भाव-बेभाव – (कविता)
– अनुराग शर्मा ***** भाव-बेभाव प्रेम तुम समझे नहीं, तो हम बताते भी तो क्याथे रक़ीबों से घिरे तुम, हम बुलाते भी तो क्या वस्ल के क़िस्से ही सारे, नींद…
हिंदी का वैश्विक मंच
– अनुराग शर्मा ***** भाव-बेभाव प्रेम तुम समझे नहीं, तो हम बताते भी तो क्याथे रक़ीबों से घिरे तुम, हम बुलाते भी तो क्या वस्ल के क़िस्से ही सारे, नींद…
अरमान – डॉ स्मिता सिंह ***** बस दो ही दिन पहले के नज़ारेअदभुत रोशनी, रूमानी नज़ारे,जब शब भी शबनम माफ़िक़ चमक बिखेरेपूर्णिमा के चाँद की चाँदनी में नहाईयाद आ गई…
सुकून तो देती थी चाय – डॉ स्मिता सिंह ***** चाय हो या कोई चाह,पक्का रंग जब तक ना चढ़ेऔर नहीं हो जुनून,कहाँ मिलता है सच्चा सुख और कौन देता…
डॉ स्मिता सिंह जन्म- 12 August शिक्षा- डॉक्टरेट कर्मक्षेत्र- मुंबई, दिल्ली, और सिंगापुर में। लेक्चरर के पद पर भारत में और सिंगापुर में। प्रमुख विधाएं- कविता, आलेख, व्यंग्य साहित्यिक प्रकाशन-…
गाँव की गोरी अनुसूया साहू फूलों से मुझे विशेष प्रेम है, और तितलियाँ भी मेरे मन को बहुत भाती हैं। जैसे वे रंग-बिरंगे पंखों के साथ आकाश में स्वच्छंद उड़ान…
अच्छा है सूखा पत्ताबोझिल रिश्ताझड़ जाए तो अच्छा है। मन की पीरनयन का नीरबह जाए तो अच्छा है। काली रातजी का घातढल जाये तो अच्छा है। अमीर की तिजोरीचोर की…
अनुसूया साहू जन्म : १२ फ़रवरी १९८२, बुंदेलखंड ज़िला महोबा, प्रांत उत्तर प्रदेश शिक्षा : मुंबई, एचआर से एमबीए। वर्तमान में : सिंग़ापुर में शिक्षिका के तौर पर हिंदी सोसायटी…
पगडण्डी की तलाश अपनी कोठरी के छोटे से झरोखे से देखती हूँदूर, बहुत दूर तक जाते हुए उन रास्तों को।पक्की कंक्रीट की बनी साफ़ सुथरी सड़केंखुद ही फिसलती जातीं सी…
गर्वीला प्रेम वो बैठी थी सोफे नुमा कुर्सी पर, कुछ आगे झुकी हुई,घुटनो तक का फ्रॉक और कम ऊंची एड़ी की सेंडल,ठुड्डी को हथेली पर टिकाये हलकी भूरी आँखों में…
उसका मेरा चाँद एक नौनिहाल माँ काएक खिड़की से झाँक रहा थासाथ थाल में पड़ी थी रोटी चाँद अस्मां का मांग रहा थामाँ ले कर एक कौर रोटी काउसकी मिन्नत…
यह भान किसे उसके सपनीले धागों मेंमैंने स्व मन के मोती धरेजो माला बनी, वो उसने धरीथे मनके किसके यह याद किसे। रातों के गहरे आँचल मेंकुछ उज्ज्वल से तारे…
यूक्रेन रूस युद्ध में भाषा विवाद का बारूद ~ विजय नगरकर यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष में भाषा विवाद एक महत्वपूर्ण और जटिल पहलू है, जो दोनों…
वोदका भरी आँखों वाली लड़की – शिखा वार्ष्णेय कुछ कुछ किसी ग्रीक लड़की सा डील- डौल था उसका। लंबा कद, भरा हुआ बदन, लंबे काले बाल, और लंबी चौड़ी सी…
एक गायब हुआ द्वीप : सेंटोरिनी – शिखा वार्ष्णेय The lost Atlantis – एक ऐसा द्वीप जो एक रात में गायब हो गया। इसके पीछे कई किंवदंतियाँ हैं, जिन्हें कोई…
वो चाचा निकल गए काये – शिखा वार्ष्णेय शाम के चार बजे रहे थे। धूप के साथ पंछी भी लौटने लगे थे। आँगन में पड़े फोल्डिंग पलंग पर राजवंती, अपने…
शिखा वार्ष्णेय ब्रिटेन में आगमनः 2007 जन्मः 20 दिसंबर 1973 स्थानः नई दिल्ली शिक्षा: मोस्को स्टेट यूनिवर्सिटी, मास्को से टी.वी. जर्नलिज्म में परास्नातक (विशेष सम्मान सहित) तथा स्कूली शिक्षा उत्तराखंड…
जब प्रवासी साहित्य ने ब्रिटिश साम्राज्य को झुकने पर मजबूर किया – अभिषेक त्रिपाठी, बेलफास्ट,आयरलैंड हिंदी साहित्य की मुख्यधारा में प्रवासी साहित्य को कई बार ऐसा साहित्य माना जाता है,…
नीदरलैंड में भारत प्रेम – प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी मुझे मार्च 2005 में नीदरलैंड (हॉलैण्ड) जाने का अवसर मिला। मेरी नीदरलैंड यात्रा के विचार का शुभारंभ जून 2004 में फ्री…
सुनो बारिश!! सुनो बारिश….कुछ पूछना था तुमसे !क्या नभ के वक्ष से निकली महज़ पानी की बूँद हो तुम?या सागर के खारे पानी को सोखकर उसे अमृत जैसा मीठा बनाने…
सोमा व्यास “ज़िंदगी का उद्देश्य सिर्फ़ ख़ुद को ढूँढना ही नहीं है बल्कि ज़िंदगी ख़ुद के सृजन का भी दूसरा नाम है !!” इन पंक्तियों में पूर्णतया विश्वास करने वाली…