Category: अनुवाद

गीओर्गी दार्चियाश्विली की कविता का अनुवाद – (जोर्जियन से अनुवाद)

जन्मदिन (8 दिसंबर) पर विशेष मूल कविता : गीओर्गी दार्चियाश्विली अनुवाद : गायाने आग़ामालयान एस्मेराल्डा लगता है कि मैं सपने में हूंमानो मेरी आत्मा उड़ रही होवहाँ उस औरत के…

होने ना होने के बीच – (कविता – अनुवाद – पंजाबी)

मूल कविता : अनीता वर्मा अनुवादक : डॉ चरनजीत सिंह होने ना होने के बीच ज़िन्दा होना ही तो काफ़ी नहींअपने तमाम वजूद को करना पड़ता है साबितकहना पड़ता है…

यक्षिणी का मेघदूत – (मराठी से अनुवादित कहानी)

यक्षिणी का मेघदूत मूल कहानी की भाषा – मराठीलेखिका – डॉ. निर्मोही फडके.अनुवाद- डॉ. वसुधा सहस्रबुध्दे अपने घर के अटारी की सफाई करते समय उसे एक फटी पुरानी बैग मिल…

तमिल कवि पं. प्रेमलाल सुबरन की ‘अंजले’ कविता का हिंदी अनुवाद – (अनुवाद)

अनुवादक : सुनीता पाहूजा तमिल भाषी कवि पं. प्रेमलाल सुबरन द्वारा 1943 में रचित कविता ‘अंजले’ का हिंदी अनुवाद अंजले हाय! अफ़सोस! क्यों हमारे हृदय पिघल न जाएँ?क्या महान भारत…

एक छोटी सी बेवफाई – (पंजाबी कहानी अनुवाद)

पंजाबी कहानीकार : जसवीर राणा अनुवादिका : जसविन्दर कौर बिन्द्रा एक छोटी सी बेवफाई सभी ने चिता में तिनके तोड़ कर फेंक दिए थे मगर मैं नहीं फेंक पाया था।…

जसवीर राणा – (परिचय)

जसवीर राणा पंजाबी का अत्याधिक चर्चित कहानीकार। जिसने अपने विषयों और जटिल शैली से एक पहचान कायम की। अब तक चार कहानी-संग्रह प्रकाशित। इसके साथ एक उपन्यास और शब्द-चित्र पुस्तक।…

अनीता वर्मा की कविता का अनुवाद – (अनुवाद)

अनीता वर्मा की कविता का अनुवाद मूल कविता : अनीता वर्मा अनुवादक : डॉ चरनजीत सिंह (कवि, ग़ज़लकार व सुप्रसिद्ध अनुवादक) क्या कहूँ इसे क्या कहूँ इसेसच या झूठजो कहावो…

अनीता वर्मा की हिंदी कविता का पंजाबी अनुवाद – (अनुवाद)

अनीता वर्मा की हिंदी कविता का पंजाबी अनुवाद अनुवादक : डॉ चरनजीत सिंह होना ना होना काग़ज़ दीमक भी बन सकते है दोस्तोंना हो तोहिस्सा बन कर देख लो नौकरशाही…

2024 साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता हान कांग की कविता – (कविता)

स्वीडिश एकेडमी ने साहित्य के नोबेल प्राइज 2024 की घोषणा कर दी है, और इस वर्ष यह प्रतिष्ठित पुरस्कार साउथ कोरिया की प्रतिभाशाली लेखिका हान कांग को दिया गया है।…

कवियों का स्वर्ग – (थाई कविता का हिंदी अनुवाद)

कवियों का स्वर्ग (थाईलैंड के महान कवि राजकुमार बिद्यालोंकॉर्न द्वारा रचित “सूअंक सवान छन कवी” शीर्षक थाई कविता से प्रेरित है) कवियों का स्वर्ग है अत्यंत सुन्दरजहाँ चमक रत्नों से…

स्वस्ति की रक्षा – (थाई कविता का हिंदी अनुवाद)

थाईलैंड के महान कवि सुन्दरभू और अनूदित कविता “सुन्दरभू” थाईलैंड के सबसे महान कवियों में से एक हैं। उनका जीवनकाल सन् 1786 से 1855 तक रहा था। उस समय थाईलैंड…

रावण का मन – (थाई कविता का हिंदी अनुवाद)

रावण का मन (लोबबुरीरद रचित “चाई थोसकन” शीर्षक थाईलैंड का एक लोकप्रिय गीत का हिंदी अनुवाद) मोहब्बत हुई दिल खुश हुआमोहब्बत खत्म हुई दिल दर्द हुआयाद क्यों न करतामोहब्बत से…

असंभव… – (थाई कविता का हिंदी अनुवाद)

असंभव… (फयोंग मुकदा रचित “पेन पाई माय डाय” शीर्षक थाईलैंड का एक लोकप्रिय गीत का हिंदी अनुवाद) अगर रावण की तरह मेरे दस चेहरे होंदसों चेहरों को मुड़कर तुम्हारे लिए…

हेर्ड्रिक मार्समैन की कविता – (अनुवाद)

डच कवि : हेर्ड्रिक मार्समैन अनुवाद : ऋतु शर्मा ननंन पांडे Trecht na uw vijftigste jaar Langzaam te leren,dat het goed isAls de bladeren vallenDe sterken worden danToch nog niet…

हेर्ड्रिक मार्समैन – (परिचय)

हेर्ड्रिक मार्समैन हेर्ड्रिक मार्समैन 20 वीं शताब्दी के सबसे प्रसिद्ध डच कवियों में से एक हैं उनकी कविताएँ डच साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखतीं हैं। इनका जन्म 30 सितंबर…

मनुष्य की आँख – (लोक कथा)

मनुष्य की आँख मूल भाषा : अर्मेनियन लेखक : नार दोस अनुवादक : गायाने आग़ामालयान एक बार पुराने ज़माने में एक ग़रीब आदमी को कोई चीज़ मिली। चीज़ नरम, गोल…

अर्मेनियन कवि वाहान तेरयान की कविताएँ

अर्मेनियन कवि वाहान तेरयान की कविताएँ अलविदा तुम चले जाते हो – पता नहीं कहाँ,चुप और उदास,एक विनम्र पीले सितारे की तरह। मैं चला जाता हूँ अकेला-उदासअसामयिकफूल से गिरती हुई…

वाहान तेरयान – (परिचय)

वाहान तेरयान (१८८५-१९२०) अर्मेनियन प्रसिद्ध लेखक, कवि, गीतकार, सामाजिक विचारक और राजनीतिज्ञ थे। एक कवि जिन्होंने अर्मेनियन साहित्य के विकास की प्रक्रिया घुमा दिया। वाहान तेरयान अर्मेनियन काव्य के एक…

नार दोस – (परिचय)

नार दोस असली नाम : माइकल होवनहिस्यान जन्म : 1 मार्च, 1867, तिफ्लिस में निधन : 13 जुलाई, 1933 (आयु 66 वर्ष) टिफ्लिस में नार दोस का जन्म 1867 में…

प्रथम अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति

प्रथम अध्याय / तृतीय वल्ली / भाग १ / कठोपनिषद / मृदुल कीर्ति ऋतं पिबन्तौ सुकृतस्य लोके गुहां प्रविष्टौ परमे परार्धे । छायातपौ ब्रह्मविदो वदन्ति पञ्चाग्नयो ये च त्रिणाचिकेताः ॥…

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