Month: July 2024

 “कपास मार्ग ” का शोध – अध्ययन  -< ह्वांग ताओ फ़ो> उपन्यास से प्रारंभ

मूल लेखक – प्रो. यु लोंग यू , निर्देशक , भारत अध्ययन केंद्र , शनचन विश्ववविद्यालय , चीन अनुवादक – डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी , एसोसिएट प्रोफ़ेसर (हिंदी ), क्वान्ग्तोंग…

सब बिज़ी हैं!

सब बिज़ी हैं! जी, सभी व्यस्त हैं ऐसा भी लिखा जा सकता था किन्तु वह यथार्थ का परिमार्जित संशोधित रुप होता अर्थात् व्याकरणीय छन्नी से छानकर आदर्श की मिलावट के…

लू शुन (鲁迅)

लेखक परिचय – लू शुन ( 25 सितम्बर 1881 – 19 अक्तूबर 1936 ) चीन के प्रसिद्ध लेखक हैं I इन्हें आधुनिक चीनी साहित्य के पितामह के नाम से जाना…

नववर्ष का बलिदान – मूल लेखक – लू शुन (चीन )

चीनी से हिंदी अनुवाद – डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी, एसोसिएट प्रोफ़ेसर (हिंदी ), क्वान्ग्तोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, चीन पुराने कैलेण्डर के अनुसार साल का अंत बहुत ही सुखद लग रहा…

स्त्री विमर्श में ‘स्त्री’

दैहिक, वैचारिक, आर्थिक अथवा सामाजिक समता एवं स्वतंत्रता? आख़िर वह कौन सी धुरी है जिसके इर्द-गिर्द, गले में नारीवाद की घंटी लटकाकर कोल्हू के बैल सदृश जुते हुए विचारक, वर्षों…

 “कपास मार्ग ” का शोध – अध्ययन  -< ह्वांग ताओ फ़ो> उपन्यास से प्रारंभ

मूल लेखक – प्रो. यु लोंग यू , निर्देशक , भारत अध्ययन केंद्र , शनचन विश्ववविद्यालय , चीन अनुवादक – डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी , एसोसिएट प्रोफ़ेसर (हिंदी ), क्वान्ग्तोंग…

विश्व हिन्दी दिवस विशेष आलेख

10 जनवरी 1974 में नागपुर में आयोजित पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगाँठ को चिह्नित करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के द्वारा 10 जनवरी 2006 से एक…

पुरस्कृत कविता

किन्हीं कम प्रसिद्ध कविवर के काव्य-संकलन को जब साहित्य के श्रेष्ठ सम्मान से पुरस्कृत किया गया तो मन में जिज्ञासा जागी कि तनिक उनकी कविताओं का आस्वादन किया जाए। हम…

अतिथि देवो भव:

घर के अहाते में क़दम रखते ही गुड्डी की नज़र बरामदे में टंगे हुए डंडों पर झूलते नए पर्दों पर गई । प्रतिदिन की तरह विद्यालय से लौटते ही वह…

हाथी के दाँत

मेज़ पर जमी हुई धूल को तर्जनी ऊँगली से हटाते हुए और उसे शेष उंगलियों से रगड़कर झाड़ते हुए शर्मा जी झुंझलाए और फिर ऊँचे स्वर में कामिनी को पुकारते…

खाई

(मूल मैथिली कविता श्री मंत्रेश्वर झा, भारत) हिन्दी अनुवाद – आराधना झा श्रीवास्तव, सिंगापुर कैसे पाटी जाएगी ये खाई? ये पीढ़ियों का अन्तर जो निरन्तर होती जा रही है गहरी…

मंत्रेश्वर झा

भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश प्राप्त अधिकारी श्री मंत्रेश्वर झा को वर्ष 2008 में मैथिली भाषा में लिखित अपनी संस्मरणात्मक कृति ‘कतेक डारि पर’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से…

प्रतीक्षा

(मैथिली कविता एवं उसका हिन्दी अनुवाद – आराधना झा श्रीवास्तव) ज्यों जहाज का पंछी अपने पंखों से माप देता है सागर पर संध्याकाल में लौट आता है पुन: उसी जहाज…

इक भारत मुझ में बसता है

इस प्रवासी काया में मेरा देसी मन ये कहता है, मैं जाऊँ जहाँ, जहाँ भी रहूँ इक भारत मुझमें बसता है । बेहतर कल की आशा में हमने लाँघी देश…

अतीत के अवशेष

समय की मार ने उधेड़ दी है घर के दीवारों की चमड़ी बुज़ुर्ग छत पर पड़ गयी हैं सिलवटें झुर्रीदार दरवाज़ों की भिंची हुई मुट्ठियाँ पड़ती जा रही हैं नरम…

आराधना झा श्रीवास्तव

आराधना झा श्रीवास्तव, सिंगापुर यूट्यूब : https://www.youtube.com/c/AradhanaShrivastavaUvach फ़ेसबुक पेज : https://www.facebook.com/aradhanakiabhivyakti.writer एक्स : https://twitter.com/AradhanaJhaShri इंस्टाग्राम : https://www.instagram.com/aradhanajhashrivastava आराधना झा श्रीवास्तव एक दशक से अधिक समयावधि से सिंगापुर में प्रवास कर…

सुहाना सुहाना लगे     

सुहाना सुहाना लगे यह मौसम, यह रिमझिम यह सरगम यह गुंजन यादों के बीच चले जब बचपन मदहोश लहरों से सतरंगी सपने आँखों में ठहरे साँझ सबेरे धरती को चूमें…

मैं सदा मुस्कराती रहूँगी

मैं चाहे अभी मज़बूर हूँ रुग्ण हूँ पर टूटी नहीं हूँ आंचल में खुशियाँ समेटे, मैं सदा यूँ मुस्कराती रहूँगी। रावण से कैंसर को भस्म करे, वह राह चाहे है…

एक चाहना

चाहती हूँ आज देना प्यार का उपहार जग को। मुग्ध सपनों की बगिया से, तोड़ मैं कुछ फूल लाई भावनाओं के भवन से, रस भरे वह मधु गान लाई। कंठ…

पत्थर के भगवान

नीना ने गणेश जी की मूर्ति के सामने आरती का दिया रखा और श्रृद्धा से सिर झुकाकर प्रार्थना की। वहीं साथ ही क्राइस्ट की मूर्ति भी थी, उसके सामने भी…

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