Category: प्रवासी साहित्य

खुशियाँ – (कविता)

खुशियाँ आनंद और प्रसन्नता देती है खुशियाँजिंदा रहने की औषधि यही तो है मियाहर्ष, सुख, आमोद, प्रमोद या कहो उल्लासइसी के पान से बुझती है हर किसी की प्यासविचारों की…

आंतरिक स्कूली शिक्षकों की याचिका – (कविता)

आंतरिक स्कूली शिक्षकों की याचिका हम उल्लू नहीं है जो रात को दिखते हैंन ही कोई निशाचर बिल्लीहमारी आंखें धुंधली है हम नहीं देख सकतेहम चमगादड़ की तरह अंधे हो…

औषधि – (कविता)

औषधि जब मैं छोटी लड़की थीकई महिलाएं आती थीमेरी दादी के पास ठीक होने के लिएदादी कुछ पत्ते चबा लेतीअधिक पत्तियों में लिपटेपरेशान घावों को सूखने के लिएफिर रस का…

अंधेर है भाई – (कविता)

अंधेर है भाई छः साल के बच्चे की किलकारियां हूँ जब सुनतीभोले भाली उनके चेहरे देख खिल हूँ मैं पड़तीकुछ सीखने को मुझसे उत्सुकता भरी नजरों से देखतेमेरे मुख से…

जिंदगी का सफर – (कविता)

जिंदगी का सफर जो छूट रह है उसका क्या अफ़सोस करें हमजो हासिल हो रहा है, उसी से सवाल करें हम बहुत दूर तक जाते हैं, यादों के काफ़िलेबेकार क्यों…

बरसात का मौसम – (कविता)

बरसात का मौसम चलो साथियों चले बाहरघर में भला क्या रखा हैबादल गरजती, बिजली चमकतीमूसलाधार बरखा हो रहा है रह रह कर झोंके की हवा चल रहीमग्न हो झूम उठी…

हिन्दी को बैसाखी नहीं चाहिए – (आलेख)

हिन्दी को बैसाखी नहीं चाहिए -हंसा दीप इन दिनों सभी को हिन्दी पठन और लेखन को लेकर एक समान चिन्ता है। भारत हो या भारत के बाहर, हर ओर एक…

चैतन्य मन – (लघु कथा)

चैतन्य मन – पूजा अनिल सामने वाली शुक्ला आंटी की बेटी को किसी अनजान लड़के के साथ देख कर मन किया कि उन्हें उनकी बेटी के इस छुपे हुए रिश्ते…

राह में जीवन – (कविता)

राह में जीवन पानी सी आकृति मेरीपानी में घुल रही!बुलबुले सा जीवन मेरादेखो कैसे उड़ रहा!वाष्पित होती साँसे मेरीकहो कहाँ से आ रहीं?सीमित सी दृष्टि मेरीअपरिमित स्वप्न बुन रही!चंद वर्षों…

दुविधा – (लघु कथा)

दुविधा – पूजा अनिल सुबह से माँ से बात नहीं हो पाई थी उस दिन। प्रकाश ने मोबाइल देखा, दोपहर में माँ ने फ़ोन किया था लेकिन तब वह ऑफिस…

पावस – (कविता)

पावस देखो, बारिशों में कभी मत रोनाभीगेगी देह भीभीगेगी रूह भीतब धूप भी न होगीकि मन की नमी सोख ले!और सुनो, मत रोना गर्मियों मेंआंसूं और पसीनाएक से दिखेंगेकोई आँख…

काश! – (लघु कथा)

काश! -पूजा अनिल मारीसा किसी तरह उठ कर अपने कमरे से निकल कर किचन की तरफ जाने लगी। पंद्रह कदम का फासला तय करने मे बड़े कष्ट के साथ उसे…

सिंगापुर में हिंदी – (आलेख)

सिंगापुर में हिंदी -डॉ. संध्या सिंह भारतीय डायस्पोरा का फैलाव विश्व के कई देशों में काफी बड़े स्तर पर है। यह सिर्फ फैलाव ही नहीं है बल्कि उस देश के…

आत्मीय लोग – (कविता)

आत्मीय लोग कनाडा के सरकारी दफ्तर आया हूँस्वागतकर्मी पूछती है –क्या सहायता करूँ ?पेंशनर हूँ, आदतन तीन-चार काम निकाले हैंवह मुस्कुराती एक पेपर टोकन देती हैऔर संबंधित फ़ॉर्म।मेरा क्रम जल्दी…

लेक ओंटेरियो पर – (कविता)

लेक ओंटेरियो पर होना तो इसे समुद्र चाहिए थाकहीं कमतर नहीं यह झीलजहाँ तक जाती है मेरी दृष्टि इस छोर सेकोई तटबंध नहीं दिखतेपर मेरे कहने से नहीं बदलता भूगोलउसकी…

मेपल तरु के साक़ – (कविता)

मेपल तरु के साक़ यह अलग ही बसंत हैजब मैं उसे बाँहों में भरमहसूसना चाहता हूँउसके वक्ष का खुरदरापनमुझमें उतरतेउसके टप-टप मीठे रस कोसमेटना चाहता हूँतने से बाल्टी बाँधते हुए।…

डायनासोर – (कविता)

डायनासोर मैं डायनासोरों की राजधानीड्रमहेलर, कनाडा में हूँ।मुझे नहीं लगताकरोड़ों साल पहले मैं रहा होऊँगा यहाँपर्वत शृंखलाओं कोरेत-रेत घाटियाँ बनते देखने के लिए। वे बहुत बड़े थेआदमी से लंबी तो…

पर्व वेला – (कविता)

पर्व वेला पर्व वेला में मधुर इक गीत जो मैं गुनगुनाता,प्राण मेरे साथ गाओ।समय की उज्जवल शिला परजो लिखे हैं भाव मेरे,गीत के तुम स्वर बनाओ। पहर बीते, दिन ढले,बरस…

गीत ये निष्प्राण है – (कविता)

गीत ये निष्प्राण है गीत ये निष्प्राण है, शब्द का केवल चयन।इस उमड़ती भीड़ में अस्तित्व मेरा क्या हुआहैं अनेकों पर अकेला मैं भटकता ही रहा।आज कोई घर न मेराना…

एक विश्वास एक आशा – (कविता)

एक विश्वास एक आशा मेरे वो गीत आज मौन आज सहमे हैंथम गई मेरी कलम और उदास नग़मे हैं। वो भी दिन थे जो मैंने गीत प्यार के गायेशब्द जीवित…

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