Category: भौगोलिक इकाई

मेरा प्यार – (कविता)

मेरा प्यार टेक कर घुटने, झुका सिर,प्रेम का जो दान माँगे,हो किसी का प्यार लेकिन,प्यार वह मेरा नहीं है। रख नहीं पाया मान निज जो,प्यार वह कैसे करेगा?हीनता से ग्रस्त…

पीला पत्ता – (कविता)

पीला पत्ता रुको साथी, हटा लो हाथ को,न तोड़ो, छोड़ दो, पीले पड़े इस पात को। कहा तुमने, हरित इस डाल पर,यह अब नही सजता।नये, चिकने, चमकते किसलयों के बीच,है…

किस किस को ले डूबा पानी – (कविता)

किस किस को ले डूबा पानी किस किस को ले डूबा पानीपानी आख़िर निकला पानी ऐसे कब बरसा था पहलेअब के बरसा इतना पानी कच्चे घरों पर क्यूँ बरसा थापागल…

हुई मुद्दत कोई आया नहीं था – (कविता)

हुई मुद्दत कोई आया नहीं था हुई मुद्दत कोई आया नहीं थाये घर इतना कभी सूना नहीं था वो मेरा दोस्त था लेकिन कभी वोबुरे वक़्तों में काम आया नहीं…

इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ – (कविता)

इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआइक दिया मुंडेर पर जलता हुआ एक पत्ता शाख से गिरता हुआइक परिंदा आस्माँ छूता हुआ एक तितली फूल…

जहाँ में इक तमाशा हो गए हैं – (कविता)

जहाँ में इक तमाशा हो गए हैं जहाँ में इक तमाशा हो गए हैंहमें होना था क्या, क्या हो गए हैं नुमाइश कर रहे हैं ज़िन्दगी कीनज़ारा अच्छा ख़ासा हो…

अखिल भंडारी – (परिचय)

अखिल भंडारी जन्म: जालंधर (पंजाब) निवास: १९८३ से कैनेडा में संप्रति : आलेख, कहानी, और कविता लेखन सदस्य: हिन्दी राइटर्स गिल्ड संपादक: ग़ज़ल संपादन (साहित्य कुंज.नेट) वेब उपस्थिति : अखिल…

कैसे भूला जा सकता है – (कविता)

कैसे भूला जा सकता है कैसे भूला जा सकता हैIIभारत माँ का अनोखा प्यारमाँ के बच्चे थे बड़े मिलनसारढूँढ़ता हुआ हिंदी ज्ञान का सागरज्ञान के साथ ही पाया अपारख़ुशी से…

गुरुदेश ने जो सिखाया – (संस्मरण)

गुरुदेश ने जो सिखाया -अतिला कोतलावल बारिश का मौसम था। रात भर हुई मूसलाधार बारिश के बाद प्रकृति ने कुछ विश्राम का रूप धारण किया। सारा वातावरण ठंडक की चादर…

हिन्दी से जुड़े मेरे सपने – (आलेख)

हिन्दी से जुड़े मेरे सपने -अतिला कोतलावल मैं भी उन स्वप्नदर्शियों में से एक हूँ जो अक्सर सपने देखा करते हैं और उनके साकार होने तक उन्हीं सपनों में विलीन…

अतिला कोतलावल – (परिचय)

अतिला कोतलावल संस्थापक निदेशक – हिंदी संस्थान, श्री लंका शिक्षिका – सवामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, कोलम्बो बाह्य प्राध्यापक – राज्यभाषा विभाग, श्री लंका सरकार बाह्य प्राध्यापक – लघु हिंदी कार्यक्रम,…

कोई लहर – (कविता)

कोई लहर समुन्द्र की कौन सी लहरहमें ले जाएगी किनारेकौन सा किनाराहमें थाम लेगामट्टी का कौन-सा हिस्सा हमेंजकड़ लेगाहम नहीं जानतेन ही जानना चाहते हैंक्योंकि जान नहीं पाएंगेबस यही चाहते…

समझदार लोग – (कविता)

समझदार लोग लोग हैं लोगलोग हैं समझदारसमझदार लोग उठाते हैं आवाजेंउठ रही हैं हर तरफ से आवाजेंपर उठ नहीं रहे हैं लोगजो उठा रहे हैं आवाजेंक्योंकि लोग हैं समझदारऔर समझदार…

जमने वाली बर्फ – (कहानी)

जमने वाली बर्फ -निखिल कौशिक लंदन से लगभग 210 मील उत्तरी पूर्व-ब्रिटेन के जिस छोटे से शहर में मैं रहता हूँ, यहाँ बहुत बर्फ तो नहीं पड़ती पर जब पड़ती…

निखिल कौशिक – (परिचय)

निखिल कौशिक जन्म : 1950, पुरानी दिल्ली में, दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से MBBS करने के उपरांत 1977 से यूके में, 1981 में FRCS की उपाधि के उपरांत…

श्री लंका में हिंदी की दशा और दिशा – (आलेख)

श्री लंका में हिंदी की दशा और दिशा -अतिला कोतलावल हिंदी मात्र एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की साझी विरासत और महान् संस्कृति को विश्व भर में जन-जन तक पहुँचानेवाली…

शैक्षणिक दृष्टि से विदेशी भाषा के रूप में हिंदी तथा सिंहली भाषाओं का संरचनागत व्यतिरेकी अध्ययन – (लेख)

शैक्षणिक दृष्टि से विदेशी भाषा के रूप में हिंदी तथा सिंहली भाषाओं का संरचनागत व्यतिरेकी अध्ययन -अतिला कोतलावल विदेशों में हिंदी और विदेशी भाषा के रूप में हिंदी… इन दोनों…

हिन्दी भाषा – (कविता)

हिन्दी भाषा हिन्दी है मेरी अनमोल प्यारी मातृभाषाबने सबकी अभिव्यक्ति की साख ऐसी अभिलाषाटोक्यो की हिन्दी सभा शिविर में आकर ये विचार आयाकरे हिन्दी के उत्थान के लिए कुछ ये…

रंजना सिंह – (परिचय)

रंजना सिंह मैं, रंजना सिंह पिछले लगभग 2 दशकों से जापान की राजधानी टोक्यो में अपने परिवार के साथ रह रही हूँ।ताज नगरी आगरा में पली बढ़ी और वहीं से…

इस देश में बसंत – (कविता)

इस देश में बसंत बैठ मुंडेर पर निहार रहा हैपथिक भ्रांत दृश्य एक ‌‌‌‌‍सामने उसके रचा हुआ हैरचनाकार का बसंत विशेष दिवास्वप्न-सा आगंतुक अविचल हैऋतुराज का दृश्य नवल नवीनमानो शाख…

Translate This Website »