यादों का वसंत (चोका) – (कविता)
यादों का वसंत (चोका) जब भी मेरेमन उपवन मेंउतर आतातुम्हारी स्मृतियों कामोही वसंतढुलक जाता प्यारमेरी कोरों सेनेह की बूँद बनमहक जाताहै मेरा रोम-रोमअहसासों कीसंदली ख़ुशबू सेउर कमलपर तिर आते होओस…
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यादों का वसंत (चोका) जब भी मेरेमन उपवन मेंउतर आतातुम्हारी स्मृतियों कामोही वसंतढुलक जाता प्यारमेरी कोरों सेनेह की बूँद बनमहक जाताहै मेरा रोम-रोमअहसासों कीसंदली ख़ुशबू सेउर कमलपर तिर आते होओस…
तेरा जाना किए जतन मन बहलाने कोमिलते नहीं बहानेअधरों की हड़ताल देख करसिकुड़ गईं मुसकानें। मन का शहर रहा करता थाजगमग प्रीतम तुमसेबिखर गया सब टूट-टूट करचले गए तुम जबसे।…
कह दो न इक बार ज़रा सोचो तोतुम्हारी ज़िद के चलतेइस रूठा-रूठी के दौर मेंजो मैं हो गई धुँआतो क़सम ख़ुदा कीछटपटाते रह जाओगेक्षमा के बोल कहने कोलिपट कर मेरी…
बकरी देखिए–मेरे देश की व्यवस्थाकितनी लाचार हो गई,मेजिस्ट्रेट का बग़ीचा चरने के जुर्म में–एक बकरी गिरफ़्तार हो गई।ऐसे में सख़्त एवं लिखि त एफ़ आई आर हो गई,मालिक पर धारा…
आसमान तो मेरा है डोली में बिठाते हुएमाँ ने बेटी कोएक लम्बी सूची हाथ में थमाईऔर बोली– यह तेरी अमानत है।सोचा, दहेज़ के सामान की सूची होगी।बेटी ससुराल पहुँची,काग़ज़ का…
मैं नारीवादी हूँ तुम कहते हो– मैं नारीवादी हूँक्योंकि मैं प्रगतिवादी हूँ।तुम अधिकार की बात करते हो,मैं अस्तित्व की दुहाई देती हूँ। मेरी लड़ाई समानता की है –जहाँ मेरी सोच…
मैं एक बार फिर डरी जब उसने अपने पोषण से सींच करमुझे नया जन्म दियाहर नए प्रेम-क्षण से मेरे अंदर एक कविता जन्मीमेरी आँख के आँसू पोंछते हुए जब उसने…
घर लोग कहते हैं किघर इंसानों से होता है दीवारों से नहींआशियाना रिश्तों से बनता हैईंट-पत्थरों से नहीं घर ढूँढ़ते-ढूँढ़ते हर रोज़दिन से रात हो जाती हैसड़कों पर भटकते हुएकई…
हाँ, मैं अमृता हूँ हाँ, मैं अमृता हूँहाँ, मैंने मोहब्बत की इबादत में बग़ावत की हैहाँ, मैंने ख़ुद की खोज में अपनी ही पहचान छोड़ी हैहाँ, मैं वी आख़दी आँ…
कलूटी रात लोग कहने लगे,“तुम्हारे चेहरे का नूरकहाँ जा रहा है?”अपने टोकने लगे“ये आँखों के नीचे काला बादलकहाँ से आ रहा है?” कैसे समझाऊँ लोगों कोकि नूर अपने लूट के…
वह पेड़! बड़ा अजीब सा लगा जब चलते-चलते,एक बड़ा सा पेड़ सामने आ गया,ठोकर लगते लगते बची,“देख कर नहीं चलते क्या भाई?” पेड़ बोला। “जल्दी में था, सोचाकिनारा कर निकल…
आशीर्वाद वह जल्दी से मेरे पैर छूकर चला गया,आशीर्वाद के शब्द बोलती मैं उसकेपीछे-पीछे आई तो पर वह चलता गयामैं सोचती रही उसने सुनें तो होंगे,मेरे वे शब्द जो मन…
तुम! तुम मेरी हर कहानी में हो,हर ज़बानी में हो,हर हार, हर जीत,हर दुख, हर सितम में तुम ही तो हो! तुम्हारे इर्द गिर्द,पता नहीं कितनी कहानियाँ बुनी हैं मैंने,सीधी…
वह कोने वाला मकान अब मैं उस कोने वालेमकान में नहीं रहती हूँ,अब उस मकान में कोई और ही रहता है। उस मकान में आकर उसे घर बनाया,सजाया सँवारा,धीरे धीरे…
जिन गलियों मेंखेल-कूद करबचपन बिताया जिन खाली जगहों परगिल्ली डंडा और क्रिकेटखेलकरछुट्टियों के दिन काटे जिन रास्तों परचल करस्कूल आया गया जिन चौराहों सेनिकलकरसायकल चलाना सीखा पहचान नहीं पायावो गलीऔर…
रोज मर्रा केकाम काजनिपटाते-निपटातेजिन्दगी केहंसी लम्हेनिपट रहे हैं सुविधाओं सेलिपटने की होड़ मेंअकेलापन औरअवसादलिपट रहे हैं जिन्दगी तोभाग रही हैबेतहाशालेकिनदिल के अरमानघिसट रहे हैं छूने की चाहत मेंचाँद सितारेपीछे छोड़…
वो माँ!जिसने जनम दिया-मुझेऔर आपको, वो माँ!जो देवों से भी-बढ़कर है, वो माँ!जिसे हमस्वर्ग से भीमहान कहते हैं, वो माँ!जिसकाप्रेम और त्याग-अतुलनीय है, वो माँभी तो हमारीमाँ होने से पहले,किसी…
जीवन की साँझ जीवन की साँझ का प्रहर,ढल चली है दोपहर।बयार मंद-मंद है,धूप भी नहीं प्रखर॥ यह समय भला-भला,नये से रंग में ढला।जीवन का नया मोड़ है,न कोई भाग दौड़…
मेरा सर्वस्व जीवन में है मिला बहुत कुछइससे कब इन्कार किया?जो भी पाया, जितना पाया,सबसे मैंने प्यार किया॥कभी नहीं चाहा मैंनेहाथ बढ़ाकर छू लूँ नभ।और धरा को मापूँ मैं,करी कामना…
पंख बन पंख बन, परवाज़ बनख़ुद अपने सर का ताज बन,सुन गुनगुना रही जो ज़िन्दगीइस मौसीक़ी का साज़ बन तू उज्जवला, सहस्रज्वला,न अश्रु स्वेद छलछला,प्रतिबिम्ब बन कर जी चुकीअब रौशनी…