‘फूफा जी’
फूफा जी छोटा कद के, श्यामल छवि के, हल्के डील-डौल के, अधेड़ उम्र के व्यक्ति के रूप में बचपन की यादों में अंकित हैं। सिर और मूंछों के डाई किए…
दीपक और सूरज
सूरज कहता धन्य दीप तुम, धन्य तुम्हारा त्याग से नाता जब मैं चलकर थक हूं जाता, दीप तब अपना तन पिघलाता बना तेल बाती की सेना, चल पड़ते हो तान…
अभिषेक त्रिपाठी
पता : द वाइन्स,बेलफास्ट, आयरलैंड, पोस्ट कोड: BT10 0GP ईमेल : Belfast.Abhi@gmail.com/Hindi.Ireland@gmail.com जन्मस्थान : लखनऊ, उत्तर प्रदेश (भारत) शिक्षा : सम्प्रति : संबद्ध : प्रकाशन : मान्यता/ पुरस्कार/ सम्मान :…
हाइकु – मीरा ठाकुर
1) मीठे हैं बोल मिसरी रहे घोल मन अमोल (2) वर्षा का पानी देता है जिंदगानी यही रवानी (3) ये अमराई न अगर बौराए कैसे दे साए (4) है अंहकार…
प्रकृति से मिलन
हमारी पूरी दुनिया में इस सदी में भयावह स्थिति तब बन गई, जब समस्त विश्व कोरोना जैसी महामारी की चपेट में आ गया और किसी के पास इससे बचने का…
समदृष्टि का एहसास
“संजय, मुझे तुमसे जरूरी बात करनी है।” “हां लिसा, बोलो।” “यह जो तुम्हारी टीम में राकेश है यह मुझे कभी-कभी इग्नोर करता है, कई बार मैंने इसको आवाज लगाई और…
सृष्टि सृजन
पृष्ठभूमि यह है, की बिग बैंग सिद्धांत से ब्रह्मांड का निर्माण प्रारंभ हुआ और किस प्रकार पृथ्वी पर जीवन का प्रादुर्भाव हुआ। कहा ये भी गया है कि ब्रह्मा को…
मधुमन
एक बच्चे की भावनाओं और इच्छाओं का उस समय से संकलन जब वह इस दुनिया में आने वाला है, उसकी माँ की गोद से लेकर उस समय तक जब वह…
ऋजु भार्गव
राजस्थान के अजमेर में एक प्रसिद्ध परिवार से आने वाले, ऋजु का जन्म दिसंबर 1973 में हुआ था। अपने परिवार से उन्हें संस्कृति, अनुशासन और विनम्रता की विरासत मिली है…
मैं बदल गई हूँ
इस बदलते परिवेश के कारण मैं बदल गई हूँ लोगों का पता नहीं पर ‘मैं’ मैं न रहकर कुछ और हो गई हूँ । पहले मुस्कराने की कोई वजह नहीं…
दिव्या माथुर
वातायन-यूके की संस्थापक, दिव्या माथुर एक वरिष्ठ और बहु-पुरस्कृत लेखिका, अनुवादक और इम्प्रेसरियो हैं, जिन्हें तीन दशकों में सैंकड़ों सफल और सार्थक कार्यक्रमों के आयोजन के लिए भारत और ब्रिटेन…
अंतिम तीन दिन
अपने ही घर में माया चूहे सी चुपचाप घुसी और सीधे अपने शयनकक्ष में जाकर बिस्तर पर बैठ गई; स्तब्ध। जीवन में आज पहली बार मानो सोच के घोड़ों की…
प्रवासी लेखन में ‘नौसटैलजिया’
दिव्या माथुर समय तेजी से बदल रहा है, जाहिर है कि हमारे साहित्य में भी यह बदलाव, व्याकुलता और बेचैनी छलक रही है जो हिन्दी साहित्य को अपनी मौलिकता से…
लोरी – (कविता)
लोरी निंदिया बनके तेरी पलकों में छिप जाऊंतू जागे मैं जागूं, तू सोए सो जाऊंकाली रात की अलकें भारी भारीतेरी आँखें हैं कारी कजरारीभोर किरण बन आऊंतुझको चूमूं जगाऊँतू जागे…
आत्महत्या के बीज – (कविता)
आत्महत्या के बीज सुना हैभारत बड़ी तरक्की कर रहा है जिसे देखो ऊपर, ऊपर और ऊपर हीचढ़ रहा हैसुना है किसान अब अपने बीज नहीं बो सकते न ही बांट…
मैं चील हूँ – (कविता)
मैं चील हूँ मैं एक चील हूँजो एक पीड़ादायी मृत्यु से जीत आईघायल हुई, हाँ, बेहद घायल,किन्तु मैंने पुन: सीखे कौशलऔर देखो न, मैं कितनी तैयार हूँअब तो मृत्यु के…
कढ़ी – (कविता)
कढ़ी आज सुबह मैंने कढ़ी बनाईछोटी छोटी गोल मटोल पकौड़ियांयूं खदक रही थीं पतीले में ज्यूं फुदकते थे बच्चे बरसात से भीगे आंगन मेंऐसा आल्हादित था मन कि सारे मुहल्ले…
दस्तक – (कविता)
दस्तक न सुने तो कोई क्या कीजेदस्तक देने में हर्ज़ है क्याहम खुशी खुशी भुगतेंगे इसेजो मिट जाए वो मर्ज़ है क्यादिल माँगा, जां हमने दीये छोटा मोटा क़र्ज़ है…