वो दिया – (कविता)
वो दिया वो दियाजो जल कर रौशन करता हैतेल भी जलता है इसका बाती भीऔर इसकी ऊपरी और भीतरी सतह भीदिवाली की रात जब सितारेइसकी लौ से अपनी चमक आँकते…
हिंदी का वैश्विक मंच
वो दिया वो दियाजो जल कर रौशन करता हैतेल भी जलता है इसका बाती भीऔर इसकी ऊपरी और भीतरी सतह भीदिवाली की रात जब सितारेइसकी लौ से अपनी चमक आँकते…
कैकयी तुम कुमाता नहीं हो अध्यात्म की ओर बढ़ो राजन, मोह का त्याग करोइन वचनों के साथ मुनिराज विश्वामित्र काअयोध्या से प्रस्थान हुआराजा दशरथ को आज समय बीतने का ज्ञान…
उस क्षितिज से आवाज़ दो हमें कृष्ण उस क्षितिज से आवाज़ दो हमें कृष्णजहाँ दिन और रात ढलते नहींविलय होते होंआकाश में उस सूर्य की तरह उदित होजिसकी ऊष्मा धरा…
नहीं भूली हूँ नहीं भूली हूँ मैं आज तकअपने बचपन का वो पहला मकानपिताजी का बनाया वो छोटा मकानकुछ ऋण ऑफिस सेबाकी गहने माँ के काम आएमेरे लिए वो ताजमहल…
शब्द और स्वर की बातचीत शब्द ने स्वर सेअवतरित होने का रहस्य पूछातो स्वर ने कहासृष्टिशब्दों की गुफाएँमैं तपस्वीमैं बारिश की बंद से आयाशब्दों से लिपटबादलों से टपकाबिजली में कड़काहृदय…
माँ हिंदी तुम वो हो तुम मात्र मेरी अभिवक्ति की आवाज़ नहीं होतुम वो हो जिसे सुनने के बाददुनिया मुझे पहचान जाती हैमैं कौन हूँ कहाँ से हूँ ये जान…
सुनहरा धागा मेरे विचारों की बस्ती मेंआज कुछ उधेड़ बुन है,एक फंदा गिरता है,एक फन्दा फिर उठता है,बनने के बाद ‘पेटर्न ‘कैसा बनेगा,कह नहीं सकतीपर यह देख करअच्छा लगता हैकि…
भला क्यों ? कुछ लिखना है मुझे,भला क्यों ?क्या तुम बांटना चाहती होअपने भाव,जाने अनजानेलोगों के साथ,या अपने भावोँ कोलेखनि के द्वाराकागज़ पर उतार करअपने अंतर कीपरछाई देखना चाहती हो,वह…
अश्रु अश्रु तुम अंतर की गाथाचुपके चुपके कहतेअंतरतम को खोलजगत के आगे मेरा रखते,तुम बिन गरिमा प्यार व्यथाकी गाथा कौन भला कहतेअनुभावों की कथा आजबोलो यूँ कौन कहा फिरते,आज छिपा…
मनुहार प्रणय मांगने आया था मैंद्वार तुम्हारे अरि अजानतुम सरका मधु चषकों सेकरती थी मेरा सत्कार,खाली मधु चषकों सेकरती जाओगी सत्कारया हर पाओगी तुम मेरेअंतर का थोड़ा व्यथा भार,मेरी इन…
सूर्योदय पतझड़ कानन मेंपीले पत्तों से लदेऊंचे ऊंचे वृक्ष खड़े थेबीच बीच से लालपत्तिंयां झाँक रहीं थींमानो किसी ने कुमकुमके छींटें लगा,वृक्षों की पूजा करी हो,तभी सूर्य देव नेअपनी अलसाईआँखें…
ज्वार आज तुमने मुझे फिर पुकाराआज तुमने मुझे फिर पुकाराऔर मेरे अंतर की तह कोफिर से हिला दियाज्वार भाटे की तरहमेरे छिपे हुए अवसादमेरी सोई हुई अनुभूतियाँयूँ उभर आई जैसेखुले…
तुम और मैं तुम और मैंएक अनोखी पहेलीतुम, मैं और बीता हुआ वह क्षणएक खुबसूरत धरोहर,बीते हुए वो क्षणसूई और धागे सेमैने कई बारस्मृति के आँचल परसिं देने की कौशिश…
प्रेम गीत मन की गहराई मेंआँखों के द्वारों सेतुमने चुपचाप अनजानें मेंमेरे भावों के कोनों को छू करहै आज विवश सी बांधीमेरे जीवन की लहरेंजो ऊँची और नीची बिखरींतट से…
अनुभूति आह वेदने अश्रु चुरा तुमआज हंस रही मादक हासअरि खोजती नटखट सीतुम अनुभावों के आहत दाग,आज खड़ी तुम समय ‘शील’ परठिटक-ठिटक कर करती हासअनुभवों के चषक बेंचक्या करती जीवा…
मधु स्मृति अवसादों की भीड़भाड़ मेंऔर विषाद के परिहास मेंप्राणों के सूने आंगन मेंअश्कों के बहते प्रवाह मेंमधु स्मृति !तुम थोड़ा मन बहलादो,तुम थोड़ा मन बहलादो,आज बहकती सी यादों मेंआज…
परछाइयाँ नापती पसीने से,तर बूंदें, कहीं शरीर पर,अनायास चल पड़़ती धार,सूरज ताप से,भूख के संताप से,तपती देह को,घटती, बढ़ती परछाइयाँ। सुबह उठ,कर, झाड़ साफ, झोंपड़ी,राख सनी रुखी रोटी,मिर्ची की महकलहसुन…
खजुराहो खजुराहो,उनके लिएअद्भुतकिंतुअवांछितऔरघृणास्पद रहा, जो-नहीं रह सकते थेवासना मुक्तक्षण भर भी। उनका चलता तोफिंकवा देतेउसेसागर की अतलगहराइयों में,जहाँ बड़वानलनिगल जाताउन कामुक मूर्तियों को।सोख लेताउसका अध्यात्मजिसके बिनाकरवट हीनहो जाती है दुनिया।…
मैं जनतंत्र हूँ ! मैं जनतंत्र हूँ !लोग मुझे-लोकतंत्र,गणतंत्रसंघतंत्र, औरअंग्रेज़ी मेंडेमोक्रेसी भी कहते हैं।मैंने स्वयं को कभी नहीं देखा,मेरा मुख,मेरे कर-कमल,मेरे चरण, औरमेरा उरु प्रदेशसभीवास्तु पुरुष की भाँति अदृश्य हैं।…
मर्यादा पुरुषोत्तम राम!बड़े मौलिक शिल्पी हो,बड़े कलाकार भीशील, शक्ति और सौन्दर्यके अधिष्ठातामर्यादा पुरुषोत्तम भी। आदर्श की धुरी होया धुरी के आदर्श, पता नहीं!पर सब तुम्हारे चरित की छाप है-अनवरत, काल…