तरक्की – (कविता)
तरक्की अब हमारा अपना कुछ नहीं रह गया हैहमने बहुत तरक्की कर ली है।सोशल मीडिया ने हमारा सब कुछसबके सामने फैलाकर रख दिया है। हमारे दिल के किसी गहरे कोने…
हिंदी का वैश्विक मंच
तरक्की अब हमारा अपना कुछ नहीं रह गया हैहमने बहुत तरक्की कर ली है।सोशल मीडिया ने हमारा सब कुछसबके सामने फैलाकर रख दिया है। हमारे दिल के किसी गहरे कोने…
जिंदगी तुझसे यूं.. जिंदगी तुझसे यूं गुफ्तगू करते रहेक्रेडिट कार्ड के जमाने में जैसेकहीं रिश्तों के भरे बटुए सेरुपया-अठन्नी से निकले-तजुर्बेपाकर, भी क्यूँ नादान सेजख्मों पर खुद ही अपनेकहीं नमक…
मुस्कान उन्होंने कहा–तुम्हारी मुस्कान मेंएक जादू है।बहुत ही प्यारी और निश्छल है। हमने कहा नहीं–तुम क्या जानोइसके पीछे का दर्द! वे बोले–तुम्हारी आँखों की गहराईमन को मोह लेने वाली है।…
मैं नहीं जानती सृष्टि मैं नहीं जानती सृष्टिकितेरे किस रूप को नमन करूं। नवरात्रि में पूज्यतेरे नौ शक्ति रूपोंका नमन करूंया फिरमाँ के रूप में स्त्री की आराधना करूं। पत्नी…
स्वप्नांत कल रात युगों के बाद स्वप्न फिर देखा था मैंने तेरासुरभित कर गया जगत को यूँ चंदन से शीतल प्यार तेरा मेरी शर्मीली आंखें तेरी बाँहों में यूँ झूल…
आईना आज आईने में खुद सेमुलाकात हो गईकुछ देर के लिएजैसे सन्नाटा छा गया। फिर हिम्मत करकेमैंने सवाल पूछ ही लियाक्या बात हैइतने चुप क्यों होक्या जो देखा उस परविश्वास…
निरपेक्ष कल्पना करनाहमारा स्वभाव है-और उसका खंडित हो जानाउसकी नित्यता। स्वप्न संजोना हमारी मजबूरी हैऔर स्वप्नों का टूटनाउसकी शाश्वतता। असंभव को संभव करनाहमारी कामना है।और संभव का भी असंभव हो…
प्रिय तुम आज फ़ोन लेकर मत आना प्रिय तुम आज फ़ोन लेकर मत आना,इसके साथ चला आता है पूरा ज़माना। आज हम मिलना चाहते हैं बे-खलल,थोड़ी देर, सिर्फ तुमसे, तेरे…
हद कभी दायरे घर तक सिमट जाएँ तो;सब अपने हों, जिनके निकट जाएँ तो;काम थोड़े हों, जल्दी निबट जाएँ तो;लम्हे सामने से आकर लिपट जाएँ तो,क्या जिंदगी, बहुत बुरी हो…
खलती बहुत कमी है नीतियों में नीयत नेक की;तथ्यों में सूचना एक की;सूचनाओं में ज्ञान की;ज्ञान में विवेक की,खलती बहुत कमी है। बेशुमार हासिल पैगामों में;अपनेपन के संवादों की;सब शहर,कस्बे,…
जो सुन्दर है, विविध है कालातीत बृहत् ब्रह्म में;अनहत उसके अनवरत क्रम में;सब स्थिति, सब गति में;जड़-चेतन, समस्त प्रकृति में,जो भी है, सब विविध है। अंतरिक्ष में जो कहकशां,सबकी अनोखी…
हम-आप से परे सत्य तो बस है, उसका बोध ही संभव;प्रकृति उसकी, गंध, गुण-माप से परे। कुदरत में सतत गति सनातन है;ये ऋतु आवागमन, शीत-ताप से परे। जीवन में चलना…
प्रेम की एक तरल नदी लूंगा शिव नहीं हूँ मैं,कि सब के बदले जहर पी लूंगा।बुद्ध नहीं हूँ मैं,कि भिक्षाटन कर जी लूंगा। सांसारिक हूँ,कुछ जरूरतें, कुछ चाहतें हैं।कुछ दायित्व…
समग्र सोच अक्षरों में शब्दों को,वाक्यों में पदों को;ऊंचाइयों में कदों को,पाबंदियों में हदों को,देखने के लिए समग्र सोच चाहिए। पेड़ों में वन को,अंगों में तन को;विचारों में मन को,चाँद-तारों…
लाला रूख़ लाला रूख़ में बैठ भारत सेजब विदा हो गये तुमन समझना कभी किएक दूसरे से जुदा हो गये हम एक ही माँ की दो संतानें हैं हमएक ही…
खोया शहर सालो बाद अपने शहर आई हूँ,बहुत से सपने और उम्मीदेंसमेट मन में भर कर लाई हूँढूँढ रही हूँ वो आँगनजहाँ खेलते बीता मेरा बचपन खोज रही हूँ माँ…
गुड़िया तुम्हारी बाबा मैं पली भले ही माँ की कोख मेंपर बढ़ी हर पल आपकी सोच मेंआप ही मेरा पहला प्यारआप ही मेरा छोटा-सा संसारआपकी ही अंगुली पकड़ करपहला कदम…
बस्ता हर एक स्त्री की पीठपर एक बस्ता हैजिसमें छिपे हैंउसके दुख-दर्दऔर चिंताएँकभी कभीन चाहते हुए भीदर्द को न दिखाते हुए भी,सब छिपाते हुए भीहर एक स्त्री कोये ढोना पड़ता…
तुम हंसती बहुत हो तुम हंसती बहुत हो,क्या अपनी उदासी कोइसके पीछे छिपाती हो?ये जो गहरा काजलतुमने आँखों में है लगायाकितने ही आंसुओं कोइनमें है छिपाया? खुद को मशरूफ रखनेका…
बचपन ज़माना मुझे कुछ इस तरहइस तरह जीना सीखा रहा हैबाज़ार में बचपन को बेचभविष्य के सपने बुनना सीखा रहा है गणित ज़िंदगी कापाठशाला में नहींखुद दुनिया के बाज़ारसे सीख…