शायद मैं वही किताब हूँ – (कविता)
शायद मैं वही किताब हूँ गर ज़िन्दगी कोसफ़होँ में बाँट कर रखूँऔर खुद को किताब मान लूँतो शायदमैं वही किताब हूँजिसके पन्ने तुमने कभीधीरे से नहीं पलटेबस बन्द किताब कोअँगुलियों…
हिंदी का वैश्विक मंच
शायद मैं वही किताब हूँ गर ज़िन्दगी कोसफ़होँ में बाँट कर रखूँऔर खुद को किताब मान लूँतो शायदमैं वही किताब हूँजिसके पन्ने तुमने कभीधीरे से नहीं पलटेबस बन्द किताब कोअँगुलियों…
खुर्ची हुई लकीरें मेरे नाम को अपनी हथेलियों से मिटाने की कोशिश मेंअनजाने मेंअपनी ही कुछ लकीरों को भी खुरच दिया था उसनेसुर्ख रंग उभर आने परउन हथेलियों को उसी…
जब उसे रात के आसमाँ पर सितारे ना मिले जब उसे रात के आसमाँ पर सितारे ना मिलेउसने धूप को पानी पर बिखेर करसितारों को दिन में ही अपने घर…
हथेलियाँ पेड़ की शाख परअपनी कईं हथेलियाँ उगा दी थी मैंनेइसी राह से जाना हुआ था उसकामुझे पहचानने के लिएएक हाथ का इशाराउसके लिए शायद काफी न होबस इसीलिएपेड़ की…
पिता हो तुम गर्मी की दोपहर में जल कर जो साया दे वो दरख़्त होबच्चो की किताबों में जो अपना बचपन ढूंढेवो उस्ताद हो, तुम पिता हो तुमदुनिया से लड़ने…
उफ़ क्या नाम दूँ तुझे ए ज़िंदगीकिस रूप में पहचानूँ तुझकोमेरे देश के गाँव के आँगन मेंआँख-मिचौली खेलते हुएहम दोनों हुए थे जवानतेरे हर रूप रँगीले दिखते थेइंद्र्धानुषी यौवन को…
मेरी आँखों में आज सुबह को देखना तुममेरी आँखों मेंउस सपने की तरहजो लाती है सूरज को रोज़ किसीसच की तरहदेखना वो हो जाएगा बर्फतुम्हारे प्यार की आग के सामने…
ख़्वाब कितनी ही चीज़ों कोतुमने जोड़ दिया हैमेरे दायरे में-फ़िलहालसोच के ढेरों ख़्वाबहथेलियों में छपाक-छपाकफिसलती जा रही है देहनस-नस मेंदरिया की तरह बदलतीजा रही है तुम्हारी मौजूदगीबहुत सारे मायनें बदल…
चाहत क्या हुआ जो तुम मुझे नहीं चाहतेमेरा प्यारहो यासमुद्र की अथाह गहराईन तुम उसे भाँप सकेन इसे नाप सकेफिर भी तुम आया करोक्योंकितुम्हारा आना जैसेपतझड़ के मौसम मेंबहार का…
अकेली तुम खुद हीअपनी दुनिया सेमेरी दुनिया में आए थेमैंने तुम्हें स्वीकारा थाअन्तरमन से चाहा थातुम्हारे दिखाये सपनों केइन्द्रधनुषी झूले से झूली थीतुमने दिखाई थी बहारेंलिपट गयी थी गुलाबों से…
माँ नहीं रही माँ तो गईअब मकान भी पिता कोअचरज से देखता हैमानो संग्रहालय होने से डरता हैउसने खंडहरों में तब्दील होतेमुहल्ले के कई मकानों को देखा है माँ तो…
युद्ध जब वो कहते हैंजब तुम भी कहते होकि मैं गलत हूँतो मैं मान भी लेती हूँकि मैं गलत हूँलेकिन उनके कहने मेंऔर तुम्हारे कहने मेंजो अंतर हैउस अन्तर के…
धूप की मछलियाँ बनारस के घाटों परनयी करवटें बदलती ज़िंदगीअंतिम यात्राएक बुलबुला फटता हैजिसमे जीवन कैद था।बस यह तो बाहरी छिलका था जो गिर गयाबाहरी सतह टूट गयीअंदर की तो…
अध्यात्म की अनुभूति आत्मा और परमात्मा सेसंबंधित शाश्वत ज्ञानईश्वरीय आनंद की अनुभूतिस्वयं के अस्तित्व के साथ जोड़नामार्ग है अध्यात्म काऔर अनुगमन है अध्यात्म विद्याभौतिकता से परे जीवन का अनुभवसूक्ष्म विवेचन…
तुम मैं शब्द बुनती रहीतुम अर्थ उघेड़ते रहेपूरा न हो पाया रिश्तों का स्वेटरतुम ऐसे क्यो हो?मैं रेत पर घर बनाती रहीतुम लहरें बुलाते रहेबन न पाया प्यार का घरतुम…
फूलों से कह दो अपना नाम…ख़त रख लें फूलों से कह दो अपना नाम…ख़त रख लेंफिर किसी भी सूरत में ये मुरझाएंगे नहींजितना पुराने होंगे …और ज्यादा महकेंगेफूलों से कह…
ख़ामोशी कभी न छटने वाली उस धुंध की तरह है … ख़ामोशी कभी न छटने वाली उस धुंध की तरह है …जिसमे किसी के चेहरे की कुछ परतें …दिखाईं देती…
बारिश का ख़त बारिश को बाँध कर रोशनाई की जगहभर लिया था दवात मेंबस वही ख़ततुम्हारी खिड़की परकोहरे से लिखा है मैंनेउसे धीरे सेआफताब के सामने खोल करबूँद बूँद पढ़…
सब कृष्ण संग खेले फाग नभ धरा दामिनी नर नारी रास रंग रागभाव विभोर हो सब कृष्ण संग खेले फागसूर्य किरण ‘सलोने’ से छन करभूमि पर करे सुन्दर अल्पनाबृज धरा…
साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधरतो श्याम बन जाते हैंबांसुरी अधरों का स्पर्श पाने को व्याकुल हैवो खुद…