सागर के तट पर – (कविता)
सागर के तट पर सागर की पारदर्शी देह पर थिरकती हैंरहस्य और रोमांच से आह्लादित लहरेंरेतीली जमीन पर लिखती हैंप्रेम की अमिट कहानियां…समर्पित होने से ठीक पहलेआवेग से आती हैंपुरजोर…
सिरहाने में रखी है किताब – (कविता)
सिरहाने में रखी है किताब कई दिनों तक पड़ी रहींमेरी पसंद की किताबेंमेरे सिरहानेपढ़ती रही मैं उन्हेंकिसी-किसी बहाने। कभी नींद लाने की कोशिश मेंतो कभी जाग जाने की खातिरकभी खुदबुदाते…
समर्पित अहसास -(कविता)
समर्पित अहसास हैं बहुत ही खास कुछ अहसास मेरे पासकर रही हूं आज वो तुमको समर्पित। मुट्ठियों में हूं सहेजे बालपन की गिट्टियांभेज न पाई कभी जो प्रेम की कुछ…
शिवोहम् – (कविता)
शिवोहम् आंखों की नमी से गूंदती हैज़िन्दगी का आटाथपकियां दे देकर चकले की धार परगोल-गोल घूमती हैरिश्तों की आंच पर रोटी के साथ-साथसिंकती है खुद भीउनके लिएबड़के और छुटकी के…
जिंदगी की चादर – (कविता)
जिंदगी की चादर जिंदगी को जिया मैंनेइतना चौकस होकरजैसेकि नींद में रहती है सजगचढ़ती उम्र की लड़की कि कहींउसके पैरों से चादर न उघड़ जाए। ***** – अलका सिन्हा
पीपल, पुरखे और पुरानी हवेली – (कहानी)
पीपल, पुरखे और पुरानी हवेली – अलका सिन्हा चैटर्जी लेन का यह सबसे पुराना, दो तल्ला मकान होगा जिसे समय के साथ नया नहीं कराया गया। नीचे-ऊपर मिला कर लगभग…
ई-मुलाकात@फेसबुक.कॉम – (डायरी अंश)
ई-मुलाकात@फेसबुक.कॉम – अलका सिन्हा 20 अगस्त, 2013 याद नहीं रखा तो भूल भी नहीं पाई कि आज की ही तारीख को रात नौ बजे का समय मुलाकात के लिए तय…
बेइन्तहा मुहब्बत – (कविता)
बेइन्तहा मुहब्बत सच है, मैंने किया है तुमसे अटूट प्रेमबेइन्तहा मुहब्बतले ली है दुनिया भर से लड़ाईपर जुनून ही न हुआ तो मुहब्बत कैसीसच है, मैंने दीवानावार चाहा है तुम्हें।…
रूहानी रात और उसके बाद – (डायरी अंश)
रूहानी रात और उसके बाद – अलका सिन्हा 03 सितंबर, 2008 21 अगस्त से 31 अगस्त, 2008 तक यूके हिंदी समिति और नेहरू सेंटर, लंदन द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन…
भंडारघर – (कविता)
भंडारघर पहले के गांवों में हुआ करते थेभंडारघर।भरे रहते थे अन्न से, धान से कलसेडगरे में धरे रहते थेआलू और प्याज़गेहूं-चावल के बोरेऔर भूस की ढेरी मेंपकते हुए आम।नई बहुरिया…
बौन्जाई – (कविता)
बौन्जाई कद्दावर वृक्ष की जड़ गमले में लगानासच-सच बतलानाकैसी चतुराई हैऔर जो ये थोड़ी-सी जमीन मेंपीपल बरगद जैसी छतनार सी पनप आई हैये तो एक औरत हैतुम कहते हो बौन्जाई…
धिनाधिन…धिन… धिनाधिन… – (कहानी)
धिनाधिन…धिन… धिनाधिन… -अलका सिन्हा हल्की बरसात के बाद मौसम सुहावना हो गया था। रास्ते में बिछे सुनहले पत्तों से आती चर्र- मर्र की आवाज अस्फुट-सी कुछ कह रही थी जो…
जन्मदिन मुबारक – (कहानी)
जन्मदिन मुबारक – अलका सिन्हा बगल के कमरे से उठती हुई दबी-दबी हंसी की आवाज उसके कमरे से टकरा रही है। ये हंसी है या चूड़ियों की खनक! पता नहीं,…
चांदनी चौक की जुबानी – (कहानी)
चांदनी चौक की जुबानी -अलका सिन्हा बहुत अच्छा गाती हैं आप!”मैंने कहा तो वान्या मुस्करा दी, ”धन्यवाद, मुझे संगीत बहुत प्रिय है।” अबकी बार मैं हंस पड़ी। विदेशी मूल का…
रिहाई – (कहानी)
रिहाई –अलका सिन्हा उम्रकैद की लंबी सजा को तेरह साल में निबटा कर आज वह अपने घर के सामने खड़ा था। टकटकी लगाए वह देर तक उस दरवाजे को घूरता…
अलका सिन्हा – (परिचय)
अलका सिन्हा जन्म शिक्षा रचना–कर्म उपन्यास (सृजनलोक कृति सम्मान – 2017) 5 भारतीय भाषाओं में अनूदित कविता–संग्रह कहानी–संग्रह डायरी मीडिया–कर्म विशिष्ट गतिविधियां विशिष्ट उपलब्धियां पुरस्कार और सम्मान संपर्क 371, गुरु…