Category: प्रवासी साहित्य

वज्रपात – (कविता)

वज्रपात कल्पनातीत कालातीतसभा में खड़ी सोचरही हूं मैं…हे माँ कुंती !तुमने मुझे क्या से क्याबना डालाकहां से कहां ला डाला..!! ‘बांट लो’ -कहते ही तुमनेमेरा वर्तमान – भविष्यपतनागर्त कर डालातुमने…

बनजारन – (कविता)

बनजारन जीवन-रेगिस्तान मेंमरीचिका-प्रेम ढूढ़नेबनजारन-मैं…रोज़ करती हूं तयरेत-भरा-मीलों सफर …!! टांग-सूरज-बालों मेंटाँक चांद-दुपट्टे मेंनव-यौवन को ढकती, चुनरी सेपसीने से उजागर होते, अधरश्वेत-चांदनी पहन-ओढ़भटकती हूं रात-दिन-कहीं- मैंइस बंजर जमीन पर…!! कभी-कहीं-कब-क्या मैंप्यास-जल-खुद…

बापू के नाम एक खुला पत्र – (कविता)

बापू के नाम एक खुला पत्र विश्व को हिंसा सेमुक्त कराने का बीड़ा उठाया था तुमने।विश्व तो क्या, यहां तो घर में भीशांति-निवास के लाले पड़ गए हैं।अब तो घरेलू…

क्या खोया क्या पाया – (कविता)

क्या खोया क्या पाया माँ के गर्भ की सुरक्षा खोईतो इस दुनिया में जीने काअवसर पाया। बचपन का अल्हड़पनऔर बेफिक्री खोईतो जवानी में कदम रखनेका अहसास पाया। देश खोया,अपनी धरती…

हिसाब ज़िंदगी के – (कविता)

हिसाब ज़िंदगी के बाद मुद्दत तू आया है मेरे आँगन मेंकोई शिकवा नहीं जज़्बात की बातें कर लें मैं तेरी हीर नहीं तू मेरा रांझा न रहाबिकते और काँपते इंसान…

प्रश्नोत्तरी – (कविता)

प्रश्नोत्तरी तेरे प्रश्नों की पंक्ति की तू धूनी समान जल रहा वहाँक्यों व्यस्त यहाँ मेरा जीवन था फाग और मल्हारों में मर गए तरस कर गीत तेरे जब कफन बिनाक्यों…

हमारी तुम्हारी बातें – (कविता)

हमारी तुम्हारी बातें कुछ तुम अपनी कहोकुछ हम अपनी कहेंइसी कहने के सिलसिले मेंकुछ मन का भार हल्का हो। कुछ आंसू तुम्हारे बहेंकुछ आंसू हमारे भी निकलेंइसी तरह मन का…

मैं एक नारी हूँ – (कविता)

मैं एक नारी हूँ नहीं चाहिए मुझे तुम्हारादिया हुआ झूठा ‘स्त्रीधन’ना ही चाहिए मुझे तुम्हाराझूठा दिखावा ‘देवी’ पूजा का।और ना ही लगाव है मुझेतुम्हारे जीवनभर साथ निभानेके झूठे वादों से।…

ख्वाहिश – (कविता)

ख्वाहिश दुनिया की चार दिवारी में बंद हो जाएँयह कभी हमारी ख़्वाहिश नहीं।कुछ कदम साथ चल करतुम्हें मँझधार में छोड़ देंयह हमारी फ़ितरत ही नहीं। दो कदम तुम चलोऔर दो…

तरक्की – (कविता)

तरक्की अब हमारा अपना कुछ नहीं रह गया हैहमने बहुत तरक्की कर ली है।सोशल मीडिया ने हमारा सब कुछसबके सामने फैलाकर रख दिया है। हमारे दिल के किसी गहरे कोने…

जिंदगी तुझसे यूं.. – (कविता)

जिंदगी तुझसे यूं.. जिंदगी तुझसे यूं गुफ्तगू करते रहेक्रेडिट कार्ड के जमाने में जैसेकहीं रिश्तों के भरे बटुए सेरुपया-अठन्नी से निकले-तजुर्बेपाकर, भी क्यूँ नादान सेजख्मों पर खुद ही अपनेकहीं नमक…

मुस्कान – (कविता)

मुस्कान उन्होंने कहा–तुम्हारी मुस्कान मेंएक जादू है।बहुत ही प्यारी और निश्छल है। हमने कहा नहीं–तुम क्या जानोइसके पीछे का दर्द! वे बोले–तुम्हारी आँखों की गहराईमन को मोह लेने वाली है।…

मैं नहीं जानती सृष्टि – (कविता)

मैं नहीं जानती सृष्टि मैं नहीं जानती सृष्टिकितेरे किस रूप को नमन करूं। नवरात्रि में पूज्यतेरे नौ शक्ति रूपोंका नमन करूंया फिरमाँ के रूप में स्त्री की आराधना करूं। पत्नी…

स्वप्नांत

स्वप्नांत कल रात युगों के बाद स्वप्न फिर देखा था मैंने तेरासुरभित कर गया जगत को यूँ चंदन से शीतल प्यार तेरा मेरी शर्मीली आंखें तेरी बाँहों में यूँ झूल…

आईना – (कविता)

आईना आज आईने में खुद सेमुलाकात हो गईकुछ देर के लिएजैसे सन्नाटा छा गया। फिर हिम्मत करकेमैंने सवाल पूछ ही लियाक्या बात हैइतने चुप क्यों होक्या जो देखा उस परविश्वास…

निरपेक्ष – (कविता)

निरपेक्ष कल्पना करनाहमारा स्वभाव है-और उसका खंडित हो जानाउसकी नित्यता। स्वप्न संजोना हमारी मजबूरी हैऔर स्वप्नों का टूटनाउसकी शाश्वतता। असंभव को संभव करनाहमारी कामना है।और संभव का भी असंभव हो…

जीवन चक्र – (कहानी)

जीवन चक्र भावना कुँअर बात उन दिनों की है जब रूपा ने तीसरे बेटे को जन्म दिया। दो बेटे पहले से ही थे। दो अबॉर्शन तो पहले ही उसके ससुराल…

ख़ुद्दारी – (कहानी)

ख़ुद्दारी भावना कुँअर आज फिर शीला अपने छोटे-छोटे बच्चों को गोद में लेकर काम की तलाश में सुबह-सुबह ही निकल पड़ी। पूरा दिन बच्चों को लेकर यहाँ-वहाँ भटकती रही किंतु…

रोशनी का संचार – (कहानी)

रोशनी का संचार भावना कुँअर सोसाइटी में सभी लोग नये साल के जश्न की तैयारी में जुटे थे। हर तरफ़ रंगीन कनातें तन चुकी थीं। सोसाइटी के कुछ हिस्से रंग-बिरंगी…

भावना कुँअर की ग़ज़लें

ग़ज़ल -1 मेरे ग़मों का बोझ ना खुद पर लिया करेंयूँ ग़म-ज़दा न आप हमेशा रहा करें तन्हाइयों में ख़ुद ना अकेले घुटा करेंकुछ अपने दिल का हाल भी हमसे…

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