Category: भौगोलिक इकाई

गांधी के सपनों का भारत, आ निकला है किस ये पथ पर – (कविता)

गांधी के सपनों का भारत, आ निकला है किस ये पथ पर उम्र जवां है, उमड़ा यौवन, दिल मे लेकिन चुभता नश्तर।।बोस, आजाद, बिस्मिल, जैसे थे मणि के हीरे।चमक रहे…

शर्म की बात है! – (कविता)

शर्म की बात है! बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ,नारा तुम लगाते हो।आती है जब बात न्याय की,चुप्पी साध क्यों जाते हो?आठ साल की बच्ची थी वो,थी वो दुनियाँ से अनजान।बनाया उसको…

इंसाफ का सवाल – (कविता)

इंसाफ का सवाल वाह रे मेरे देश के इंसान,मारते हो इक छोटी सी बच्ची,और चिल्लाते हो,मेरा भारत महान।वाह रे, मेरे देश के फ़नकार,खिताब न लौटाओगे अब,बैनर न लगाओगे अब,अरे झूठे…

अलविदा कलाम! – (कविता)

अलविदा कलाम! कहाँ चल दिये यूँ छोड़ कर हमें,अभी तो बहुत सारे काम बाकी हैं!आपने कहा था सोने न दें जो, वो हैं सपनें,अभी तो उन सपनों की उड़ान बाकी…

मेरी नवल जवानी – (कविता)

मेरी नवल जवानी ऊँचे पर्वत, नीला आसमाँ, नौका और पतवार।मेरी नवल जवानी को छू जाती, शीतल मंद बयार।। प्रकृति का सौंदर्य, और सूर्य की मुस्कान।मिल जाये जहाँ, उसे ही तू…

सूर्य प्रताप सिंह

डॉ. सूर्य प्रताप सिंह डॉ. सूर्य प्रताप सिंह वर्तमान में टोक्यो में रहते हैं और अनुबंध के आधार पर टोक्यो मेट्रोपॉलिटन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।…

माँ देवी अहिल्याबाई होळकर – (कविता)

माँ देवी अहिल्याबाई होळकर मन्दिर टूटे, मुरत टूटी, हुआ धर्म पर कुटील प्रहारमाँ देवी अहिल्याबाई ने किया सबका जीर्णोद्धार जनमी किसान के घर में, तो बहू थी वो राजघराने कीराज…

समय पखेरू – (कविता)

समय पखेरू समय पखेरू उड़ता जाता लेकर अपने संग हमेंसुख-दुःख के दिखलाते जाता नए नए से रंग हमें कर्म किया और फल की इच्छा, मानव को संतोष नहींजैसी करनी, वैसी…

मन मंथन – (कविता)

मन मंथन सोचता हूं मन में मेरे जाने क्या क्या चल रहा है,आग जैसे बह रही है, पानी जैसे जल रहा है मेरे अन्दर एक जंगल जाने कब से बस…

सीता-लक्ष्मण संवाद – (कविता)

सीता-लक्ष्मण संवाद सौमित्र तुम्हे हैं धन्यवाद वन निर्जन में पहुंचाते होमेरी नियती के लेखे को पढने से क्यूँ सकुचाते होराजाज्ञा पालन करने में लक्ष्मण व्यर्थ मत करों शोकअपनी गति बहता…

राम भजन – (कविता)

राम भजन रामा रघु नंदना, रामा रघु नंदनाचरण कमल कब ले आओगे दाता मेरे अंगनारामा रघु नंदना कब से तेरी राह निहारूंअपना सब कुछ तुझ पर वीरूंतेरे दरस से जनम…

लेकर के अगला जन्म – (कविता)

लेकर के अगला जन्म जो इस हृदय में है छुपी वो बात न बतला सकूँलेकर के अगला जन्म ही शायद मैं तुझको पा सकूँ संग में हवाओं के बसंती खुशबू…

जोगिया तेरे प्रीत का रंग – (कविता)

जोगिया तेरे प्रीत का रंग न रंग जोगिया मोहे अपने तू रंग मेंचाहूँ मैं रंगना अपने ही ढंग में तेरे ही रंग में रंग जो गई मैंमैं न रही मैं,…

 मन की गाड़ी – (कविता)

मन की गाड़ी मन की गाड़ी रेल गाड़ी छूक छूक चलती हैपीछे पीछे जाती है येतेज़ नहीं चल पाती है येभूले बिसरे कुछ मोड़ों परसीटी जोर बजाती है येइसकी पटरी…

शब्दों के बिन – (कविता)

शब्दों के बिन शब्दों के बिन जाना वो सब, शब्दों से जो परे हैप्रियकर मेरे, मौन के तेरे, अर्थ बड़े गहरे है सामने जब तू छम से आईआँखों में बिजली…

IIश्री रामII – (कविता)

IIश्री रामII माँ-बाप की सेवा करे, उसके ह्रदय में राम हैंजन-जन की जो पीड़ा हरे, उसके ह्रदय में राम हैं तन से यहाँ जो शुद्ध हो, और मन से भी…

उज्जैन महिमा – (कविता)

उज्जैन महिमा बहती है क्षिप्रा यहाँ, यह धरती है महाकाल कीशिक्षा दीक्षा यही हुई थी बलदाऊ गोपाल कीजय जय महाकालबाबा महाकाल सान्दीपनि का आश्रम हमको द्वापर में ले जाता हैमंगल…

विश्वभाषा हिंदी का भविष्य : डॉ. हाइंस वर्नर वेसलर के साथ साक्षात्कार (मॉरिशस टीवी)

विश्वभाषा हिंदी का भविष्य

सुन्दर बाबा की कहानी – (कहानी)

सुन्दर बाबा की कहानी हाइन्स वरनर वेस्लर सुंदरपुर नामक बिल्कुल मामूली एक गांव था। वहाँ रहते थे सुंदरलालजी। मालूम होता है कि नाम इसलिये रखा गया था क्योंकि सुंदरपुर में…

हाइंस वर्नर वेसलर

डॉ. हाइंस वर्नर वेसलर 1962 में जर्मनी के डसलडर्फ़ शहर में जन्म। बॉन विश्वविद्यालय से एम.ए। तथा डीलिट, स्विटजरलैंड के सूटिश विश्वविद्यालय से संस्कृत में पीएचडी की उपाधि प्राप्ति की।…

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