Category: प्रवासी साहित्य

इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ – (कविता)

इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआइक दिया मुंडेर पर जलता हुआ एक पत्ता शाख से गिरता हुआइक परिंदा आस्माँ छूता हुआ एक तितली फूल…

जहाँ में इक तमाशा हो गए हैं – (कविता)

जहाँ में इक तमाशा हो गए हैं जहाँ में इक तमाशा हो गए हैंहमें होना था क्या, क्या हो गए हैं नुमाइश कर रहे हैं ज़िन्दगी कीनज़ारा अच्छा ख़ासा हो…

कोई लहर – (कविता)

कोई लहर समुन्द्र की कौन सी लहरहमें ले जाएगी किनारेकौन सा किनाराहमें थाम लेगामट्टी का कौन-सा हिस्सा हमेंजकड़ लेगाहम नहीं जानतेन ही जानना चाहते हैंक्योंकि जान नहीं पाएंगेबस यही चाहते…

समझदार लोग – (कविता)

समझदार लोग लोग हैं लोगलोग हैं समझदारसमझदार लोग उठाते हैं आवाजेंउठ रही हैं हर तरफ से आवाजेंपर उठ नहीं रहे हैं लोगजो उठा रहे हैं आवाजेंक्योंकि लोग हैं समझदारऔर समझदार…

जमने वाली बर्फ – (कहानी)

जमने वाली बर्फ -निखिल कौशिक लंदन से लगभग 210 मील उत्तरी पूर्व-ब्रिटेन के जिस छोटे से शहर में मैं रहता हूँ, यहाँ बहुत बर्फ तो नहीं पड़ती पर जब पड़ती…

हिन्दी भाषा – (कविता)

हिन्दी भाषा हिन्दी है मेरी अनमोल प्यारी मातृभाषाबने सबकी अभिव्यक्ति की साख ऐसी अभिलाषाटोक्यो की हिन्दी सभा शिविर में आकर ये विचार आयाकरे हिन्दी के उत्थान के लिए कुछ ये…

इस देश में बसंत – (कविता)

इस देश में बसंत बैठ मुंडेर पर निहार रहा हैपथिक भ्रांत दृश्य एक ‌‌‌‌‍सामने उसके रचा हुआ हैरचनाकार का बसंत विशेष दिवास्वप्न-सा आगंतुक अविचल हैऋतुराज का दृश्य नवल नवीनमानो शाख…

थाईलैंड में भारतीय संस्कृति का प्रभाव – (आलेख)

थाईलैंड में भारतीय संस्कृति का प्रभाव –शिखा रस्तोगी भाषा, संस्कृति प्राण देश के,इनके रहते राष्ट्र रहेगा।भारतीय संस्कृति का जयघोष गुंजाकर,भारत मां का मान बढ़ेगा।। प्रत्येक राष्ट्र की पहचान उसकी सांस्कृतिक…

थाईलैंड में हिंदी – (आलेख)

थाईलैंड में हिंदी –शिखा रस्तोगी गूंजे हिंदी विश्व में स्वप्न हो साकार, थाई देश की धरा से हिंदी की जय-जय कारहिंदी भाषा का जयघोष है सात समुंदर पार, हिंदी बने…

परदेस में पतझड़ – (कहानी)

परदेस में पतझड़ –अरुणा सब्बरवाल वह भी अकेला बैठा था। बिलकुल अकेला, सिकुड़ा सा। वहीं, जहाँ वो अक्सर बैठा करता है। उसी सार्वजनिक बैंच पर। जो मॉरीसन सुपरमार्केट के राउंड…

छोटा सा शीश महल – (कहानी)

छोटा सा शीश महल -अरुणा सब्बरवाल परेशान थी वह। परेशानियों जैसी परेशानी थी। दिल में एक दर्द जमा बैठा था। पिघलता ही नहीं। आकाश से बर्फ गिरती है। दो-तीन दिन…

रोजी – (कहानी)

रोजी -अरुणा सब्बरवाल आज रोजी बड़े अनमने मन से अपना सामान बाँध रही थी, यद्यपि जोयस और जॉन ने रोजी को गोद लेने के पश्चात् उसके लालन-पालन में कोई कमी…

कौन है यह? – (कविता)

कौन है यह? नन्ही सी छोटी सी जानकाम ढंग से करे तो महानना करे तो बने हैवानलचीली, फुर्तीली, सुरीली सुधा की यह तानयोगी का यह मानइंद्र का वर्चस्व येयोगी का…

श्रृंखला – (कविता)

श्रृंखला श्रृंखला किस की गिनूँमैं देश पर आघात कीनारी पर अत्याचार कीफैले हुये व्यभिचार कीश्रृंखला किस की गिनूँ निवस्त्र होती नार कीमनुष्य के विकार कीनिर्धन पर अत्याचार कीश्रृंखला किस की…

अनर्थ – (कविता)

अनर्थ तिनका तिनका मन चुगेमन का मिले ना मीत।मन का मीत जो मिलेसो मन से बाँधे प्रीत।कलियुग ऐसा आ धरासीता संग ना लाये। कहीं ओर जा कर प्रियकुलटा को घर…

हे हरि – (कहानी)

हे हरि हरि अनंत हरि कथा अनंतागुण गाऊँ कैसै भगवंतामैं मूरख, अक्षर ना जानूँदीजौ ज्ञान, प्रेम बस मानूँ।तू मेरे मन का, मनका हैसमता का गुण तुझ से पाऊँजीवन अपना सरल…

हे कृष्णा – (कविता)

हे कृष्णा हे कृष्णा, हे मुरारीमोहे हर लो मन की पीड़मन चंचल कैसै मैं बाँधूकुछ तो भर दो धीरहे कृष्णा मोहे मन की हर लो पीड़। में तो केवल माटी…

बातें – (कविता)

बातें किस की बातेंउस की बातेंमीठी बातें कढ़वी बातेंकुछ ऊँची, कुछ नीची बातेंलम्बी बातें, पल की बातेंरुसवा ना होना, कल की बातें। किस से कहूँ मैं मन की बातेंक्यों करते…

रिश्ते – (कविता)

रिश्ते रिश्ते बनते नहीं; होते हैंधागे में मोती से पिरोतै हैंकुछ बनाये जाते हैंकुछ बस दूर सोते हैंकुछ बस ना भी कहोकहीं अचानक खोते हैं रिश्ते सहेजने की ज़रूरत नहींवो…

हिंदी भाषा – (कविता)

हिंदी भाषा आओ बच्चों तुम्हें बताऊँबात इक बतलाती हूँछोटी सी कविता गा करमैं तुम को समझाती हूँ। जब भी छुट्टियाँ होती होगींनानी के घर जाओगेनानी को मिल कर अपनीक्या क्या…

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