Category: यूरोप

यूरोप

अजनबी शहर में – (कहानी)

अजनबी शहर में – वंदना मुकेश मौसम आज फिर बेहद उदास था। सूरज देवता रजाई में ऐसे दुबके थे कि पूरा सप्ताह बीत गया…। यहाँ सुबह लगभग आठ बजे तक…

ध्वनियों का संसार – (कविता)

ध्वनियों का संसार क्या तुमने कभी विचार कियाशब्दों को कोई नाम दिया? आवाहन है तो हुंकारढोल-नगाडे की टंकार ।पीड़ा में निकले सिसकारी,आनंदित मन किलकारी। पंछी बोलें चहचह चुक-चुकभँवरे करता गुनगुन…

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में भाषा और साहित्य  – (आलेख)

कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में भाषा और साहित्य डॉ. वंदना मुकेश भूमिका बचपन में लोककथाओं में जादू की छड़ी वाली परी के चमत्कार लुभाते थे नरभक्षी डायन और राक्षसों की…

ब्रिटेन में हिंदी शिक्षण एवं प्रशिक्षण : एक संक्षिप्त अवलोकन – (शोध आलेख)

ब्रिटेन में हिंदी शिक्षण एवं प्रशिक्षण – एक संक्षिप्त अवलोकन – डॉ. वंदना मुकेश भाषा, भाव और विचारों की अभिव्यक्ति का साधन है। किसी भी भाषा को सीखना, सिखाना या…

दादा… – (संस्मरण)

दादा… – यूरी बोत्वींकिन दादा रूसी थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय जर्मनों ने उनका गांव जलाकर लोगों को पश्चिम की ओर भगाया था तो उनका परिवार यूक्रेन पहुंचकर एक गांव…

सब ठीक है, माँ… – (कहानी)

सब ठीक है, माँ… -यूरी बोत्वींकिन मुझे नहीं पता मैं अच्छा बेटा हूँ या बुरा… अपनी माँ से झूठ बोलना यदि बुराई है तो बुरा ही हूँ। बहुत झूठ बोलता…

ऋतु शर्मा ननंन पाँडे की बाल कविताएँ – (बाल कविता)

नई कहानी नानी सुनाओ कोई नई कहानीराजा रानी की कहानीहो गई बहुत पुरानीनई सोच और मन बहलाने वाली जादूगर और भूतों सेलगता डर अब हमको नहींहमको पता है अबयह रहते…

दिव्या माथुर की बाल कविताएँ – (बाल कविता)

नन्ही-मुन्नी सिया के लिए नन्ही-मुन्नी कविताएँ सिया और बंदर छत पर देखोआया बंदरसिया जल्दीजाओ अंदर। दादी का चश्माले भागापकड़ो पकड़ोशोर मचायामम्मी ने इककिया करिश्मालेने कोदादी का चश्मा केला फेंकाउसकी ओरबंदर…

युक्रैनी हिंदी-शिक्षण में कला-प्रेम का योगदान – (आलेख)

युक्रैनी हिंदी-शिक्षण में कला-प्रेम का योगदान -डॉ. यूरी बोत्वींकिन, युक्रैन प्रत्येक देश का इतिहास कितना भी जाटिल और दुख-भरा क्यों न हो उससे राष्ट्रीय चेतना का एक गहरा जुड़ाव अवश्य…

चैतन्य मन – (लघु कथा)

चैतन्य मन – पूजा अनिल सामने वाली शुक्ला आंटी की बेटी को किसी अनजान लड़के के साथ देख कर मन किया कि उन्हें उनकी बेटी के इस छुपे हुए रिश्ते…

राह में जीवन – (कविता)

राह में जीवन पानी सी आकृति मेरीपानी में घुल रही!बुलबुले सा जीवन मेरादेखो कैसे उड़ रहा!वाष्पित होती साँसे मेरीकहो कहाँ से आ रहीं?सीमित सी दृष्टि मेरीअपरिमित स्वप्न बुन रही!चंद वर्षों…

दुविधा – (लघु कथा)

दुविधा – पूजा अनिल सुबह से माँ से बात नहीं हो पाई थी उस दिन। प्रकाश ने मोबाइल देखा, दोपहर में माँ ने फ़ोन किया था लेकिन तब वह ऑफिस…

पावस – (कविता)

पावस देखो, बारिशों में कभी मत रोनाभीगेगी देह भीभीगेगी रूह भीतब धूप भी न होगीकि मन की नमी सोख ले!और सुनो, मत रोना गर्मियों मेंआंसूं और पसीनाएक से दिखेंगेकोई आँख…

काश! – (लघु कथा)

काश! -पूजा अनिल मारीसा किसी तरह उठ कर अपने कमरे से निकल कर किचन की तरफ जाने लगी। पंद्रह कदम का फासला तय करने मे बड़े कष्ट के साथ उसे…

अजनबी रास्ते

जिन गलियों मेंखेल-कूद करबचपन बिताया जिन खाली जगहों परगिल्ली डंडा और क्रिकेटखेलकरछुट्टियों के दिन काटे जिन रास्तों परचल करस्कूल आया गया जिन चौराहों सेनिकलकरसायकल चलाना सीखा पहचान नहीं पायावो गलीऔर…

सिमट रहे हैं

रोज मर्रा केकाम काजनिपटाते-निपटातेजिन्दगी केहंसी लम्हेनिपट रहे हैं सुविधाओं सेलिपटने की होड़ मेंअकेलापन औरअवसादलिपट रहे हैं जिन्दगी तोभाग रही हैबेतहाशालेकिनदिल के अरमानघिसट रहे हैं छूने की चाहत मेंचाँद सितारेपीछे छोड़…

“माँ”  कौन होगी?

वो माँ!जिसने जनम दिया-मुझेऔर आपको, वो माँ!जो देवों से भी-बढ़कर है, वो माँ!जिसे हमस्वर्ग से भीमहान कहते हैं, वो माँ!जिसकाप्रेम और त्याग-अतुलनीय है, वो माँभी तो हमारीमाँ होने से पहले,किसी…

कोई लहर – (कविता)

कोई लहर समुन्द्र की कौन सी लहरहमें ले जाएगी किनारेकौन सा किनाराहमें थाम लेगामट्टी का कौन-सा हिस्सा हमेंजकड़ लेगाहम नहीं जानतेन ही जानना चाहते हैंक्योंकि जान नहीं पाएंगेबस यही चाहते…

समझदार लोग – (कविता)

समझदार लोग लोग हैं लोगलोग हैं समझदारसमझदार लोग उठाते हैं आवाजेंउठ रही हैं हर तरफ से आवाजेंपर उठ नहीं रहे हैं लोगजो उठा रहे हैं आवाजेंक्योंकि लोग हैं समझदारऔर समझदार…

जमने वाली बर्फ – (कहानी)

जमने वाली बर्फ -निखिल कौशिक लंदन से लगभग 210 मील उत्तरी पूर्व-ब्रिटेन के जिस छोटे से शहर में मैं रहता हूँ, यहाँ बहुत बर्फ तो नहीं पड़ती पर जब पड़ती…

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