Author: वैश्विक हिंदी परिवार

भारत के उच्चायोग, लंदन /High Commission of India, London – (प्रेस विज्ञप्ति / PRESS  RELEASE)

भारत के उच्चायोग, लंदन /High Commission of India, London – (प्रेस विज्ञप्ति / PRESS RELEASE) भारत के उच्चायोग, लंदन द्वारा विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में वर्ष 2006 से प्रति…

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय डॉ. मनमोहन सिंह जी को शत-शत नमन – (श्रद्धांजलि)

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय डॉ. मनमोहन सिंह जी को शत-शत नमन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय डॉ. मनमोहन सिंह जी को शत-शत नमन करते हुए मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित…

तुम कहो तो मैं लिख दूँ – (कविता)

तुम कहो तो मैं लिख दूँ चूल्हे की रोटी का वो स्वाद,जो माँ के प्यार से रचा था,मोहल्ले की दादी का आशीर्वाद,जहाँ हर गम छुप जाता था।तुम कहो तो मैं…

तीसरा ‘दक्षिण भारतीय हिंदी सम्मेलन’ किला, तृशूर केरल में – (रिपोर्ट)

दिनांक 27.12.2024 को तृशूर (केरल) में आयोजित दो दिवसीय दक्षिण भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन का शुभारंभ मुंबई की वरिष्ठ कथाकार मधु कांकरिया जी ने किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि…

विदेश में देश – (संस्मरण आलेख)

विदेश में देश – विनीता तिवारी देश से बाहर निकले करीब पच्चीस साल हो गए लेकिन इन पच्चीस वर्षों में से शुरू के लगभग तेरह वर्ष ऐसे थे, जिनमें हर…

कवि और कविता – (कविता)

कवि और कविता——————— हिन्दी के कवि और कविता कीदेखो कितनी लाचारी है।बिना मानदेय छप-छप कर भीसंपादक का आभारी है। कोविड ने जब से दिखलाईराह नई अंतर्जालों कीज़ूम बराबर ज़ूम हो…

नया साल : नया गीत – (कविता)

नया साल : नया गीत———————— नये साल में गीत लिखेंकुछ नये भाव के ऐसेहर शाखा पर पत्र-पुष्प नवऋतु बसंत में जैसे ख़ुशियाँ हों हर घर आँगन मेंप्रेम प्यार हो मन…

पहुँच गए अमरीका – (कविता)

पहुँच गए अमरीका———————— बाँध गठरिया घर से निकलेपहुँच गए अमरीकानए देश के नए शहर मेंलगता था सब फीका धीरे-धीरे समय गुजरतादिखती थी चहुँओर विषमतासात समुंदर पार करे नहींकोई रोली टीका…

विनीता तिवारी की ग़ज़लें – (ग़ज़ल)

ग़ज़ल- 1. न तुम अच्छे, न मैं अच्छी, ग़लतफ़हमी में मत रहना,हुई ये बात अब नक्की, ग़लतफ़हमी में मत रहना। सितारों पर घुमाने का मुझे सपना दिखाते हो,बहुत भोले हो…

विनीता तिवारी – (परिचय)

विनीता तिवारी आप लेखन के अतिरिक्त हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, नृत्य एवं चित्रकला में अभिरुचि रखती हैं। आप इंडिया इंटरनेशनल स्कूल, शैंटिली, वर्जीनिया में हिन्दी का अध्यापन कार्य कर रही हैं।…

श्रीनाथ विश्वविद्यालय-जमशेदपुर द्वारा आयोजित आठवाँ अंतरराष्ट्रीय हिंदी महोत्सव – (रिपोर्ट)

श्रीनाथ विश्वविद्यालय-जमशेदपुर द्वारा आयोजित आठवाँ अंतरराष्ट्रीय हिंदी महोत्सव डॉ कुमुद शर्मा जी के साथ यात्रा करना और रहना हमेशा ही सुखद होता है; दिल्ली से फ़्लाइट लेकर हम रात 8…

अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ – (रिपोर्ट)

अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ लेखक गांव में अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी की शताब्दी जयंती के अवसर…

काश मैं अंग्रेजी होती – (कविता)

काश मैं अंग्रेजी होती काश मैं अंग्रेजी होतीमैं इतराती, मैं इठलातीSwag से मैं भी बोली जातीकाश मैं अंग्रेजी होती वक्ताओं का गुरूर होतीश्रोताओं को भी cool लगतीकाश मैं अंग्रेजी होती…

मेरे राम लला – (कविता)

मेरे राम लला एकटक तकतीं शून्य में,बाट जोहती प्रति क्षण,पंथ निहारतीं.. तरसती दरस को,अंखियां मेरी प्रतीक्षा में तेरी,ओ मेरे राम लला। सुध-बुध बिसरा के,सर्वस्व भूला के,राम नाम जपते जपते,सिया राम…

मेरा भारत देश महान – (कविता)

मेरा भारत देश महान गर्व है सौभाग्य है किमिट्टी में तेरी जन्मी ये कायादूर हो कर भी दूर नहींतू मन में जो है समायातू मेरा भारत देश महानमेरा भारत देश…

राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस – (रिपोर्ट)

राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस लो फिर एक बार.. राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस आ गया,लो फिर एक बार.. हम भारतीयों का देश प्रेम जाग गया। देशभक्ति हममें है कितनी, प्यार हमें…

बदलती ऋतु – (कविता)

बदलती ऋतु तुम..जैसे..इंग्लैंड की कड़कड़ाती ठंड में खिली,किरन एक छोटी सी सुनहरी धूप की। तुम..जैसे..पतझड़ के मौसम में वो पत्तियाँ झड़ी,धरती सजी तमाम रंगों की रंगोली सी। तुम..जैसे..ओले और बर्फ़बारी…

सोचा ना था कभी – (कविता)

सोचा ना था कभी सोचा ना था कभी,देस से दूर कहीं बस जाना होगा, करोड़ों की आबादी में भीखुल कर सांस लेने वाले,हमको मुठ्ठी भर लोगों मेंघुटन महसूस करना होगा।…

चाँद को ताकूँ मैं – (कविता)

चाँद को ताकूँ मैं चाँद को ताकूँ मैंसारी सारी रातऔर सोचूँ अक्सरबस एक ही बात।। बाबजूद दाग़ के भीवो क्यों लगेइतना ख़ास हमको,बाबजूद दाग़ के भीखूबसूरती क्यों लगेबेदाग हमको। चाँद…

अभिलाषा – (कविता)

अभिलाषा भिन्न हो चाहे रहन-सहन या फिर हमारी वेश-भूषा,खान-पान में हो भिन्नता या अलग हो हमारी भाषा,हों किसी भी गांव-शहर से.. किसी भी धर्म-जाति के हम,मिलजुल कर सब साथ रहें,…

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