Category: ब्रिटेन

अड़तालीस घंटे – (कहानी)

अड़तालीस घंटे – शैल अग्रवाल अँधेरा अब भी चारों तरफ पसरा पड़ा था और इक्की-दुक्की कारों के अलावा ट्रैफिक शांत ही था, वरना लंदन कब सोता है! घड़ी देखी तो…

शैल अग्रवाल – (परिचय)

शैल अग्रवाल 21 जनवरी, 1947 वाराणसी, भारत में जन्म व संपूर्ण शिक्षा। 1968 से सपरिवार ब्रिटेन में। 50 से अधिक देशों का भ्रमण । अंग्रेजी, संस्कृत व चित्रकला में स्नातक…

कोख का किराया – (कहानी)

कोख का किराया तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. आज मनप्रीत, हारी हुई सी, घर के एक अंधेरे कोने में अकेली बैठी है। वह तो आसानी से हार मानने वालों में से नहीं…

पासपोर्ट का रंग – (परिचय)

पासपोर्ट का रंग तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. “मैं भगवान को हाजिर नाजिर जान कर कसम खाता हूं कि ब्रिटेन की महारानी के प्रति निष्ठा रखूंगा।” अंग्रेजी में बोले गए ये शब्द…

कब्र का मुनाफा – (कहानी)

कब्र का मुनाफा तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. “यार कुछ न कुछ तो नया करना ही पड़ेगा। सारी जिन्दगी नौकरी में गंवा चुके हैं। अब और नहीं की जाएगी ये चाकरी”, खलील…

हाथ से फिसलती जमीन… – (कहानी)

हाथ से फिसलती जमीन… तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. “ग्रैंड पा, आपके हाथ इतने काले क्यों हैं? आपका रंग मेरे जैसा सफेद क्यों नहीं हैं?…आप मुझ से इतने अलग क्यों दिखते हैं?”…

तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. – (परिचय)

तेजेंद्र शर्मा एम.बी.ई. जन्म—21 अक्टूबर, 1952 (जगराँव) पंजाब। शिक्षा : दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. अंग्रेजी, कंप्यूटर कार्य में डिप्लोमा। प्रकाशित कृतियाँ : स्मृतियों के घेरे (समग्र कहानियाँ भाग-1) (2019), नई…

मैं ब्रह्मा हूँ – (कविता)

मैं ब्रह्मा हूँ मैं ब्रह्मा हूँये सारा ब्रह्मांडमेरी ही कोख से जन्मा हैपाला है इसे मैंनेढेर सा प्यार-दुलार देकरऔर ये मेरे ही जाएमेरी ही गोद काबँटवारा करने पर तुले हैंचिंदी…

कुम्भ स्नान – (कविता)

कुम्भ स्नान मैं नहीं जानतीक्यों आई हूँ मैं प्रयागराजफ़ाफ़ामऊ स्टेशन देखना बदा था भाग्य में या महामंडलेश्वर के आगे नतमस्तक हुजूमऔर किन्नरों के दांत काटे सिक्कों कोमाथे पर ग्रहण करनेया…

मुसाफ़िर – (कविता)

मुसाफ़िर हर शख़्स मुसाफ़िर है,मुसाफ़िर से गिला कैसाकुछ दूर चला संग वो,फिर उससे गिला कैसा हर शख़्स का किरदार अलग,ख़्वाब अलग, मंज़िल अलगवो राह चला अपनी,राही से गिला कैसा रेशम…

हूक – (कविता)

हूक लो कारी बदरिया आई घिरइक हूक उठी हो माई फिरकदम्ब पे कोयल आ बैठीअब देगी कूक सुनाई फिर आँगन में एक साये सालो दिखा वही हरजाई फिरतन मन सिकोड़…

झगड़ा – (कविता)

झगड़ा दिल कहता है पूछ लो जाकरक्या वो मुझसे हैं नाराज़कहती है फिर रूह उबल करआ जाओ तुम अब भी बाज़जाओ मिल आओ दिल बोलाजीने का ये ही अंदाज़काटो दिन…

मायाजाल – (संस्मरण)

मायाजाल – दिव्या माथुर सुबह के 6 भी नहीं बजे थे कि हम घर से निकल पड़े। बेटे ने कार की सीट को गर्म कर दिया था पर फिर भी…

प्राचीनतम-आधुनिकतम : इटली – (यात्रा संस्मरण)

प्राचीनतम-आधुनिकतम : इटली – दिव्या माथुर लंदन की यांत्रिकता के चक्रव्यूह से निकल, फुर्सत के कुछ दिन एक ऐसी जगह बिताने का मन था इस बार, जहां प्राचीन तोरण-द्वार-इमारतें हों,…

त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम – (व्यंग्य)

त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम – दिव्या माथुर जौर्ज बर्नार्ड शा के मुताबिक पुरुष को चाहिए कि जब तक टाल सके टाले और स्त्री को चाहिए कि जितनी जल्दी हो सके…

नई नवेली विधवा – (व्यंग्य)

नई नवेली विधवा – दिव्या माथुर अन्त्येष्टी-निदेशक की चौकसी में कारों का जुलूस चींटी-चाल से आगे बढ़ा। हैनरी विलियम्स का सजा धजा शव काली रौल्स-रॉयस में रखा था। ताबूत पर…

व्हाट्सअप – लुत्फ़, कोफ़्त और किल्लत – (व्यंग्य)

व्हाट्सअप – लुत्फ़, कोफ़्त और किल्लत – दिव्या माथुर एक ज़माना था कि जब हम व्हाट्सऐप को प्रभु का वरदान मान बैठे थे, फिर जो वरदानों की बौछार शुरू हुई…

वैलेन्टाइन्स-डे या मुसीबत – (व्यंग्य)

वैलेन्टाइन्स-डे या मुसीबत – दिव्या माथुर शादीशुदा हो या कुँवारे, वैलेन्टाइंस-डे पुरुषों के लिए खासतौर पर एक अच्छी खासी मुसीबत है। बीवियों और गर्ल-फ़्रेंड्स की फ़रमाइशें हफ़्तों पहले शुरू हो…

अनुवाद की अंतरगाथा – (लेख)

अनुवाद की अंतरगाथा – दिव्या माथुर दक्षिण एशिया का जीवंत बहुभाषावाद हमारी साहित्यिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो स्थानीय और प्रवासी संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करता है। हमें…

नई नवेली विधवा – (लघु कथा)

नई नवेली विधवा – दिव्या माथुर हैनरी विलियम्स का शव काली रौल्स-रॉयस में रखा था; ताबूत पर चम्पा के फूलों से लिखा था ‘माई-डार्लिंग-हब्बी’ और लिलीज़ से गुंधी हुई अन्य…

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