बदलाव की परछाई – (कहानी)
बदलाव की परछाई डॉ सुनीता शर्मा, न्यूजीलैंड रमेश, संस्कृत का अध्यापक, दिल्ली से दूर एक छोटे कस्बे के कन्या विद्यालय में नियुक्त हुआ। यह नौकरी उसकी काबिलियत का सम्मान तो…
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बदलाव की परछाई डॉ सुनीता शर्मा, न्यूजीलैंड रमेश, संस्कृत का अध्यापक, दिल्ली से दूर एक छोटे कस्बे के कन्या विद्यालय में नियुक्त हुआ। यह नौकरी उसकी काबिलियत का सम्मान तो…
– डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन घाट चल रहा हूंनित्य मैं कांवर उठाएढो रहा हूंनित्य प्यासे अंध तापसजनक-जननी काल एवं कामना कोसामने लहरा रहा तालाबजिसमें तृप्त होने को छलकती लालसाएंऔर पक्का…
– डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन अलविदा दिल्ली, तुम्हारा आसमां अलविदा दमघोंट जहरीला धुंआअलविदा फैशन भरी तन्हाइयांअलविदा मतलब भरी रुसवाइयांअलविदा मेले नुमाइश शोरगुलअलविदा बेकार के जल्से बिगुलअलविदा दिल्ली की जिंदा महफिलेंअलविदा…
डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन लंदन के फुटपाथ-शायी शंख औंधे जा पड़े इस-उस किनारेलहर के छोड़े हुए सूने पिटारे भूख कुतिया-सी न छोड़े साथ इनकाचुन रहे पत्तल फिंकी से नमकपारे राज…
डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन लंदनी धूप यहां धूप मिलती पहनकर लबादाहर दिन बदल जाए उसका इरादाकभी बनके निकले फटेहाल दुखियाकभी बाप ज्यों उसका हो रायजादादबे पांव घुस-घुसके देखे घरों मेंपरदों…
डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन धुंध का बुर्का पहनकर आई बरतानी सुबह धुंध का बुर्का पहनकर आई बरतानी सुबहपेड़ पर पंछी सरीखी झाड़ती पानी सुबहबहुत रोका और सोने दो नहीं मानी…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन मुझे फिर से लुभाया खुले हुए आसमान के छोटे से टुकड़े नेमुझे फिर से लुभाया।अरे! मेरे इस कातर भूले हुए मन कोमोहने,कोई और नहीं आया।उसी खुले…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन वक्त यह कैसा वक्त हैकि किसी को कड़ी बात कहोतो वह बुरा नहीं मानता। जैसे घृणा और प्यार के जो नियम हैंउन्हें कोई नहीं जानता खूब…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन देश मेरा देश मेरा हो गया हैसमृद्ध और वैभवशालीदैनिक जरूरतों में शामिल हैफ्रिज, टेलिविजन और मोटरगाड़ी एक दौड़ जिसे निबटा लिया हैबहुतों नेबाकी बस पहुंचने वाले…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन लिखना-दिखना जो लिखता था,वैसा ही तो मैं दिखता था। अभी पुरानी नहीं हुई यह बातधूप धूप थीरंग रंग थेसही नाम हर एक चीज काफूल अगर कागज…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन कंगाली शब्द पहले ही कम थेऔर मुश्किल से मिलते थेदुख-सुख की बात करने कोअब जैसेएक कंगाली सी छा गई है क्या इशारों में हम करें बातेंसर…
– कीर्ति चौधरी, ब्रिटेन हर ओर जिधर देखो हर ओर जिधर देखोरोशनी दिखाई देती हैअनगिन रूपों रंगों वालीमैं किसको अपना ध्रुव मानूंकिससे अपना पथ पहचानूं अंधियारे में तो एक किरन…
– ऋतु शर्मा ननंन पाँडे, नीदरलैंड उनकी खामोशी बोलती है (द्वितीय विश्वयुद्ध के यहूदी पीड़ितों के लिए) ⸻ छोटे-छोटे जूते लाइन में रखे थे,मासूम आँखों में डर चिपका था,नाम, धर्म,…
जापानी विद्यालयों से जीवन मूल्यों की सीख – डॉ अर्चना पांडेय, जापान वर्ष 2013 में टोक्यो के एक अंतरराष्ट्रीय विद्यालय में हिंदी सेकेंड लैंग्वेज शिक्षिका के रूप में मेरी नई…
ब्रिटेन के प्रवासी हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत –तरुण कुमार ब्रिटेन में हिंदी भाषा की समर्पित सेविका और साहित्य की प्रतिष्ठित रचनाकार जय वर्मा का 22 अप्रैल…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** गंध – स्पर्श यह फूलअपनी सुगंध कोकुछ देर पहले तकपत्तियों में बांधे हुए था स्निग्ध हवा का एक झोंका आयाअब पत्तियां झर रही हैंऔर खुशबू…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** यह शहर : लन्दन यह शहर उग रहा अब सेवार सा चारों तरफइस शहर की भीड़ में हर जन कहीं भटका हुआस्वप्न की इन फाइलों…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** धुंए भरे कमरे में उस धुंए भरे कमरे मेंबहुत लोग नहीं थेलेकिन जो थेवे अपनी उपस्थिति के प्रतिनिरंतर चौकन्ने थेउनकी आंखों में जो परेशानी थीवह…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** वह लड़की एक छोटी-सी लड़की थी वहकोई आठ वर्ष कीएक पवित्र जल-धार की खामोश थिरकन लहर कीजब उसकी आंखों मेंउसके पार मैंने उसे देखा थाएक…
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** संकल्प मैं देखता हूं उन्हेंगाते हुए प्रेम-गानअपनी बाहों पर गुदे गुदने को देखकरवे कितने सारे नाम उन परवे कैथरिनें, वे एलिजाबेथेंवे डायनाएं और वे मार्गरटेंफिर…