Category: कविता

भाव-बेभाव – (कविता)

– अनुराग शर्मा ***** भाव-बेभाव प्रेम तुम समझे नहीं, तो हम बताते भी तो क्याथे रक़ीबों से घिरे तुम, हम बुलाते भी तो क्या वस्ल के क़िस्से ही सारे, नींद…

अरमान – (कविता)

अरमान – डॉ स्मिता सिंह ***** बस दो ही दिन पहले के नज़ारेअदभुत रोशनी, रूमानी नज़ारे,जब शब भी शबनम माफ़िक़ चमक बिखेरेपूर्णिमा के चाँद की चाँदनी में नहाईयाद आ गई…

सुकून तो देती थी चाय – (कविता)

सुकून तो देती थी चाय – डॉ स्मिता सिंह ***** चाय हो या कोई चाह,पक्का रंग जब तक ना चढ़ेऔर नहीं हो जुनून,कहाँ मिलता है सच्चा सुख और कौन देता…

अच्छा है – (कविता)

अच्छा है सूखा पत्ताबोझिल रिश्ताझड़ जाए तो अच्छा है। मन की पीरनयन का नीरबह जाए तो अच्छा है। काली रातजी का घातढल जाये तो अच्छा है। अमीर की तिजोरीचोर की…

पगडण्डी की तलाश – (कविता)

पगडण्डी की तलाश अपनी कोठरी के छोटे से झरोखे से देखती हूँदूर, बहुत दूर तक जाते हुए उन रास्तों को।पक्की कंक्रीट की बनी साफ़ सुथरी सड़केंखुद ही फिसलती जातीं सी…

गर्वीला प्रेम – (कविता)

गर्वीला प्रेम वो बैठी थी सोफे नुमा कुर्सी पर, कुछ आगे झुकी हुई,घुटनो तक का फ्रॉक और कम ऊंची एड़ी की सेंडल,ठुड्डी को हथेली पर टिकाये हलकी भूरी आँखों में…

उसका मेरा चाँद – (कविता)

उसका मेरा चाँद एक नौनिहाल माँ काएक खिड़की से झाँक रहा थासाथ थाल में पड़ी थी रोटी चाँद अस्मां का मांग रहा थामाँ ले कर एक कौर रोटी काउसकी मिन्नत…

यह भान किसे – (कविता)

यह भान किसे उसके सपनीले धागों मेंमैंने स्व मन के मोती धरेजो माला बनी, वो उसने धरीथे मनके किसके यह याद किसे। रातों के गहरे आँचल मेंकुछ उज्ज्वल से तारे…

विधवा नदी – (कविता)

विधवा नदी शहर के चौखट परबहती थीवो नदीजिसमें गिर करसूरज बुझताऔर चाँदमुँह धो के संवर जाताखुश्क हवाएंछू कर इसकोनम हो जातीसंध्या के अरुण श्रृंगार सेनदी की लहरेंसुहागन बन भाग्य पर…

 सुनो बारिश!! – (कविता)

सुनो बारिश!! सुनो बारिश….कुछ पूछना था तुमसे !क्या नभ के वक्ष से निकली महज़ पानी की बूँद हो तुम?या सागर के खारे पानी को सोखकर उसे अमृत जैसा मीठा बनाने…

गूगल – कुछ प्रेम कविताएं – (कविता)

गूगल – कुछ प्रेम कविताएं 1. क्या तुम्हारा नाम ’गूगल’ है ?क्यों कि तुम में वो सब है ..जो मैं अक्सर ढूँढता रहता हूँ । 2. मेरा प्रश्न पूरा करने…

कविता बनी – (कविता)

कविता बनी टूटते मूल्योंऔर विश्वासों कीशृंखला में जबखुद की खुद से न बनीकविता बनी कल्पना की उड़ान मेंसपनो के जहान मेंमिट्टी के घरोंदे बनातेजब उँगलियाँ सनीकविता बनी फूलों से गंध…

अगले खम्भे तक का सफ़र – (कविता)

अगले खम्भे तक का सफ़र याद है,तुम और मैंपहाड़ी वाले शहर कीलम्बी, घुमावदार,सड़क परबिना कुछ बोलेहाथ में हाथ डालेबेमतलब, बेपरवाहमीलों चला करते थे,खम्भों को गिना करते थे,और मैं जबचलते चलतेथक…

काश कभी ऐसा भी हो – (कविता)

काश कभी ऐसा भी हो काश कभी ऐसा भी होसब नया-नया होआँख खुले सब नया-नया होबस नया-नया होसब नया-नया हो धरती अम्बर चंदा तारेनदियाँ पर्वत और नज़ारेसब में एक उन्माद…

 जीवन – (कविता)

जीवन एक निरंतर खोज है जीवनये मत समझो बोझ है जीवनउठ कर गिरना, गिर कर उठनासुख और दुख का बोध है जीवन किसी मोड़ पर हँसना होगाकुछ राहों पर रोना…

खेल – (कविता)

खेल क्या खेल चल रहा हैएकतरफ़ा चल रहा हैसदियों से चल रहा हैहम सबको छल रहा है किस-किस की करें बातसारी ग़म-ए-हयातशतरंज की बिसातबस खेल चल रहा हैएकतरफ़ा चल रहा…

तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलो – (कविता)

तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलो तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलोहै लम्बा पथ तुम चले चलोहै डगर पथिक दुर्गम लेकिनएक आस लिए तुम चले चलो कोई मौसम बाँध नहीं पाएकोई शौक़…

भूमि – (कविता)

भूमि आओ मिल कर आँसू बोएँइस बंजर ऊसर भूमि मेंकोई पुष्प शांति का खिल जाएशायद फिर अपनी भूमि में ये किसने बोई है नफ़रतकि बंदूक़ों की फसल उगीगोली पर गोली…

सम्पूर्ण होना कल्पना है – (कविता)

सम्पूर्ण होना कल्पना है सम्पूर्ण होना कल्पना हैइक अधूरा ख़्वाब हैसच तो ये है हम सभीआधे-अधूरे लोग हैंपूरे की बस चाह मेंहैं भागते रहते सदाथक चुके हैं हम सभीआधे-अधूरे लोग…

सोने वाले जाग ज़रा – (कविता)

सोने वाले जाग ज़रा जंगल जंगल आग लगी हैबस्ती बस्ती उठे धुआँमौसम तेवर बदल रहा हैसोने वाले जाग ज़रा कब से नोच रहा क़ुदरत कोकबसे धरती रौंदे तूआने वालों को…

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