हम फिर मिलेंगे… – (कविता)
डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया हम फिर मिलेंगे… सुनिए ना,कोशिश अब भी करती हूँ,आपका हाथ थामने की,दिल की गहराइयों मेंअब भी बसा है कहीं आपका वजूद।बिस्तर की सिलवटों में ढूंढती…
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डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया हम फिर मिलेंगे… सुनिए ना,कोशिश अब भी करती हूँ,आपका हाथ थामने की,दिल की गहराइयों मेंअब भी बसा है कहीं आपका वजूद।बिस्तर की सिलवटों में ढूंढती…
डॉ. इंगीता चड्ढा (ठक्कर), ऑस्ट्रेलिया मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ… मैं एक ऐसा पौधा सिंच रही हूँ,जिसकी समझदारी हर ग़लतफ़हमी से मुक्त,हर भ्रम से आज़ाद है।मैं एक ऐसा…
-आशा बर्मन, कनाडा प्रश्न यह प्रश्नचिन्ह क्यों बार-बार ?क्यों उसे जीत, क्यों मुझे हार ?यह प्रश्न उठे क्यों बार-बार ? जीवन में जो भी किये कर्म,तत्समय लगा था, वही धर्म…
-आशा बर्मन, कनाडा तुमने मुझको नहीं मनाया तुमने मुझको नहीं मनाया बात ना कोई ऎसी भारी.हो गयी तकरार हमारी,सीमा पार हुई जब बातें,चुप रहने की मेरी बारीयत्न किया, पर थमें…
-आशा बर्मन, कनाडा मन की आँखे मन की आँखे खोल रे बन्दे,अपने मन को तोल रे बन्दे,बोल प्यार के बोल रे बन्दे,भर मन में झनकार।बोलो, प्यार प्यार प्यार ।।१।। याद…
-आशा बर्मन, कनाडा सुखमय जीवन यह जीवन है क्षणभंगुर,लोग सदा से कहते हैं,फिर न क्यों हम कष्ट भुलाकरसहज रूप से जीते हैं? जब भी जाए तुम पर दृष्टिमुख गभीर और…
-सुनील शर्मा, कनाडा प्रतिबिम्ब चंद हरी पत्तियां“ग्रीन माउंटेन” शुगर मेपलवृक्ष केमध्य परखिलती हुई कोमलछोटी-छोटी किसी किशोरउम्मीदजैसी किसी हरीचूड़ी चुन्नी जैसी कई हरे-भरेखेतों जैसी किसी कीहरीआँखोंजैसी, वृक्षकेतने परबिंदीजैसी या फिरजिजीविषाजैसी जोसुने…
-सुनील शर्मा, कनाडा इस बारिश में निर्मल वर्मा के साथ टोरंटो की इस हलकी-हलकीबारिश में एक बसके इंतज़ारमें, अकेला, अचानकऐसाक्योंलगा मैंवापस, उसी वक़्त, गंगा के किनारेलौट आया हूँ, एक बार…
-सुनील शर्मा, कनाडा एक अहसास तुमखुशबू की मानिंदआस पास होहमेशा कभी हवा में कभीसितारों में इस गुनगुनातीधूप में वृक्षोंकी छायामें तो कभीपक्षी कीउड़ान में तुम लहरातीझील में कभी धूप केआंगन…
– विकाश नकछेदी, मॉरीशस विवश राजा लाचार पिता अकेला पुरुष महल में पड़ा था,ध्यान उसका युद्ध भूमि पर अड़ा था।धर्म और अधर्म के बीच आज जंग है,उसे है यकीन कि…
– डॉ शशि दूकन, मॉरीशस एहसास कभी-कभी मैं ख़ुद से बातें करती हूँ ये ज़िंदगी एक रहस्यमयी पहेली है जिन माता पिता ने जन्म दिया मुझे धन्य है उनके दिए…
दक्षिण, मध्य और पूर्व एशिया में हिंदी शिक्षण: समस्याएँ और सुझाव डॉ. ज्ञान प्रकाश विजिटिंग प्रोफेसर, हांगुक यूनिवर्सिटी ऑफ़ फॉरेन स्टडीज़ (HUFS),सिओल, दक्षिण कोरिया ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना से संचालित…
दक्षिण कोरिया में “बुद्धं शरणं गच्छामि!” डॉ. संजय कुमार, दक्षिण कोरिया बिहार स्थित गया (जिसका नया नामकरण गया जी किया गया है) मेरी पुश्तैनी धरती रही है। गया बौद्ध धर्म…
– डॉ सुनीता शर्मा पहचान रेलवे स्टेशन के कोने में बैठी थी वह—रंग-बिरंगे कपड़ों में, आँखों में काजल, पर चेहरा बुझा हुआ। लोग आते-जाते रहे। कोई उसे टालकर निकला, कोई…
– डॉ सुनीता शर्मा आधुनिकता बनाम परंपरा सिया ने अपनी डाइट का चार्ट बड़े ही मनोयोग से तैयार किया। गूगल खंगाला, विदेशी न्यूट्रिशनिस्ट के वीडियो देखे और आखिरकार एक नामी…
– डॉ सुनीता शर्मा जन्मोत्सव रीमा के हाथ काँप उठे जब उसने बेटी दीपिका की वीडियो कॉल उठाई। अस्पताल के सफेद कमरे में, थकी-सी दीपिका की गोद में नन्हा बच्चा…
मंच से घर तक – डॉ सुनीता शर्मा नेता जी आज मंच पर पूरे जोश में थे। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का शुभ अवसर था, और वे गरज-गरजकर नारी शक्ति की…
संगीता शर्मा, कनाडा *** रीत इस दुनिया की दुनिया बनाने वाले ये भी तूने क्या रीत बनाईभेज दी जाती हैं गैरों के,अपनी जाईहंस खेल रही होतीं हैं अपनों के बीचकर…
– संगीता शर्मा, कनाडा वक़्त सुन्दर वक़्त तो ऐसे बह निकलता हैजिस तरह घटायें हवाओं के साथहर पल, फुरती से बनता चला जाता है कलसमय रुकता नहीं, रेत जैसे जाता…
संगीता शर्मा, कनाडा अपना शहर उस शहर की खासियत तो उस शहर की बेटी से पूछेंजो साल भर के इंतज़ार के बाद पहुँच पाती होउस शहर, जहाँ वो पली बढ़ी…