Category: प्रवासी कविता

अधूरा आदमी – (कविता)

अधूरा आदमी वहअपनी हर बात अधूरी छोड़आगे बढ़ जाता हैसंतुष्ट . . .पूर्णता के आभास से विश्वस्तछोड़ जाता हैतो एक प्रश्नचिह्नहवा में लटका हुआअपना सर पटकता हुआ! प्रश्नचिह्न . .…

यात्रा – (कविता)

यात्रा मैं अपने घोड़े पर सवार,हिमतुंगों का सर झुकाना चाहता हूँ, भूल गया हूँ किइन चोटियों पर विजय पाने के लिएपैदल चलना पड़ता हैक़दम-ब-क़दमभूल गया हूँ किपथरीले रास्तों पर –पदचिह्न…

हिमपात और मैं – (कविता)

हिमपात और मैं हिमपात . . .क्यों करता हूँतुम्हारी प्रतीक्षा . . .जानता हूँ कि तुम आओगेअपनी ठंडी हवाओं के साथसुन्न हो कर – झड़ जाएँगेअंग-प्रत्यंग . . .पतझड़ के…

सर्दी की सुबह और वसन्त – (कवि)

सर्दी की सुबह और वसन्त घर की फ़ेंस पर बैठीमुटियाई काली गिलहरीजमा हुआ –आँगन, घर का पिछवाड़ाऔर नुक्कड़ के पीछे छिपीधैर्य खोती तेज़ हवा!उड़ायेगी बवंडरझर जाएँगीपेड़ों से बर्फ़ की पत्तियाँछा…

दर्पण – (कविता)

दर्पण टूटे दर्पण के टुकड़ों को मैंमिला मिला कर जोड़ रहीजोड़ कर दर्पण को मैं अपनेबिम्ब अनेकों देख रही एक टुकड़ा कहता है मुझ सेतू सुर-सुंदरी बाला हैबोला तपाक से…

आभास – (कविता)

आभास नील गगन में निशितारों ने,घूँघट अपना खोल दिया है।प्यार से तुमने देखा मुझको,ऐसा कुछ आभास मिला है॥ छवि तुम्हारी अंतर मन में,मुझे फुहारें सी देती है।लगता है इस बंजर…

स्वीकार – (कविता)

स्वीकार नैया पर मैं बैठ अकेलीनिकली हूँ लाने उपहारभव-सागर में भँवर बड़े हैंदूभर उठना इनका भारना कोई माँझी ना पतवारखड़ी मैं सागर में मँझधार फिर भी जीवन है स्वीकार।राहों में…

थोड़ा बहुत – (कविता)

थोड़ा बहुत चले साँस जल्दी या चले हौले-हौलेथोड़ा-बहुत मैं जी लेती हूँ।जब तक है साँस तब तक है आस,थोड़ा-बहुत हौसला रखती हूँ। दुनिया के रस गर हो खट्टे या मीठेथोड़ा…

ख़ामोशी – (कविता)

ख़ामोशी छाया चारों तरफ़ है ख़ामोशी का अँधेरालगता है कभी न होगा चहकता सवेरा।पेड़, पत्ते भी ख़ामोशी से ढके हुए है।आकाश में परिन्दे भी ख़ामोश हैं॥ पर्वत से समुन्दर तक…

प्यासी सरिता (अनाथ बेटी) – (कविता)

प्यासी सरिता (अनाथ बेटी) प्यासी सरिता इक बूँद को तरसेमेघ बिना कब सावन बरसे।कैसी विडम्बना है जीवन कीराज़ है गहरा बात ज़रा सी।प्यासी सरिता दुर्गम पथ जोहती रहती हैऔर निरंतर…

समय का प्रबल चक्र – (कविता)

समय का प्रबल चक्र यह प्रबल समय का चक्र चलाजो चुप करके सह जाना होगा। नियति के क़दम किस तरफ़ चलेख़ुद न समझे तो समझाना होगासचमुच जीवन है एक पहेलीजिसे…

पावन प्रेम तुम्हारा पाकर – (कविता)

पावन प्रेम तुम्हारा पाकर पावन प्रेम तुम्हारा पाकरपूजनीय हो जाऊँगा।शरच्चंद्र के जैसा इक दिनमैं भी पूजा जाऊँगा॥ मेरे कृष्णपक्ष पर कोईध्यान कभी भी नहीं दिया।तुमने मान मयंक मुझे निजआजीवन सकलंक…

जीवन का सारांश निराशा – (कविता)

जीवन का सारांश निराशा जीवन का सारांश निराशा।झूठमूठ है हर इक आशा॥भीतर ही भगवान छुपा हैबाहर तो बस खेल तमाशा॥ सपने में सोना जगना क्या।दूर स्वयं से ही भगना क्या॥नींद…

आप की ख़ासियत – (कविता)

आप की ख़ासियत आप की ख़ासियत आप ही आप हो।ख़ुद ही फ़ीता हो ख़ुद का औ ख़ुद माप हो॥ हो भला कोई कैसे बड़ा आपसेआप तो हो बड़े ख़ुद के…

ज़िंदगी से प्यार करके देख तो – (कविता)

ज़िंदगी से प्यार करके देख तो ज़िंदगी से प्यार करके देख तो।मौत से तक़रार करके देख तो॥बुज़दिली काफ़ूर सब हो जायेगी।हौसला इकबार करके देख तो॥ जीत जायेगा तू हर इक…

अबकी दीवाली – (कविता)

अबकी दीवाली अबकी दीवाली कुछ ऐसे मनाएँस्याह मनों के, धुल सब जाएँ! नेह जले सतत प्रेम भावों कीबाती बन रहे संवेदना मन कीदीये बन रहे तन की मिट्टी केजीवन प्रकाश…

दंगों वाली रात – (कविता)

दंगों वाली रात छलनी करती कुछ यादें सीने कोपर याद न वो दिल से मिटने पायेंकुछ ज़ख़्म दिल के सदा रिसते हैंरिसने दो, घाव ना वो भर जायें भूल नहीं…

चंदा, क्या तुम भी एकाकी हो? – (कविता)

चंदा, क्या तुम भी एकाकी हो? जीवन के दीर्घ विस्तार समानफैले इस अनंत आसमानकी इस मधुमय सावन-संध्या मेंशायद मुझ सी बिन साथी होचंदा, क्या तुम भी एकाकी हो? पावस का…

मेरी बिटिया, मेरी मुनिया – (कविता)

मेरी बिटिया, मेरी मुनिया पूजा के थाल का चंदन हो तुमफूलों की ख़ुशबू, रंगत हो तुम जैसे भजनों की भावना हो तुमजैसे ईश की उपासना हो तुम! हो सर्दी की…

भय – (कविता)

भय बच रहा था आप सबसे कल तलक सहमा हुआअब बड़ा महफूज़ हूँ मैं कब्र में जाने के बाद। मौत का अब डर भी यारो हो गया काफूर हैज़िंदगी की…

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