पतझड़-सा है जीवन मेरा – (कविता)
डॉ० अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश पतझड़-सा है जीवन मेरा (सार छंद आधारित गीत) खुशियाँ सारी झुलस रही हैं,जीवन में निर्झर दो।पतझड़-सा है जीवन मेरा,उसको सावन कर दो॥ दुख…
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डॉ० अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश पतझड़-सा है जीवन मेरा (सार छंद आधारित गीत) खुशियाँ सारी झुलस रही हैं,जीवन में निर्झर दो।पतझड़-सा है जीवन मेरा,उसको सावन कर दो॥ दुख…
डॉ० अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश फागुन आ धमका (दुर्मिल सवैया छंद आधारित गीत) अधरों पर गीत सजे जबहीं,समझो तब फागुन आ धमका।मन के अँगना करताल बजे,तब ताल तरंगित…
डॉ० अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश जहर बाँट कर क्या तू पाया (नवगीत – मात्राभार १६,१२) जहर बाँट कर क्या तू पाया,चिंतन कर तू मन में। छेड़-छाड़ करता कुदरत…
– मंजु गुप्ता **** **** अंतरात्मा रूह को मारने की कोशिश तो बहुत कीमार नहीं पाए, यही मुश्किल हो गयी हैजानते हैं जनाब, बड़ी बेशर्म हैहद दर्जे की दसनंबरीमैंने इसे…
मंजु गुप्ता लड़कियाँ लड़कियाँ तो….समय की आवाज़ हैं, हृदय की धड़कन हैंफूलों की खुशबू और खुशबू का स्पन्दन हैं. पानी में लहर हैं, लहरों का नर्तन हैंसमाज की नब्ज और…
– मंजु गुप्ता *** *** प्रकृति के अंश हैं हम तितली के पंख झुलसेगौरैया गायब हुईजंगलों की आई शामतज़िंदगी घायल हुई पशु- पक्षी की कौन कहेआदमी की दुर्दशा हुईकुछ भी…
–मंजु गुप्ता एक दीपक अँधेरे के खिलाफ़ आज की रातएक दीपक जलाओउनके लिएजिनके तन रूखेमन भूखे हैं आज की रातएक दीपक जलाओअँधेरे मन मेंआँज दो ज्योति-रेखनिराश नयनों मेंऔर रख दोएक…
– मंजु गुप्ता *** *** चाँदनी ने छुआ मुझको चाँदनी ने झुआ मुझको, मैं चाँदनी हो गयीधूप ने जब छुआ तो मै रागिनी हो गईवायु ने स्पर्श कर जगाई नव…
– मंजु गुप्ता *** *** खामोशी एक नदी है खामोशी एक नदी हैभीतर बहतीउदास,शांत, निःस्वन कई बार चाँदनी रातों मेंगीत गातीतनहाई में चुपचापबरसात में अक्सरचुप्पी का बाँध तोड़झरने-सी झरती झर-झरबहुत…
ऋतु शर्मा ननंन पाँडे, नीदरलैंड *** *** *** 1. मेरी दुनिया ऑटिजम मेरी दुनिया अलग है, मेरी बातें अलग हैं,मैं देखता हूँ, मैं सुनता हूँ, अलग तरीके से। मेरे दिल…
– रम्भा रानी (रूबी), फिजी ** *** ** *** ** प्रकृति का संदेश ये बयार की सरसराहट,ये पंक्षियो की चहचाहट,ये नदियाँ और लहरों का शोर,ये बारिश में नाचते मोर,ये प्रकृति…
– रम्भा रानी (रूबी ), फिजी **** **** जमा – पूँजी जमा- पूँजीक्या इसका अर्थबस धन – सम्पत्ति ही होता है।नहीं,जमा-पूँजी का अर्थ है –मान, सम्मान, अपमान, अनुभव,जिसे हम सँभाल…
– रम्भा रानी (रूबी), फीजी *** *** *** दीपों का पर्व दीपों का पर्व आने वाला है,हम सबको भी दीप जलाना है। मन के अंदर जो बसा हुआ,सारे अंधकार मिटाना…
– रम्भा रानी (रूबी), फीजी बस एक पहर ही बाकी है तीन पहर तो बीत गए,बस एक पहर ही बाकी है।जीवन हाथों से निकल गया,बस खाली मुट्ठी बाकी है। सब…
– रम्भा रानी (रूबी), फीजी *** *** *** बचपन की क़ुछ खट्टी -मीठी यादें आज भी मुझे बचपन की वो सब यादें जो याद आती हैं,मन खुशियों से भर जाती…
कविता में तो दर्द बहुत है कवि में पता नहीं कितना अच्छा जीवन-स्तर धुले वस्त्र चश्मे का सही नंबर, फ्रेम सुंदर लेकिन भीतर आँखें नम उनके लिए जिन्हें कपड़ा भी…
– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका *** *** *** भूल रहे सब भाईचारा————————- हर भाषा कोदूसरी भाषा से ख़तरा हैहर इंसान यहाँतरकीबों का पिंजरा हैकैसे,किससे आगे निकलेकैसे, किसकोपीछे छोड़ेंभाषा हो याराष्ट्र,…
बचपन में देखे थे सपने सोचा, पूरे होंगे एक दिन लेकिन जब वो उम्र हुई कुछ करने की कर जाने की सपनों को सच बनाने की तो सलाह मिली अपनों…
एक ख़ामोशी सी रहती है जाने मुझसे क्या कहती है सोचा करती कि कौन हूँ मैं अपने ही तन में मौन हूँ मैं क्यूँ शांत स्वरूप सी फिरती हूँ कुछ…
– अनुराग शर्मा ***** घेरे अपने-अपने अपने घेरे में ही, गुनगुनाते रहेपास आना तो दूर, दूर जाते रहे॥ प्रीत हमसे न थी तो जताते नहींप्यार के नाम पर, क्यूँ सताते…