Category: प्रवासी कविता

IIश्री रामII – (कविता)

IIश्री रामII माँ-बाप की सेवा करे, उसके ह्रदय में राम हैंजन-जन की जो पीड़ा हरे, उसके ह्रदय में राम हैं तन से यहाँ जो शुद्ध हो, और मन से भी…

उज्जैन महिमा – (कविता)

उज्जैन महिमा बहती है क्षिप्रा यहाँ, यह धरती है महाकाल कीशिक्षा दीक्षा यही हुई थी बलदाऊ गोपाल कीजय जय महाकालबाबा महाकाल सान्दीपनि का आश्रम हमको द्वापर में ले जाता हैमंगल…

ऑनलाइन शिक्षा – (कविता)

ऑनलाइन शिक्षा ऑनलाइन क्लास में पढ़ कर बना डॉक्टरजब यूटूब विडीओ ऑन कर इंजेक्शन की तय्यारी करने लगाहर दो सेकंड में विडीओ रोक कर, निर्देशों को पढ़ने लगातो हमारा पहले…

मुझे गीत से प्रीत नहीं है – (कहानी)

मुझे गीत से प्रीत नहीं है गा ना सकी तो ये मत कहनामुझे गीत से प्रीत नहीं हैरो ना सकी पर मन की गागरहौले हौले रीत रही हैइतने ज़ख़्म दिए…

पीर बहुत पर नीर नहीं – (कविता)

पीर बहुत पर नीर नहीं बरसों से सूखी आँखें है, पीर बहुत पर नीर नहींइन आँखों के पथराने में, क्या तुम ने मेरे मुस्काने मेंमहसूस की है कोई नमी कभी…

मतलब बदल गया है – (कविता)

मतलब बदल गया है तुम वहीमैं वहीहैं भी पर नहींक्यों ?क्योंकि मतलब बदल गया हैमतलब बदल गया हैपाने और खोने कासपने संजोने काअश्कों से रातों कोतकिए भिगोने कासाँसों के संगीत…

छाले – (कविता)

छाले चलो छिपा लें दिल के छालेऔरों से भी खुद से भीमाना हम गमगीन बहुत हैंऔर आंसू नमकीन बहुत हैरंगीन तराने चलो सुना लेऔरों से भी खुद से भी चलो…

आँचल – (कविता)

आँचल जोरो कि बरसती बारिश मेंजब पूरी छत टपकती थीएक खाट पर बैठी माँबच्चो और बक्से के संगपूरी रात सिसकती थीकमरे में बहते पानी मेंकितनी बारिश , कितने आंसूमाँ का…

मन की महाभारत – (कविता)

मन की महाभारत मैं कौरव, मैं पांडव ,मैं अर्जुन मैं दुर्योधनकैसे रोकूँ ये चीरहरण ,हैं पड़े सोच में मनमोहन नारी भिक्षा , नारी कायानारी को धनतुल्य बनायाधर्मराज कर रहे अधर्मकहाँ…

Love Meter का तहलका – (कविता)

Love Meter का तहलका धुआँधार गालियों की थी बमबारीDialogues (डॉयलॉग) की जारी थी गोलबारीहाथापाई की थी पूरी तय्यारीजब बीच बचाव करने पहुँचीदोनो की मय्या प्यारीअचानक तोपों का रूख बदल गयासारा…

जल रही हूँ – (कविता)

जल रही हूँ तप रही हूँ, जल रही हूँरूह तक पिघल रही हूँ सागर की अनगिनत नदियाँनदी का बस इक समंदर,यही है मेरा मुक़द्दरइसी जल में जल रही हूँ ।…

घर – (कविता)

घर घर तो पहले हुआ करते थेअब तो बस पत्थरों के मकान रह गए हैं एक अकेले कमरे में जहाँना तेरा था ना मेरा थासब कुछ जिसमें अपना थावो प्यारा…

ज़िंदगी की दौड़ – (कविता)

ज़िंदगी की दौड़ झुरमुट की ओट में खड़े होकरआँखें बंद करने सेरात नहीं होतीऔर न हीबिजली के बल्ब के सामने खड़े होकरदिन की अनुभूति होती हैदोनों ही नकारात्मक सत्य है।…

ललक – (कविता)

ललक ज़िंदगी एक दौड़ है-बैसाखी पर चलने की लाचारी नहींन हीं घुटनों के बलचलने का नाम है-जिसे वक़्त अपने डंडों से हाँकता रहेऔर प्रतिस्पर्धादौड़ की चाहत लिएपिछड़ जाए। तेज़ चलना…

एहसान – (कविता)

एहसान ज़िंदगीतुमसे कोई शिक़ायत नहीं !एहसानमंद हूँक्योंकि,कम से कममरने तो नहीं दिया तुमने !जिलाए ही रखा-साँसों में शराब की तरह,आँखों में ख़्वाब की तरह,ज़ख़्मों में नासूर की तरह,दुनिया में दस्तूर…

आयाम – (कविता)

आयाम आधुनिकता की दौड़ मेंसारे आयाम सरेआम बदलते जा रहे हैं-व्यक्ति का चारित्रिक मूल्य,पीढ़ियों का अन्तर्द्वंद्व,जातीयता का समीकरण,प्रांतीय विखंडित व्यवहारया राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय बाज़ारूपन। कौन ज़िम्मेदार है इनका?अतीत का पिछड़ापन,वर्त्तमान की तेज़…

ज़िंदगी का गणित – (कविता)

ज़िंदगी का गणित ज़िंदगी के गणित मेंनियमित लगे रहनाकितना परिणामदायक है-यह कहना, निस्संदेह मुश्किल है।इन ‘पहाड़ों’ का दैनिक जीवन में इस्तेमालतभी वाजिब है जब-दिल को जोड़ सकेदुश्मनी घटा सकेसुख को…

ज़िंदगी के पहलू – (कविता)

ज़िंदगी के पहलू i)ज़िंदगी एक बंद किताब हैजिसे खोलने की कोशिश तब सही हैजब इसके पन्नों को दोनों तरफ़ से पढा जाएमहत्त्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित किया जाएऔर अतीत के अवांछित…

किताब ज़िंदगी की – (कविता)

किताब ज़िंदगी की ज़िंदगी सिर्फ़काग़ज़ों पर जीना नहीं होताउसके लिएव्यावहारिक ज्ञान औररेखांकित प्रयास की ज़रूरत होती है तालीम की ईंटशुरुआती नींव तो दे सकती है;पर समुचित मज़बूत ढाँचाऔर कुशलता की…

आसमान वही छूते हैं – (कविता)

आसमान वही छूते हैं जो तूफ़ानों को चुनौती देते है,सपने उनके ही सच होते है।जो ऊँचाई से नहीं डरते है,वही आसमान को छूते हैं। जो हर पल को नई दिशा…

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