मेरे राम लला – (कविता)
मेरे राम लला एकटक तकतीं शून्य में,बाट जोहती प्रति क्षण,पंथ निहारतीं.. तरसती दरस को,अंखियां मेरी प्रतीक्षा में तेरी,ओ मेरे राम लला। सुध-बुध बिसरा के,सर्वस्व भूला के,राम नाम जपते जपते,सिया राम…
हिंदी का वैश्विक मंच
मेरे राम लला एकटक तकतीं शून्य में,बाट जोहती प्रति क्षण,पंथ निहारतीं.. तरसती दरस को,अंखियां मेरी प्रतीक्षा में तेरी,ओ मेरे राम लला। सुध-बुध बिसरा के,सर्वस्व भूला के,राम नाम जपते जपते,सिया राम…
मेरा भारत देश महान गर्व है सौभाग्य है किमिट्टी में तेरी जन्मी ये कायादूर हो कर भी दूर नहींतू मन में जो है समायातू मेरा भारत देश महानमेरा भारत देश…
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस लो फिर एक बार.. राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस आ गया,लो फिर एक बार.. हम भारतीयों का देश प्रेम जाग गया। देशभक्ति हममें है कितनी, प्यार हमें…
बदलती ऋतु तुम..जैसे..इंग्लैंड की कड़कड़ाती ठंड में खिली,किरन एक छोटी सी सुनहरी धूप की। तुम..जैसे..पतझड़ के मौसम में वो पत्तियाँ झड़ी,धरती सजी तमाम रंगों की रंगोली सी। तुम..जैसे..ओले और बर्फ़बारी…
सोचा ना था कभी सोचा ना था कभी,देस से दूर कहीं बस जाना होगा, करोड़ों की आबादी में भीखुल कर सांस लेने वाले,हमको मुठ्ठी भर लोगों मेंघुटन महसूस करना होगा।…
चाँद को ताकूँ मैं चाँद को ताकूँ मैंसारी सारी रातऔर सोचूँ अक्सरबस एक ही बात।। बाबजूद दाग़ के भीवो क्यों लगेइतना ख़ास हमको,बाबजूद दाग़ के भीखूबसूरती क्यों लगेबेदाग हमको। चाँद…
अभिलाषा भिन्न हो चाहे रहन-सहन या फिर हमारी वेश-भूषा,खान-पान में हो भिन्नता या अलग हो हमारी भाषा,हों किसी भी गांव-शहर से.. किसी भी धर्म-जाति के हम,मिलजुल कर सब साथ रहें,…
अंतरा राकेश तल्लम बनारस की पैदाइश हूं और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातक और मनोचिकित्सा व प्रबंधन अध्ययन संस्थान मुंबई से परास्नातक मनोचिकित्सा और परामर्श में किया, उसी…
एक नाटक के पीछे का नाटक -आस्था देव दिन के इस समय जब न सुबह है, न शाम , न दोपहर! घड़ी ने 10:30 बजाये हैं। बावजूद इसके कि मैं…
कल करै सो आज कर -आस्था देव अक्सर कुछ दमदार लिखने के लिए, प्रेरणा तलाशनी पड़ती है पर आजकल जिंदगी की रेलमपेल में प्रेरणा का ऐसा अकाल पड़ा रहता है,…
आस्था देव बिहार के बेतिया में जन्मी आस्था देव, पिछले 5 सालों से लंदन में हिंदी लेखन में सक्रिय हैं। वातायन संस्था में मुख्य सचिव के तौर पर कई साहित्यिक…
1. राम-सरल हृदय स्वयं से जब पहचान करेंगेसबको अपने राम मिलेंगे सरल हृदय है पहली नीतिवरना ना भगवान मिलेंगे तनिक कृपा मिल जाय अगरहे राम तेरा वरदान कहेंगे माया मोह…
ब्रिटेन का पतझड़ मानो धरती हरी नहींसोने की लगती एक परातपत्ते मटक-मटक बिखरेजैसे जाते कोई बरात उड़ते पत्ते, झड़ते पत्तेगिरते पत्ते, पड़ते पत्तेकहीं हवा में तैर रहेकहीं फ़िज़ा में सैर…
पानी की बूँद मैं पानी की बूँद चली क्यूँ दूर मेघ से पार।क्या होगा, ये क्या जाने, कैसा होगा संसार। सोच रही है बूँद ये कब सेक्या मेरा कल होगाक्या…
क्या हारा क्या जीत गया समय बहुत सा बीत गयाबहुत समय था रीत गया।अनुभव आपहि बोलेगाक्या हारा क्या जीत गया।। जीवन किसी नाव की भाँतिहिचकोले से हमें हिलातीसमय आप पतवार…
धीरे धीरे जब आँगन धीरे-धीरे जब आँगन मेंयहाँ फैलता सूनापन।गीले-गीले नयनों सेहृदय नापता अपनापन।। अपनापन रातों का सच्चादिन का है दर्पण कच्चासच में दंभ यथा भरने सेमेरा खाली बर्तन अच्छा…
आशीष मिश्रा हिंदी कविताएँ व कहानियाँ लिखते हैं। वे गत 14 वर्षों से लंदन में रहते हैं और एक software architect हैं। उनका एक काव्य संग्रह “मेरी कविता मेरे भाव”…
तरुण कुमार द्वारा ‘रिश्ते : जय वर्मा की काव्य-कृति’ की समीक्षा मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो समाज में रहते हुए अपने रिश्ते और कर्तव्यों का निर्वहन करता है। उसके…
ग़ज़ल – 1 चल रहा आज भी वो खेल पुराने वाला,हर मुलाज़िम ही निकलता है खज़ाने वाला। हैसियत देख के ही दोस्त बनाने वाला,चढ़ गया उस पे भी अब रंग…
आशुतोष कुमार नाम : आशुतोष कुमार पता : London, England, United Kingdomदूरभाष (मोबाइल) : +44 7423019034ई–मेल : aasu.kr@gmail.com