती, बैठतीसूने तट को बहलातीयाकोई निराश आवाज़घूमती, गुनगुनातीकिसी टूटे साज़ को धड़कातीवैसे हीउनकी…
हिंदी का वैश्विक मंच
ख्यालों में गुम जब कभी उड़ती हैतनहाइयों की धूलतब ले आती हैपवन यादों की बारिशजैसे कई लहरें,उछलती, गिरती, बैठतीसूने तट को बहलातीयाकोई निराश आवाज़घूमती, गुनगुनातीकिसी टूटे साज़ को धड़कातीवैसे हीउनकी…
ऋण दिव्य शक्तियों की बात पुरानीशास्त्रों में मिलती कई कहानीवेदों का अनंत ज्ञानप्रकृति का करता गुणगानप्राचीन काल सेगहरी आस्था हमारीजिससे है सृष्टिजन जवीन सारीपृथ्वी, जल, वायु, अग्नि आकाशपंच महाभूतों के…
इंटरनेट वाला प्यार –सुभाषिनी कुमार कई बार ऐसा होता है कि हमारी खुशी हमारे आस पास ही होती है लेकिन वो हमें दिखती नहीं। मैं बा शहर के एक छोटे…
फीजी और भारत की मिली-जुली संस्कृति डॉ. सुभाषिनी कुमार फीजी द्वीप समूह एक बहुसांस्कृतिक द्वीप देश है जिसकी सांस्कृतिक परंपराएं महासागरीय यूरोपीय, दक्षिण एशियाई और पूर्वी एशियाई मूल की हैं।…
पंडित कमला प्रसाद मिश्र : फीजी के राष्ट्रीय कवि डॉ. सुभाषिनी कुमार पंडित कमला प्रसाद मिश्र हिंदी जगत के एक जाज्वल्यमान सितारे रहे हैं। हिंदी के प्रति उनकी तपस्या से…
गिरमिटियों के उद्धार में पं. तोताराम सनाढ्य का योगदान -डॉ. सुभाषिनी लता कुमार पं. तोताराम सनाढ्य ने अपने गिरमिट अनुभव को ‘फीजी द्वीप में मेरे 21 वर्ष’ नामक पुस्तक में…
अपना बसिंदा आज कल न जाने क्योंदिन घिसते-घिसतेरात हो जाती हैऔर रात – एक लम्बी बनवासदिखाई देती है मुझेये सूरज चाँद सितारेलेकिन दिखता नहीं क्योंअपना बसिंदा आम का पेड़जो सालों…
ये दिवाली वो दिवाली क्या याद है तुम्हेंअपनी वो दिवालीउस गाँव केछोटे से घर परअब तोकई साल बीत गए हैंछूट गया गाँवटूट गया वो घरहमारी दिवाली के बीचआमावस आ गई…
मदहोश परिंदे! ऐ थम जा मदहोश परिंदे!ये चाँद सी तड़पसूरज सी जलनअरमानों कोराख कर देगाहमारे सपनों कोखाक कर देगाऐ थम जा मदहोश परिंदे!उड़ना मुझको आता नहींजलना हमें गवारा नहींतुम उस…
एक चेहरा हजारों चेहरों मेंमैं ढूँढ़ रहा हूँछोटी सा आरजू लेकरवहीं नगर वहीं डगरघूम रहा हूँघूम रहा हूँघूम रहा हूँआँखों में बसी हैतेरे घुँघराले बालऔर चमचमाते झुमकेजो कर देती है…
पिंजरा एक छोटी सी पोटलीएक मीठा सा सपनालेकर झगरूचला सात समुद्र पारबारह सौ मील दूरजब आँख खुलीतो पाया रमणीक द्वीपसाहब का कटीला चाबुकऔर भूत लैन मेंएक अंधेरा कमरारोया, गाया, भागा,बहुत…
नाम में का रखा है! -खमेन्द्रा कमल कुमार चलो सुनाई तुम लोग के एक कहानी। तो सुनो! सुन्दर दिन रहा, चटक घाम निकला और मंद मंद पुरवैया चलत रहा। जब…
चलो मुलुक खमेंद्रा कमल कुमार हम भी सोचा कि ई कौन झंझट में फस गवा। दुई चार पेनी पैसा बचा है, जनाइ बुढ़ापा में यहो डूब जई। ई सब मुसीबत…
खमेन्द्रा कमल कुमार खमेन्द्रा कमल कुमार फीजी नेशनल यूनिवर्सिटी के लौटोका कैंपस में कार्यरत हैं। आप अंग्रेजी के साथ-साथ फीजी हिंदी में कहानियाँ और कविता लिखते हैं। सन् 2018 में…
शाम अच्छे से वाकिफ़ हूँ इससेजो अंधेरे जैसी छाई है,जमाना कहे जिसे आज़ादीएक लंबी सी तनहाई है ।ए ख़ुद की मर्जी की मालिक,तूने क्या किस्मत पाई है,कहते हैं जिन्होंने हर…
पहाड़ और नदी मैं, दुर्गम, कठोर पहाड़वह खिलखिलाती बहती नदी थी,ताज़्जुब नहीं कि चली गईहैरत है कि वह कभी मेरी थी।मेरा ठहराव,शायद कभी समझी नहीं।अच्छा हुआ के मुझ पत्थर संगवह…
दिल्लगी आँखों ही आँखों में आपने ना जाने क्या कह दिया।कि हमने अपना दिल आपके नाम कर दिया।।बस यही तो एक भूल की हमने।कि बिना सोचे समझे आपसे प्यार कर…
सई शिधये मेरा नाम सई शिधये है। मैं पुणे, महाराष्ट्र से हूँ।वर्तमान में जापान में रह रही हूँ।मुझे कविताएँ और शायरी पढ़ना बहुत पसंद है और मैं खुद से कुछ…
जिनकी गोद-भराई नहीं होती -अनिल प्रभा कुमार चाय का प्याला साथ की तिपाई पर रखते हुए, मां ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा। “उठ जा बेटे, आज तो…
अमेरिका के पटल पर हिंदी भाषा और साहित्य –अनिल प्रभा कुमार यह एक तथ्य है कि वर्तमान समय में विश्व पटल पर भारतीय छाए हुए हैं। स्वाभाविक है कि उनके…