सरस्वती वन्दना – (कविता)
सरस्वती वन्दना मुझको नवल उत्थान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो॥ माँ शारदे! हंसासिनी!वागीश! वीणावादिनी!मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो॥माँ सरस्वती! वरदान दो॥ निष्काम हो मन कामना,मेरी सफल हो साधना,नव गति, नई लय तान…
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सरस्वती वन्दना मुझको नवल उत्थान दो।माँ सरस्वती! वरदान दो॥ माँ शारदे! हंसासिनी!वागीश! वीणावादिनी!मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो॥माँ सरस्वती! वरदान दो॥ निष्काम हो मन कामना,मेरी सफल हो साधना,नव गति, नई लय तान…
नया उजाला देगी हिन्दी तम-जाला हर लेगी हिन्दी,नया उजाला देगी हिन्दी।विश्व-ग्राम में सबल सूत्र बन,सौख्य निराला देगी हिन्दी।द्वीप-द्वीप हर महाद्वीप में,हम हिन्दी के दीप जलाएँ। जीवन को सक्षम कर देगी,वर्तमान…
धरती कहे पुकार के दूर-दूर तक फैली धरती,देखो कहे पुकार के।ओ वसुधा के रहने वालों!रहो सर्वदा प्यार से॥ नाम अलग हैं देश-देश के,पर वसुन्धरा एक है,फल-फूलों के रूप अलगपर भूमि…
स्व. प्रो. हरिशंकर आदेश जन्म-स्थान: भारत शिक्षा: एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत, संगीत), बी.टी. साहित्याचार्य, साहित्यालंकार, साहित्य रत्न, विद्या वाचस्पति, संगीतविशारद, संगीताचार्य आदि । उपलब्धियाँ: त्रिनिदाद और टोबैगो सरकार का हमिंग बर्ड स्वर्ण…
मेरी काया श्वासों के द्वार पर खड़ीमेरी कायाकाल का कासा पकड़ेमुक्ति का दान माँगती है! मेरी कायामेरा दिल चाहता है,तेरे मस्तक पर मैं कोई नया सूरजरौशन कर दूँ! तेरे पैरों…
गुमशुदा बहुत सरल लगता था कभीचुम्बकीय मुस्कराहट सेमौसमों में रंग भर लेना सहज हीपलट करइठलाती हवा काहाथ थाम लेना गुनगुने शब्दों काजादू बिखेरउठते तूफ़ानों कोरोक लेना और बड़ा सरल लगता…
विराट वह मेरी दोस्त-रानी,अपने अस्तित्व का रहस्य समझइक दिन जब घर से निकलीतो ओस की बूँदों नेउसके पाँव धोएपर्वत की ओर जाती पगडंडी नेउसको अपनी ओर आकर्षित कियापंछि यों की…
पैग़म्बर पर्वत चोटी पे खड़ा था वहबाँहें ऊपर की ओर फैलाएशान्त स्थिरगगन की ओर झाँकता . . . काले पहरनों में वहउक़ाब की तरह सज रहा . . . उसके…
सुरजीत जन्म स्थान: नई दिल्ली वर्तमान निवास: ब्रैम्पटन, ओंटेरियो शिक्षा: एम.ए.; एम.फिल. संप्रति : अध्यापन एवं इंश्योरेंस ब्रोकर (कैनेडा) प्रकाशित रचनाएँ: शिकस्त रंग, हे सखी, विस्माद, पारले पुल, परवासी पंजाबी…
अधूरा आदमी वहअपनी हर बात अधूरी छोड़आगे बढ़ जाता हैसंतुष्ट . . .पूर्णता के आभास से विश्वस्तछोड़ जाता हैतो एक प्रश्नचिह्नहवा में लटका हुआअपना सर पटकता हुआ! प्रश्नचिह्न . .…
यात्रा मैं अपने घोड़े पर सवार,हिमतुंगों का सर झुकाना चाहता हूँ, भूल गया हूँ किइन चोटियों पर विजय पाने के लिएपैदल चलना पड़ता हैक़दम-ब-क़दमभूल गया हूँ किपथरीले रास्तों पर –पदचिह्न…
हिमपात और मैं हिमपात . . .क्यों करता हूँतुम्हारी प्रतीक्षा . . .जानता हूँ कि तुम आओगेअपनी ठंडी हवाओं के साथसुन्न हो कर – झड़ जाएँगेअंग-प्रत्यंग . . .पतझड़ के…
सर्दी की सुबह और वसन्त घर की फ़ेंस पर बैठीमुटियाई काली गिलहरीजमा हुआ –आँगन, घर का पिछवाड़ाऔर नुक्कड़ के पीछे छिपीधैर्य खोती तेज़ हवा!उड़ायेगी बवंडरझर जाएँगीपेड़ों से बर्फ़ की पत्तियाँछा…
सविता अग्रवाल ‘सवि’ के हाइकु 1. बोझिल मनझील भरे नयनदूर आनंद। 2. कलियाँ चुनींझोली भर ली मैंनेमालाएँ बुनीं। 3. मैं सूक्ष्म सहीभव्यता के समक्षफिर भी जीती। 4. प्रेम का नातासिन्धु…
दर्पण टूटे दर्पण के टुकड़ों को मैंमिला मिला कर जोड़ रहीजोड़ कर दर्पण को मैं अपनेबिम्ब अनेकों देख रही एक टुकड़ा कहता है मुझ सेतू सुर-सुंदरी बाला हैबोला तपाक से…
आभास नील गगन में निशितारों ने,घूँघट अपना खोल दिया है।प्यार से तुमने देखा मुझको,ऐसा कुछ आभास मिला है॥ छवि तुम्हारी अंतर मन में,मुझे फुहारें सी देती है।लगता है इस बंजर…
स्वीकार नैया पर मैं बैठ अकेलीनिकली हूँ लाने उपहारभव-सागर में भँवर बड़े हैंदूभर उठना इनका भारना कोई माँझी ना पतवारखड़ी मैं सागर में मँझधार फिर भी जीवन है स्वीकार।राहों में…
सविता अग्रवाल ‘सवि’ जन्म स्थान: मेरठ (उ. प्र.) वर्तमान निवास: मिसिसागा, ओंटारियो शिक्षा: एम.ए. (कला), मेरठ विश्विद्यालय प्रकाशित रचनाएँ: काव्य संग्रह ‘भावनाओं के भंवर से’ प्रकाशित। कैनेडा, भारत और नेदरलैंड्स…
थोड़ा बहुत चले साँस जल्दी या चले हौले-हौलेथोड़ा-बहुत मैं जी लेती हूँ।जब तक है साँस तब तक है आस,थोड़ा-बहुत हौसला रखती हूँ। दुनिया के रस गर हो खट्टे या मीठेथोड़ा…
ख़ामोशी छाया चारों तरफ़ है ख़ामोशी का अँधेरालगता है कभी न होगा चहकता सवेरा।पेड़, पत्ते भी ख़ामोशी से ढके हुए है।आकाश में परिन्दे भी ख़ामोश हैं॥ पर्वत से समुन्दर तक…