रूह में लपेट कर – (कविता)
रूह में लपेट कर धुंआ-धुआं हो रहा श्मशान की ओरपर पालकी में बैठी दुल्हनअपने आंचल में सपने संजोएमृगनयनों से अपने पुरूष को निहारतीएक बर्फ़ीली आँधी से अनजानरसवन्ती उमंगों से भरीपपीहे…
हिंदी का वैश्विक मंच
रूह में लपेट कर धुंआ-धुआं हो रहा श्मशान की ओरपर पालकी में बैठी दुल्हनअपने आंचल में सपने संजोएमृगनयनों से अपने पुरूष को निहारतीएक बर्फ़ीली आँधी से अनजानरसवन्ती उमंगों से भरीपपीहे…
पगलाई आँखें ढूंढती पगडंडी के पदचिन्ह से भीक्षितिज देखा हर जगहपगलाई आँखें ढूंढती अपने पिया को हर जगह। फूल सूंघे, छुअन भोगीसपन का वह घरकचनार की हर डाल लिपटी राह…
चिढ़ाते तुम! आचमन भर, दे रहे हो, नदी में सेचिढ़ाते तुम!महामायानींद में कुछ बाँध लेतीमधुर सपनो की सुगंधि, प्यास बनतीबाग महके फूल पाया, सिकुड़ता सा;चिढ़ाते तुम! भूख की चिंता नहींमैं…
कविराज बने फिरते हो लाट साहब की तरह रोजकविराज बने फिरते होहवा निकल जाएगीभंडाफोड़ करूंगी याद रहे।माथापच्ची कौन करे,तुम बहस किसे जिताते होकवि-सम्मेलन में जातेया कहाँ समय बिताते होजासूसी से…
चल पड़ी है वेदना खुशी की राहें भटकती मोड़ पर, हर राह परआँसुओं में डूबती लो चल पड़ी है वेदना नैन जलते थे अंधेरी व्यथाओं की आग परसंग काजल देख…
उलझा दिए हैं किस तरह जिन्दगी नेमायने उलझा दिए हैं किस तरहतिमिर नेकिरणों के पग उलझा दिए हैं किस तरह मंथन हुआ, क्षीर सागर,हिलोरें ले कह रहाविष पयोधर साथ मिल…
सूची उलझा दिए हैं किस तरहचल पड़ी है वेदनाकविराज बने फिरते होचिढ़ाते तुम!पगलाई आँखें ढूंढतीरूह में लपेट करआनंद ही आनंदधनुष-बाण तेरे घुस आते।भूत जो अब घट गया हैना हो उदास,…
चंद्रयान ने खिड़की खोली इंद्रधनुष की किरणो से चंद्रयान की हँसी ठिठोली। उड़ान का फर्राटा ऐसा,ठुमकों पर चलती हो गोलीमामा देखेंगे कठपुतलीनाचे पहनी घाघर चोलीकत्थक गरबा और भाँगड़ा, नृत्य की…
हरिहर झा शिक्षा : M. Sc. (उदयपुर विश्बविद्यालय)बीएआरसी में वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर कार्य करने के पश्चात मेलबोर्न के मौसम विभाग में। प्रकाशित कृतियाँ : ‘भीग गया मन’ ‘Agony…
ऐल सैल्वाडौर का यात्रा-संस्मरण – विजय विक्रान्त बात सन 1967 की है। मुझे कैनेडा में आये हुये अभी दो वर्ष ही हुये थे और मैं मॉन्ट्रेयाल इन्जिनियरिंग कम्पनी (Monenco) मॉन्ट्रेयाल…
अजनबी शहर में – वंदना मुकेश मौसम आज फिर बेहद उदास था। सूरज देवता रजाई में ऐसे दुबके थे कि पूरा सप्ताह बीत गया…। यहाँ सुबह लगभग आठ बजे तक…
ध्वनियों का संसार क्या तुमने कभी विचार कियाशब्दों को कोई नाम दिया? आवाहन है तो हुंकारढोल-नगाडे की टंकार ।पीड़ा में निकले सिसकारी,आनंदित मन किलकारी। पंछी बोलें चहचह चुक-चुकभँवरे करता गुनगुन…
कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में भाषा और साहित्य डॉ. वंदना मुकेश भूमिका बचपन में लोककथाओं में जादू की छड़ी वाली परी के चमत्कार लुभाते थे नरभक्षी डायन और राक्षसों की…
ब्रिटेन में हिंदी शिक्षण एवं प्रशिक्षण – एक संक्षिप्त अवलोकन – डॉ. वंदना मुकेश भाषा, भाव और विचारों की अभिव्यक्ति का साधन है। किसी भी भाषा को सीखना, सिखाना या…
जीवन यात्रा ये जीवन के लम्बे-चौड़े टेढ़े-मेढ़े रास्तेकुछ तेरे हिस्से के हैं तो कुछ हैं मेरे वास्तेक़दम न चाहें फिर भी हमें चलते ही जाना हैमिल जायेगी मंज़िल यूं ही…
ये कमाल हमें करना है… समय कठिन है फिर भी हमेंहंसते-गाते रहना है,हो धारा चाहे जितनी उल्टीदरिया-सागर तरना है,लिये हाथ में प्रेम पताकाआसमान तक चलना हैये कमाल हमें करना है,नहीं…
वसीयतनामा क्यों न हमखुले आकाश तलेबहती हवा, बहता पानीपरिंदों के गीत, जीवन के संगीत,इन सबकी मौजूदगी मे आजएक दूजे के दिल परअपना-अपना वसीयतनामा लिख दें,जीवन तो एक दूजे के साथ…
मुझको चाहिये चाहिये मुझको अदब की इक सौग़ात चाहियेकलम को रवानी मेरे दिल को जज़बात चाहिये आस्मां से उतर समा जाये रग रग मे जोशब्दों की ऐसी पूरी एक क़ायनात…
निर्मल सिद्धू जन्म स्थान : पंजाब निवास स्थान : मिसिसागा शिक्षा : कोलकाता लेखन विधाएं : कविता, गजल, नज्म, हाइकु, लघु कथा, कहानी प्रकाश : निर्मल भाव {काव्य संकलन },…
यक्षिणी का मेघदूत मूल कहानी की भाषा – मराठीलेखिका – डॉ. निर्मोही फडके.अनुवाद- डॉ. वसुधा सहस्रबुध्दे अपने घर के अटारी की सफाई करते समय उसे एक फटी पुरानी बैग मिल…