Category: प्रवासी साहित्य

ग़ुस्सैल हवा – (कविता)

धर्मपाल महेंद्र जैन ***** ग़ुस्सैल हवा हवा ऐसी नहीं थी कभीकि सरपट दौड़ने लगे धरती परवायुयान-सी तेज़अंधी हो जाए और ज़मींदोज कर जायेयौवन से भरे पेड़उड़ा ले जाए घरों की…

मेरे भीतर कितने ‘मैं’ हैं – (कविता)

धर्मपाल महेंद्र जैन ***** मेरे भीतर कितने ‘मैं’ हैं मेरे भीतर कितने ‘मैं’ हैं जाने-अनजाने।कितने ‘मैं’ नए, किंतु कुछ बहुत पुराने। एक मैं हूँ बच्चा बचपन का।एक मैं हूँ ज्ञानवान…

सफेद बत्तखें – (कहानी)

सफेद बत्तखें हंसा दीप मेरी पत्नी बहुत कम बोलती है। मैं उसकी चुप्पी का आदी हूँ। उसकी आँखों की पुतलियाँ मुझे उसकी हर बात समझा देती हैं। जब दोनों आँखें…

टूक-टूक कलेजा – (कहानी)

टूक-टूक कलेजा हंसा दीप सामान का आखिरी कनस्तर ट्रक में जा चुका था। बच्चों को अपने सामान से भरे ट्रक के साथ निकलने की जल्दी थी। वे अपनी गाड़ी में…

अमर्त्य – (कहानी)

अमर्त्य हंसा दीप बीज और दरख़्त के फासलों को रौंदने में कामयाब नोआ की निगाहें अपनी सोच में वह सब देख लेतीं जो वह देखना चाहती थी। एक-एक शब्द को…

बाल कहानी संकलन ‘डोडो और अन्य कहानियाँ’ – (पुस्तक परिचय)

डॉ. राज शेखर द्वारा रचित कहानी संकलन ‘डोडो और अन्य कहानियाँ’ राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत सरकार (उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय) द्वारा प्रकाशित की गई है। राष्ट्रीय बाल पुस्तकालय के…

मां – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल ***** मां मां विश्व हैमां संसार हैमां ब्राह्माण्ड हैमां विश्वकोश हैमां महासागर है। मां हमारा जीवन की पूजा हैमां हमारी शक्ति हैमां हमारा सम्मान हैमां हमारी पहचान हैमां…

भावना – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल भावना भावना एक जस्बात् है।भावना एक एहसास है।भावना दिल की कशिश है। भावना एक पूरी दूनिया है।भावना एक महासागर है।भावना सकारात्मकता एवं नकारात्मकता का मेल है।भावना का जागरण…

आत्म-सम्मान – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल आत्म-सम्मान आत्म-सम्मान आपका जीवन का मूल्यवान निधि हैहमेशा इसकी रक्षा करना आपकी ज़िम्मेदारी हैआत्म-सम्मान न बाज़ार में बेचा जाता हैऔर न मंडी में प्राप्त होता हैआप स्वयं आत्म-सम्मान…

मातृभूमि – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल मातृभूमि मातृभूमि! मातृभूमि!मेरी प्यारी मातृभूमि! मानव प्रेमी बनोकर्म प्रेमी बनोस्वाभिमानी बनोबुद्धिमानी बनो! अशक्त नहीं सशक्त बनोपरतंत्र नहीं स्वतंत्र बनोप्यार बाँटोप्रेम करो! मातृभूमि का सम्मान करोकानून का रक्षक बनोकानून…

इश्क – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल ***** इश्क इश्क को प्यार, मुहब्बत भी कहते हैंइश्क एक एहसास हैएक भावना हैहमारा जीवन का आधार हैइश्क ही हमारा जीवन का केन्द्र-बिन्दु है। इश्क आप कलम से…

परिवार- हमारे विश्व कूँजी – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल ***** परिवार- हमारे विश्व कूँजी परिवार जीवन के सर्वोत्तम प्राथमिकता हैपरिवार ही जीवन और प्राण हैपरिवार हैतो हम हैपरिवार हमारी पहचान है। परिवार हमें जीवन दान देता हैपरिवार…

आधुनिक गिरमिटिया – (लघुकथा)

आधुनिक गिरमिटिया डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे, नीदरलैंड कल कारला को एक सामाजिक कार्यक्रम का हिस्सा बनने का अवसर मिला। क्योंकि कार्यक्रम भारतीय था इसलिए कारला ने भारतीय परिधान पहना…

फ़्लू – (लघु कथा – अनुवाद)

फ़्लू डॉ. शैलजा सक्सेना आज विभाग के मुख्यसचिव दौरा करने आ रहे थे। पिछले बार जब मुख्यसचिव आए थे तब नीता असिस्टेंट सैक्शन ऑफिसर बनी ही थी। उस को यह…

बाल-उपन्यास ‘बिन्नी बुआ का बिल्ला’ – (पुस्तक समीक्षा)

बाल-उपन्यास ‘बिन्नी बुआ का बिल्ला‘ शन्नो अग्रवालshannoaggarwal1@hotmail.com दिव्या माथुर का बाल-उपन्यास ‘बिन्नी बुआ’ का बिल्ला’ एक ऐसे आदर्श परिवार का ढांचा दिखाता है जिसकी परिकल्पना शायद हर बच्चे का सपना…

चाँद

चाँद भीबहरूपियाऔर छलिया है कभी तोप्रेमिका केसुन्दर मुखड़े सादिख जाता हैया कभीउसकी याद मेंदिल मेंटीस जगाता है कभी तोचौथ की पूजा के समयबादलों मेंछुपकर सताता हैतो कभी अँधेरी रात मेंराहगीरों…

जापान में गणेश जी के मंदिर एवं महिमा – (आलेख)

जापान में गणेश जी के मंदिर एवं महिमा गणेश गिरि, वाकायामा, जापान जापान में यद्यपि हिंदू धर्म विशेष गणेश मंदिर नहीं हैं, वर्तमान में कुछ भारतीय संगठनों ने टोक्यो, क्योतो,…

हम लखनौवा हैं : दोस्ती नहीं यारी निभाते हैं – (कविता)

हम लखनौवा है : दोस्ती नहीं यारी निभाते है डॉ शिप्रा शिल्पी, कोलोन, जर्मनी क्या फर्क पड़ता कोई आपको क्या समझता है, दोस्त वही जो आपको समझने की समझ रखता…

नीना पॉल को याद करते हुए – (संस्मरण)

नीना पॉल को याद करते हुए -डॉ अरुणा अजितसरिया एम बी ई, ब्रिटेन नीना पॉल से मेरा परिचय मेरे घर पर तेजेंद्र शर्मा जी द्वारा आयोजित कथा यूके की कथा…

सर्कस के क्लाउन की डायरी का पन्ना – (कहानी)

सर्कस के क्लाउन की डायरी का पन्ना विजय विक्रान्त, कनाडा जैमिनी ब्रदर्स सर्कस में क्लाउन की नौकरी करते हुये मुझे बीस साल से ऊपर हो गये थे। अपनी उछल कूद…

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