Category: ब्रिटेन

है याद मुझे – (कविता)

है याद मुझे है याद मुझे वो गलियारावो इक आँगन, वो चौबारावो चंचल बहती शोख़ नदीमादक समीर, वो वन प्यारा वहाँ ऊँचे थे कुछ पेड़ बहुतजो नभ को छिपा ही…

 मैं आया हूँ – (कविता)

मैं आया हूँ कुछ मायूसों की बस्ती मेंमैं ख़्वाब बेचने आया हूँउन मुर्दों का जो ज़िंदा हैंमैं दिल बहलाने आया हूँ बेनूर निगाहों की ख़ातिरले कर प्रकाश मैं आया हूँमैं…

अजय त्रिपाठी – (परिचय)

अजय त्रिपाठी एमबीबीएस; एमएस; एफआरसीएस (जीएल); एफआरसीएस (एड); एफआरसीओफ्थकंसल्टेंट नेत्र रोग विशेषज्ञ, विशेष रुचि के साथओकुलोप्लास्टिक और फेशियल एस्थेटिक सर्जरीरसेल्स हॉल अस्पताल, डडली, यू.के.मानद वरिष्ठ नैदानिक व्याख्याताबर्मिंघम विश्वविद्यालयनिदेशक आइज़ एंड…

सुनिए – (कविता)

सुनिए कोई सुने तो मैं सुनाऊँवो सब कुछ जो सुनाने वाला हैपर आजकल हर कोईकेवल सुना रहा हैसुन नहीं रहा है कोईआम आदमी आजकलव्यस्त हैसुधारने मेंकौन सुधर रहा है उसके…

मक्खी – (कविता)

मक्खी मक्खी जब उड़ जाती हैतो कहाँ जाती हैकहाँ जाती हैअपने घर जाती हैअपने घर जाती हैपर, बीच रस्ते में उसे गुड़ की याद आती हैउसे गुड़ की याद आती…

कील – (कविता)

कील मैं यदि जूता होतातो होता तुम्हारे पाँव मेंपरंतु मैं जूता नहींकील हूँशुक्र मनाओमैं नहीं हूँउस जूते मेंजो है तुम्हारे पाँव में! ***** – निखिल कौशिक

 बादल- धरती – (कविता)

बादल- धरती बादल हैऔर पेड़ भीधरती हैऔर पाँव भी हैधरती परकहाँ बरसेगाऔर कौन सा बादलकब टूटेगाऔर कौन सा फलफटेगी धरतीअचानकऔर किस पाँव तलेकौन जाने! ***** – निखिल कौशिक

जान पहचान – (कविता)

जान पहचान मैं बहुत लोगो को जानता हूँजिनमे से अधिकांश लोग भी बहुत लोगों को जानते हैंकुछ जानते हैं दर्जनों कोकुछ पहचानते हैं सैंकड़ो कोइस तरह हज़ार, लाख करोड़ लोगों…

इतने – (कविता)

इतने इतने- इतने सारे लोगइतना- इतना कुछ कर सकते हैंपरंतुइतना- इतना भी नहीं करतेकी सुन सकें इतनी- इतनी सी बाततभी तोइतने- इतने हो सकते हैंपर इतने- इतने से होकर रह…

स्वप्न – (कविता)

स्वप्न स्वप्न आते हैंकबूतरों की तरहमन की मुंडेर पर बैठ जाते हैंफड्फड़ाते हैंकलम जाल कैद कर पाये जब तकउड़ जाते हैंफिर आते हैं कभीकभी नहीं भी आते हैंऔर जितने आते…

भारत – (कविता)

भारत मैं भारत हूँ जो आज सुनोवही भारत था बरसों पहलेबरसों से भी बरसों पहलेसदियों से भी सदियों पहले लेते हो तुम क्या टोह मेरीबस चंद बरसों की उम्र बताकभी…

भारत का काला धन – (कविता)

भारत का काला धन परदेस में जमा हैभारत का धनभारत का काला धनसोना- चाँदी- रुपया- आना- पैसा- पाईऔर मेरे जैसे कुछ एन आर आईयही है भारत का धन – भारत…

कोई लहर – (कविता)

कोई लहर समुन्द्र की कौन सी लहरहमें ले जायेगी किनारेकौन सा किनाराहमें थाम लेगामट्टी का कौन सा हिस्सा हमेंजकड लेगाहम नहीं जानतेन ही जानना चाहते हैंक्योंकि जान नहीं पायेंगेबस यही…

निखिल कौशिक की कविताएँ – (कविता)

निखिल कौशिक की कविताएँ 1- सुख है जीवनदुख है जीवनतू हैं जीवनमैं हूँ जीवनकहाँ है जीवनयहाँ है जीवनवहाँ है जीवनरहने दे इसकोयहीं है जीवन 2- मेरी आवाजमेरी जेब से आती…

बासंती हवा – (कविता)

बासंती हवा पोर पोर में फूल खिले हैंरोम रोम खुशबू से भरानाच रहा है मन मेरा याझूम रहे आकाश धरा दिखे अधिक पीली मुझकोया किसी ने रंग डाली सरसोंमहक रही…

डायरी के पन्ने से……द रिफ्यूज़ कलेक्टर – (कहानी)

डायरी के पन्ने से……द रिफ्यूज़ कलेक्टर – उषा राजे सक्सेना मेरी अपनी सांस्कृतिक पहचान और मूल्य जो इस ब्रिटिश समाज के दबदबे में खो गए थे। आज इस इनसेट (इन-सर्विस…

मेरा अपराध – (कहानी)

मेरा अपराध – उषा राजे सक्सेना उन दिनों मेरे पिता पोर्टस्मथ में एक जहाजी बेड़े पर काम करते थे। उनकी अनुपस्थिति और अकेलेपन को न झेल पाने के कारण मेरी…

दर्द का रिश्ता… – (कहानी)

दर्द का रिश्ता… – उषा राजे सक्सेना मिहिर-मंजरी का गठबंधन न तो कोई इत्तफाक था और ना ही किसी दबाव का परिणाम। उनका विवाह माँ दयामयी, मिहिर के माता-पिता और…

उषा राजे सक्सेना – (परिचय)

उषा राजे सक्सेना जन्म : 22 नवंबर, 1943. स्थान : गोरखपुर, उत्तर प्रदेश, भारत। शिक्षा : स्नाकोत्तर अंग्रेजी साहित्य, गोरखपुर विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश, ई.एस.एल, लंदन, यू.के.। ब्रिटेन में आगमन :…

विच – (कहानी)

विच शैल अग्रवाल उसका यूं इस तरह से प्रकट हो जाना पूरी तरह से आलोड़ित कर चुका था उसे। ‘तू यहां पर कैसे?… मार्स और वीनस से कब लौटी?’ जैसे…

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