आतंक और आकांक्षा – (कविता)
आतंक और आकांक्षा मेरी पुण्य धरती को किसने चुरायाकैसा अँधेरा है कैसा है साया। यहाँ बह रही हैं प्रलय की हवाएँक्रन्दन मचा है जलती चितायें। ले क्रोध की लौ मानव…
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आतंक और आकांक्षा मेरी पुण्य धरती को किसने चुरायाकैसा अँधेरा है कैसा है साया। यहाँ बह रही हैं प्रलय की हवाएँक्रन्दन मचा है जलती चितायें। ले क्रोध की लौ मानव…
दिल कुछ गुम-सुम कुछ हैरान सा हैअपने घर में मेहमान सा है,क्या-क्या सहा और क्या सहना हैदिल क्यों आज अंजान सा है। था शहर यह अजनबी पहले भीतन्हाई ज़हर थी…
बंजारा ख़ुदग़र्ज़ों की बस्ती मेंरोज़ ख़ुद को बहला लेते हैं,किसको जा के घाव दिखाएँख़ुद ही हम सहला लेते हैं। जीते हैं हम इस भ्रम मेंख़ुद में ख़ुद को ढूँढ़ ही…
वक़्त (कैनेडा में साल में दो बार वक़्त बदलने के सन्दर्भ में) सुना है कि कल रात,फिर से वक़्त बदल गयाज़िंदगी का एक हिस्सा,फिर शून्य में मिल गया।पर काश ऐसा…
अच्छा इंसान थके-हारे जज़्बात,जब रातों को उलझने लगते थे,गुम-सुम एहसास,जब सर्द-ऋतु में सुलगने लगते थे,मैं अन्तर्द्वन्द्व की आवाज़, ख़ामोशी से सुनना चाहता थामैं तो बस केवल,एक अच्छा इंसान बनना चाहता…
जगमोहन संघा शैक्षिक योग्यता : एलएलबी.; एम.ए. (इंग्लि श); एम.बी.ए.; पीएच.डी. वर्तमान पता : ब्रैम्पटन,ओंटेरियो, भाषाएँ : हिंदी, पंजाबी, अँग्रेज़ी लेखन व प्रेरणा स्रोत : १४ साल की उम्र से…
हाइकु रुत की ख़ताचुप्पियों को दे गईगीतों का पता। सर्दी का छोरामाना नहीं लाने सेहिम का बोरा। हिम उत्पातआँगन, छत, छज्जेकाँपे हैं हाड़। तुमने मुझेजब-जब नकाराऔर सँवारा। गिरीं बौछारेंझुलसी दिशाओं…
माहिया यादों की गहन झड़ीढलकें ना आँसूपलकें ले बोझ खड़ीं। दिल बाँचे यादों कोकाँधे तरस गएअपनों के हाथों को। उलझी जीवन- पाँखेंभूल गई आँसूगुमसुम भीगी आँखें। हम कुछ ना कह…
सेदोका ओस बूँदों सीसरल औ निश्छलतुम्हारी ये मुस्कानढही आस कोदे जीने की वजहफूँके नूतन प्राण। बदली रुतसावन डाकिया लेआया पुराने ख़तभूली यादों कीभीगी-भीगी चिठ्ठियाँसुलगा रहीं मन। छुआ हवा केहाथों ने…
ताँका तिरा संदेहअपाहिज है वक़्तकाँप रही हैंविश्वास की मीनारेंदूरी बनी इलाज। बाँधे घुँघरूमलय पवन नेहोंठों पे रागमेघों ने ढोल पीटेबुँदियों की बारात बाँसों के वनजब बजी बाँसुरीपगला मनप्रीतम की यादों…
यादों का वसंत (चोका) जब भी मेरेमन उपवन मेंउतर आतातुम्हारी स्मृतियों कामोही वसंतढुलक जाता प्यारमेरी कोरों सेनेह की बूँद बनमहक जाताहै मेरा रोम-रोमअहसासों कीसंदली ख़ुशबू सेउर कमलपर तिर आते होओस…
तेरा जाना किए जतन मन बहलाने कोमिलते नहीं बहानेअधरों की हड़ताल देख करसिकुड़ गईं मुसकानें। मन का शहर रहा करता थाजगमग प्रीतम तुमसेबिखर गया सब टूट-टूट करचले गए तुम जबसे।…
कह दो न इक बार ज़रा सोचो तोतुम्हारी ज़िद के चलतेइस रूठा-रूठी के दौर मेंजो मैं हो गई धुँआतो क़सम ख़ुदा कीछटपटाते रह जाओगेक्षमा के बोल कहने कोलिपट कर मेरी…
बकरी देखिए–मेरे देश की व्यवस्थाकितनी लाचार हो गई,मेजिस्ट्रेट का बग़ीचा चरने के जुर्म में–एक बकरी गिरफ़्तार हो गई।ऐसे में सख़्त एवं लिखि त एफ़ आई आर हो गई,मालिक पर धारा…
आसमान तो मेरा है डोली में बिठाते हुएमाँ ने बेटी कोएक लम्बी सूची हाथ में थमाईऔर बोली– यह तेरी अमानत है।सोचा, दहेज़ के सामान की सूची होगी।बेटी ससुराल पहुँची,काग़ज़ का…
मैं नारीवादी हूँ तुम कहते हो– मैं नारीवादी हूँक्योंकि मैं प्रगतिवादी हूँ।तुम अधिकार की बात करते हो,मैं अस्तित्व की दुहाई देती हूँ। मेरी लड़ाई समानता की है –जहाँ मेरी सोच…
मैं एक बार फिर डरी जब उसने अपने पोषण से सींच करमुझे नया जन्म दियाहर नए प्रेम-क्षण से मेरे अंदर एक कविता जन्मीमेरी आँख के आँसू पोंछते हुए जब उसने…
घर लोग कहते हैं किघर इंसानों से होता है दीवारों से नहींआशियाना रिश्तों से बनता हैईंट-पत्थरों से नहीं घर ढूँढ़ते-ढूँढ़ते हर रोज़दिन से रात हो जाती हैसड़कों पर भटकते हुएकई…
हाँ, मैं अमृता हूँ हाँ, मैं अमृता हूँहाँ, मैंने मोहब्बत की इबादत में बग़ावत की हैहाँ, मैंने ख़ुद की खोज में अपनी ही पहचान छोड़ी हैहाँ, मैं वी आख़दी आँ…
कलूटी रात लोग कहने लगे,“तुम्हारे चेहरे का नूरकहाँ जा रहा है?”अपने टोकने लगे“ये आँखों के नीचे काला बादलकहाँ से आ रहा है?” कैसे समझाऊँ लोगों कोकि नूर अपने लूट के…