Category: ब्रिटेन

गर्वीला प्रेम – (कविता)

गर्वीला प्रेम वो बैठी थी सोफे नुमा कुर्सी पर, कुछ आगे झुकी हुई,घुटनो तक का फ्रॉक और कम ऊंची एड़ी की सेंडल,ठुड्डी को हथेली पर टिकाये हलकी भूरी आँखों में…

उसका मेरा चाँद – (कविता)

उसका मेरा चाँद एक नौनिहाल माँ काएक खिड़की से झाँक रहा थासाथ थाल में पड़ी थी रोटी चाँद अस्मां का मांग रहा थामाँ ले कर एक कौर रोटी काउसकी मिन्नत…

यह भान किसे – (कविता)

यह भान किसे उसके सपनीले धागों मेंमैंने स्व मन के मोती धरेजो माला बनी, वो उसने धरीथे मनके किसके यह याद किसे। रातों के गहरे आँचल मेंकुछ उज्ज्वल से तारे…

 वोदका भरी आँखों वाली लड़की – (कहानी)

वोदका भरी आँखों वाली लड़की – शिखा वार्ष्णेय कुछ कुछ किसी ग्रीक लड़की सा डील- डौल था उसका। लंबा कद, भरा हुआ बदन, लंबे काले बाल, और लंबी चौड़ी सी…

एक गायब हुआ द्वीप : सेंटोरिनी – (यात्रा वृतांत)

एक गायब हुआ द्वीप : सेंटोरिनी – शिखा वार्ष्णेय The lost Atlantis – एक ऐसा द्वीप जो एक रात में गायब हो गया। इसके पीछे कई किंवदंतियाँ हैं, जिन्हें कोई…

वो चाचा निकल गए काये – (कहानी)

वो चाचा निकल गए काये – शिखा वार्ष्णेय शाम के चार बजे रहे थे। धूप के साथ पंछी भी लौटने लगे थे। आँगन में पड़े फोल्डिंग पलंग पर राजवंती, अपने…

शिखा वार्ष्णेय – (परिचय)

शिखा वार्ष्णेय ब्रिटेन में आगमनः 2007 जन्मः 20 दिसंबर 1973 स्थानः नई दिल्ली शिक्षा: मोस्को स्टेट यूनिवर्सिटी, मास्को से टी.वी. जर्नलिज्म में परास्नातक (विशेष सम्मान सहित) तथा स्कूली शिक्षा उत्तराखंड…

दिव्या माथुर के ‘कोरोना-चिल्ला’ कहानी-संग्रह की समीक्षा – (समीक्षा)

‘कोरोना-चिल्ला’ कहानी-संग्रह – अनिल जोशी प्रवासी साहित्य में एक सशक्त भूमिका निबाह रही दिव्या माथुर का नवीनतम कहानी संग्रह, कोरोना-चिल्ला, केन्द्रीय हिंदी संस्थान-आगरा की पुस्तक प्रकाशन परियोजना के तहत प्रकाशित…

दिव्या माथुर के कहानी-संग्रह ‘हिंदी@स्वर्ग.इन’ की समीक्षा – (समीक्षा)

हिंदी@स्वर्ग.इन कमल किशोर गोयनका दिव्या माथुर इंग्लैंड के प्रसिद्ध हिंदी रचनाकारों में से एक हैं। उनकी रचनात्मकता के कई आयाम हैं —कविता, कहानी, नाटक, अनुवाद, फिल्म, गीत, गज़ल, रेडियो एवं…

काश कभी ऐसा भी हो – (कविता)

काश कभी ऐसा भी हो काश कभी ऐसा भी होसब नया-नया होआँख खुले सब नया-नया होबस नया-नया होसब नया-नया हो धरती अम्बर चंदा तारेनदियाँ पर्वत और नज़ारेसब में एक उन्माद…

 जीवन – (कविता)

जीवन एक निरंतर खोज है जीवनये मत समझो बोझ है जीवनउठ कर गिरना, गिर कर उठनासुख और दुख का बोध है जीवन किसी मोड़ पर हँसना होगाकुछ राहों पर रोना…

खेल – (कविता)

खेल क्या खेल चल रहा हैएकतरफ़ा चल रहा हैसदियों से चल रहा हैहम सबको छल रहा है किस-किस की करें बातसारी ग़म-ए-हयातशतरंज की बिसातबस खेल चल रहा हैएकतरफ़ा चल रहा…

तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलो – (कविता)

तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलो तुम अथक मुसाफ़िर बढ़े चलोहै लम्बा पथ तुम चले चलोहै डगर पथिक दुर्गम लेकिनएक आस लिए तुम चले चलो कोई मौसम बाँध नहीं पाएकोई शौक़…

भूमि – (कविता)

भूमि आओ मिल कर आँसू बोएँइस बंजर ऊसर भूमि मेंकोई पुष्प शांति का खिल जाएशायद फिर अपनी भूमि में ये किसने बोई है नफ़रतकि बंदूक़ों की फसल उगीगोली पर गोली…

सम्पूर्ण होना कल्पना है – (कविता)

सम्पूर्ण होना कल्पना है सम्पूर्ण होना कल्पना हैइक अधूरा ख़्वाब हैसच तो ये है हम सभीआधे-अधूरे लोग हैंपूरे की बस चाह मेंहैं भागते रहते सदाथक चुके हैं हम सभीआधे-अधूरे लोग…

सोने वाले जाग ज़रा – (कविता)

सोने वाले जाग ज़रा जंगल जंगल आग लगी हैबस्ती बस्ती उठे धुआँमौसम तेवर बदल रहा हैसोने वाले जाग ज़रा कब से नोच रहा क़ुदरत कोकबसे धरती रौंदे तूआने वालों को…

जीवन संग्राम – (कविता)

जीवन संग्राम जीवन बड़ा संग्राम हैकभी जीत है कभी हार हैकभी सुख यहाँ कभी दुःख यहाँकोई डूबा तो कोई पार हैइस बार की तुम हार काइतना ना मातम करोपंख आशा…

है याद मुझे – (कविता)

है याद मुझे है याद मुझे वो गलियारावो इक आँगन, वो चौबारावो चंचल बहती शोख़ नदीमादक समीर, वो वन प्यारा वहाँ ऊँचे थे कुछ पेड़ बहुतजो नभ को छिपा ही…

 मैं आया हूँ – (कविता)

मैं आया हूँ कुछ मायूसों की बस्ती मेंमैं ख़्वाब बेचने आया हूँउन मुर्दों का जो ज़िंदा हैंमैं दिल बहलाने आया हूँ बेनूर निगाहों की ख़ातिरले कर प्रकाश मैं आया हूँमैं…

अजय त्रिपाठी – (परिचय)

अजय त्रिपाठी एमबीबीएस; एमएस; एफआरसीएस (जीएल); एफआरसीएस (एड); एफआरसीओफ्थकंसल्टेंट नेत्र रोग विशेषज्ञ, विशेष रुचि के साथओकुलोप्लास्टिक और फेशियल एस्थेटिक सर्जरीरसेल्स हॉल अस्पताल, डडली, यू.के.मानद वरिष्ठ नैदानिक व्याख्याताबर्मिंघम विश्वविद्यालयनिदेशक आइज़ एंड…

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