Author: वैश्विक हिंदी परिवार

विदेशी विद्यार्थियों के लिए हिंदी कक्षा का शुभारंभ – (रिपोर्ट)

विदेशी विद्यार्थियों के लिए हिन्दी कक्षा का शुभारंभ अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद्, विश्व हिंदी सचिवालय एवं वैश्विक हिंदी परिवार के तत्त्वाधान में अंतरराष्ट्रीय भाषा केंद्र के द्वारा दिनांक 17।10।2024 को विदेशी…

राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ द्वारा आयोजित स्मृति व्याख्यानमाला – (रिपोर्ट)

राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ द्वारा आयोजित स्मृति व्याख्यानमाला नाटककार प्रो. कुसुमलता मलिक के नवीन नाटक ‘लूई की सूई’ का शानदार विमोचन हुआ। लूई की सूई नाटक प्रसिद्ध ब्रेल लिपि के संस्थापक…

मन मानस में बसे राम – (रिपोर्ट)

मन मानस में बसे राम वैश्विक हिन्दी परिवार द्वारा सहयोगी संस्थाओं सहित 13 अक्तूबर 2024 को राम नवमी के उपलक्ष्य में “मन मानस में बसे राम” विषय पर चिंतन-मनन-मंथन और…

मन का प्रहरी – (कहानी)

मन का प्रहरी -शिवानी आज तक मुझे अपनी अन्तःप्रेरणा पर बड़ा गर्व था, पर आज सचमुच ही मेरा दर्प अचानक हाथ से गिर गए दर्पण की भाँति, यथार्थ की धरा…

गूंगा – (कहानी)

गूंगा –शिवानी सर्जन पंड्या को दूर से देखने पर लगता, कोई अंग्रेज़ चला आ रहा है। सुर्ख़ गालों पर सुख, सन्तोष और स्वास्थ्य की चमक थी। उनके हाथ में कुछ…

शिवानी – (परिचय)

शिवानी शिवानी हिन्दी की एक कहानीकार एवं उपन्यासकार थीं। शिवानी का वास्तविक नाम ‘गौरा पंत’ था, किन्तु ये ‘शिवानी’ नाम से लेखन करती थीं। शिवानी का जन्म १७ अक्टूबर १९२३…

इग्नू द्वारा ‘ग्लोबल इंडियन डायस्पोरा’ पर एक व्याख्यान और चर्चा – (रिपोर्ट)

इग्नू द्वारा ‘ग्लोबल इंडियन डायस्पोरा’ पर एक व्याख्यान और चर्चा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने प्रवासी भारतीय लेखिका दिव्या माथुर द्वारा ‘ग्लोबल इंडियन डायस्पोरा’ पर एक व्याख्यान और…

आत्मीय लोग – (कविता)

आत्मीय लोग कनाडा के सरकारी दफ्तर आया हूँस्वागतकर्मी पूछती है –क्या सहायता करूँ ?पेंशनर हूँ, आदतन तीन-चार काम निकाले हैंवह मुस्कुराती एक पेपर टोकन देती हैऔर संबंधित फ़ॉर्म।मेरा क्रम जल्दी…

लेक ओंटेरियो पर – (कविता)

लेक ओंटेरियो पर होना तो इसे समुद्र चाहिए थाकहीं कमतर नहीं यह झीलजहाँ तक जाती है मेरी दृष्टि इस छोर सेकोई तटबंध नहीं दिखतेपर मेरे कहने से नहीं बदलता भूगोलउसकी…

मेपल तरु के साक़ – (कविता)

मेपल तरु के साक़ यह अलग ही बसंत हैजब मैं उसे बाँहों में भरमहसूसना चाहता हूँउसके वक्ष का खुरदरापनमुझमें उतरतेउसके टप-टप मीठे रस कोसमेटना चाहता हूँतने से बाल्टी बाँधते हुए।…

डायनासोर – (कविता)

डायनासोर मैं डायनासोरों की राजधानीड्रमहेलर, कनाडा में हूँ।मुझे नहीं लगताकरोड़ों साल पहले मैं रहा होऊँगा यहाँपर्वत शृंखलाओं कोरेत-रेत घाटियाँ बनते देखने के लिए। वे बहुत बड़े थेआदमी से लंबी तो…

पर्व वेला – (कविता)

पर्व वेला पर्व वेला में मधुर इक गीत जो मैं गुनगुनाता,प्राण मेरे साथ गाओ।समय की उज्जवल शिला परजो लिखे हैं भाव मेरे,गीत के तुम स्वर बनाओ। पहर बीते, दिन ढले,बरस…

गीत ये निष्प्राण है – (कविता)

गीत ये निष्प्राण है गीत ये निष्प्राण है, शब्द का केवल चयन।इस उमड़ती भीड़ में अस्तित्व मेरा क्या हुआहैं अनेकों पर अकेला मैं भटकता ही रहा।आज कोई घर न मेराना…

एक विश्वास एक आशा – (कविता)

एक विश्वास एक आशा मेरे वो गीत आज मौन आज सहमे हैंथम गई मेरी कलम और उदास नग़मे हैं। वो भी दिन थे जो मैंने गीत प्यार के गायेशब्द जीवित…

आतंक और आकांक्षा – (कविता)

आतंक और आकांक्षा मेरी पुण्य धरती को किसने चुरायाकैसा अँधेरा है कैसा है साया। यहाँ बह रही हैं प्रलय की हवाएँक्रन्दन मचा है जलती चितायें। ले क्रोध की लौ मानव…

जगमोहन हूमर – (परिचय)

जगमोहन हूमर जन्मस्थान : उदयपुर, राजस्थान वर्तमान निवास : ओटवा, ओन्टेरियो शिक्षा : पीएच. डी. (इन्जीनियरिंग) प्रकाशित रचनाएँ : जीवन के रंग (काव्य संग्रह); केनेडियन हिन्दी काव्य धारा, उत्तरी अमेरिका…

दिल – (कविता)

दिल कुछ गुम-सुम कुछ हैरान सा हैअपने घर में मेहमान सा है,क्या-क्या सहा और क्या सहना हैदिल क्यों आज अंजान सा है। था शहर यह अजनबी पहले भीतन्हाई ज़हर थी…

बंजारा – (कविता)

बंजारा ख़ुदग़र्ज़ों की बस्ती मेंरोज़ ख़ुद को बहला लेते हैं,किसको जा के घाव दिखाएँख़ुद ही हम सहला लेते हैं। जीते हैं हम इस भ्रम मेंख़ुद में ख़ुद को ढूँढ़ ही…

वक़्त – (कविता)

वक़्त (कैनेडा में साल में दो बार वक़्त बदलने के सन्दर्भ में) सुना है कि कल रात,फिर से वक़्त बदल गयाज़िंदगी का एक हिस्सा,फिर शून्य में मिल गया।पर काश ऐसा…

अच्छा इंसान – (कविता)

अच्छा इंसान थके-हारे जज़्बात,जब रातों को उलझने लगते थे,गुम-सुम एहसास,जब सर्द-ऋतु में सुलगने लगते थे,मैं अन्तर्द्वन्द्व की आवाज़, ख़ामोशी से सुनना चाहता थामैं तो बस केवल,एक अच्छा इंसान बनना चाहता…

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