भारतम्बा – (कविता)
– सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका भारतम्बा भारत की मातृ देवीहो सब की तुम माताजन जन कहे तुम्हे जननीअपनी सर्वश्रेष्ठ भारत मातामाँ सुन लो सब की पुकारगिरे हुओं को फिर से उठाओ…
हिंदी का वैश्विक मंच
– सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका भारतम्बा भारत की मातृ देवीहो सब की तुम माताजन जन कहे तुम्हे जननीअपनी सर्वश्रेष्ठ भारत मातामाँ सुन लो सब की पुकारगिरे हुओं को फिर से उठाओ…
– सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका वसंत देखो फिर वसंत है आयाअपने संग मधुरता लाया लद गइ हर तरु की डालीफूलों संग हवा मतवालीकुदरत का है रूप सलोनाकिसने किया हसीन टोना कोयल…
–सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका प्रज्ज्वलित शिकारा स्याही सी काली रात छा रही हैधरा से ज्वालाएं ऊपर आ रही हैंहर ओर है मातम का समांधू-धू करता धुआँ उठ रहा हैउसके बीच कोई…
– सुषमा मल्होत्रा, अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस आज है अंतरराष्ट्रीय दिवसमज़ेदार अपनी चाय का,बेहतर जीवन जीने के लिएस्वाद लो हमारी चाय का। ठण्ड पड़ती हो या गर्मीआंख नहीं खुलती है…
सुषमा मल्होत्रा न्यूजर्सी , अमेरिका सेवानिवृत्त सहायक प्राचार्य, न्यूयॉर्क शहर शिक्षा विभाग पूर्व सहायक व्याख्याता, क्वींस कॉलेज, सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क ईमेल- sushmam626@gmail.com शिक्षा: संप्रति: a) एडजंक्ट लेक्चरर (सहायक व्याख्याता):…
आधारशिला साहित्यम् पत्रिका अपने 2025 के अक्टूबर अंक (18) के लिए हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कहानी प्रतियोगिता आयोजित कर रही है। प्रतियोगिता के लिए रचनाकारों से निम्नांकित…
जर्मनी में इंटरनेशनल फ्रीडनशूले (कोलोन), वैश्विक हिन्दीशाला संस्थान (VHSS, विहस), एवं सृजनी ग्लोबल चैनल के संयुक्त तत्वावधान में विश्वरंग फाउंडेशन द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ओलंपियाड 2025 के पोस्टर का हुआ…
अनुवादक – हिरोयुकी सातो, जापान हनुमान-चालीसा『ハヌマーン・チャーリーサー』 दोहा(ドーハー) श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥尊師の蓮華のような足の[花粉のような]塵によって、私は自らの心の鏡を浄め、ラグ族の優れた者(ラーム)の汚れのない栄華を讃える。それは四つの果報を与える。 बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन¬कुमार ।बल…
उर्दू लेखिका सावित्री गोस्वामी – रीता कौशल, ऑस्ट्रेलिया कुछ रिश्ते नाम के होते हैं, और कुछ रिश्तों के नाम नहीं होते। ऐसा ही अनाम रिश्ता था मेरा, उर्दू लेखिका सावित्री…
संस्कार – रीता कौशल, ऑस्ट्रेलिया इशान फूला नहीं समा रहा था। ख़ानदान-परिवार में ही नहीं बल्कि अपनी मित्र मंडली में वह पहला व्यक्ति है जो अपनी मास्टर डिग्री करने के…
रीता कौशल जन्म: आगरा – उत्तर प्रदेश – भारत नागरिकता: ऑस्ट्रेलियाई कार्यक्षेत्रः प्रकाशन: मौलिक पुस्तकें सम्पादित पुस्तकें विविध प्रकाशन कई साझा संग्रहों व प्रतिष्ठित राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं (इंद्रप्रस्थ-भारती, साहित्य-अमृत,…
– मृणाल शर्मा, ऑसट्रेलिया दोपहर की अकेली पगडंडी वह दोपहर की एक अकेली पगडंडी,जो मेरे घर के ठीक पीछे निकलती है,न जाने कहाँ जाती है ?बेखौफ उन झाड़ियों में खो…
– मृणाल शर्मा, ऑस्ट्रेलिया पेड़ लगाना यज्ञ है जब यौवन सो चुका युद्ध की बेला,और मांग रहा रण अपनी आहुतिउस समय बिन विचारे घर-घर वीर जगाना यज्ञ है जब धरा…
– मृणाल शर्मा चिड़ियों को दाना मै चिड़ियों को दाना,पीने को पानी क्यों दूँ ?यह जबरन झरोखों से,भीतर घुस आती हैअलमारियों के पीछेपंखे के ऊपर घोंसले बनाती हैटूटते परिवारों के…
मृणाल शर्मा जन्म – छत्तीसगढ़ की संस्कारधानी राजनाँदगाँव मे जन्म |निवास – गत १५ वर्षों से सिडनी(ऑस्ट्रेलिया) में निवास |शिक्षा एवं कार्य – विज्ञान में प्रारंभिक शिक्षा एवं इंजीनियरिंग में…
– विनोद पाराशर तुम्हारी नज़र में तुम्हारी नज़र मेंजो मैं हूँवो मैं नहीं हूँ।जो मैं नहीं हूँदरअसल-मैं वही हूँ।मेरा-मुस्कराता चेहरा-शानदार पोशाक-चमचमाते जूतेदेखकर-जो तुम समझ रहो होवो मैं नहीं हूँ।जो मैं…
– विनोद पाराशर शरीफ़ आदमी शरीफ़ आदमीसीधा होता हैएकदम सीधाजैसे गधा!शरीफ़ आदमीअक्सरनाक की सीध में चलता हैउसेनहीं दिखाई देताऊपर काखुला आकाश!नीचे काकठोर धरातल!शरीफ़ आदमीकम ही जगता हैअक्सर सोता हैशरीफ़ आदमीदरअसल-कुम्भकरण…
– विनोद पाराशर खूबसूरत कविता! मैं /जब भीलिखना चाहता हूंकोई खूबसूरत कविता!अभावों की कैचीकतर देती हैमेरे आदर्शों के पंख!कानों में-गूंजती हैं-आतंकित आवाजेंन अजान,न शंख! मैं/जब भीलिखना चाहता हूंकोई खूबसूरत कविताभ्रष्टाचारी…
– विनोद पाराशर सुख और दुःख! हम-यह जानकरबहुत सुखी हैंकि-दुनिया के ज्यादातर लोगहमसे भी ज्यादा दु:खी हैं!पिता-इसलिए दु:खी है-कि बेटा कहना नहीं मानताबेटे का दु:ख-कैसा बाप है!बेटे के जज्बात ही…
– विनोद पाराशर स्त्री की पहचान! जब वहपैदा हुईतो बनीकिसी की बेटीकिसी की बहनबढ़ती रहीखर-पतवार-सीकरती रहीसब-कुछ सहन।जवान हुईबन गयीकिसी की पत्नीकिसी की भाभीतो किसी की पुत्र-वधु!विष पीकर भी-घोलतीं रहीओरों के…