पुरु और प्राची – (कहानी)
पुरु और प्राची – दिव्या माथुर बद्रीनारायण ओसवाल का इकलौता वारिस था उनका बेटा, हरिनारायण जो एक अमेरिकन लड़की से शादी करके कैलिफ़ोर्निया में जा बसा था। हालांकि हरिनारायण की…
हिंदी का वैश्विक मंच
यूरोप
पुरु और प्राची – दिव्या माथुर बद्रीनारायण ओसवाल का इकलौता वारिस था उनका बेटा, हरिनारायण जो एक अमेरिकन लड़की से शादी करके कैलिफ़ोर्निया में जा बसा था। हालांकि हरिनारायण की…
एडम और ईव – दिव्या माथुर बात ज़रा सी थी; एक झन्नाटेदार थप्पड़ ईव के गाल पर पड़ा। वह संभल नहीं पाई, कुर्सी और मेज़ से टकराती हुई ज़मीन पर…
मौसा… यूरी बोत्वींकिन जब मैं पैदा हुआ था मेरे पिता दूसरे शहर में थे एक सैनिक संस्था में कोर्स करते हुए, कुछ महिनों बाद ही आ पाए। अस्पताल से मेरी…
मूल कविता : वसील स्तूस अनुवाद : यूरी बोत्वींकिन Ярій, душе… Ярій, душе. Ярій, а не ридай.У білій стужі сонце України.А ти шукай — червону тінь калинина чорних водах —…
काश मैं अंग्रेजी होती काश मैं अंग्रेजी होतीमैं इतराती, मैं इठलातीSwag से मैं भी बोली जातीकाश मैं अंग्रेजी होती वक्ताओं का गुरूर होतीश्रोताओं को भी cool लगतीकाश मैं अंग्रेजी होती…
मेरे राम लला एकटक तकतीं शून्य में,बाट जोहती प्रति क्षण,पंथ निहारतीं.. तरसती दरस को,अंखियां मेरी प्रतीक्षा में तेरी,ओ मेरे राम लला। सुध-बुध बिसरा के,सर्वस्व भूला के,राम नाम जपते जपते,सिया राम…
मेरा भारत देश महान गर्व है सौभाग्य है किमिट्टी में तेरी जन्मी ये कायादूर हो कर भी दूर नहींतू मन में जो है समायातू मेरा भारत देश महानमेरा भारत देश…
राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस लो फिर एक बार.. राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस आ गया,लो फिर एक बार.. हम भारतीयों का देश प्रेम जाग गया। देशभक्ति हममें है कितनी, प्यार हमें…
बदलती ऋतु तुम..जैसे..इंग्लैंड की कड़कड़ाती ठंड में खिली,किरन एक छोटी सी सुनहरी धूप की। तुम..जैसे..पतझड़ के मौसम में वो पत्तियाँ झड़ी,धरती सजी तमाम रंगों की रंगोली सी। तुम..जैसे..ओले और बर्फ़बारी…
सोचा ना था कभी सोचा ना था कभी,देस से दूर कहीं बस जाना होगा, करोड़ों की आबादी में भीखुल कर सांस लेने वाले,हमको मुठ्ठी भर लोगों मेंघुटन महसूस करना होगा।…
चाँद को ताकूँ मैं चाँद को ताकूँ मैंसारी सारी रातऔर सोचूँ अक्सरबस एक ही बात।। बाबजूद दाग़ के भीवो क्यों लगेइतना ख़ास हमको,बाबजूद दाग़ के भीखूबसूरती क्यों लगेबेदाग हमको। चाँद…
अभिलाषा भिन्न हो चाहे रहन-सहन या फिर हमारी वेश-भूषा,खान-पान में हो भिन्नता या अलग हो हमारी भाषा,हों किसी भी गांव-शहर से.. किसी भी धर्म-जाति के हम,मिलजुल कर सब साथ रहें,…
अंतरा राकेश तल्लम बनारस की पैदाइश हूं और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में स्नातक और मनोचिकित्सा व प्रबंधन अध्ययन संस्थान मुंबई से परास्नातक मनोचिकित्सा और परामर्श में किया, उसी…
एक नाटक के पीछे का नाटक -आस्था देव दिन के इस समय जब न सुबह है, न शाम , न दोपहर! घड़ी ने 10:30 बजाये हैं। बावजूद इसके कि मैं…
कल करै सो आज कर -आस्था देव अक्सर कुछ दमदार लिखने के लिए, प्रेरणा तलाशनी पड़ती है पर आजकल जिंदगी की रेलमपेल में प्रेरणा का ऐसा अकाल पड़ा रहता है,…
आस्था देव बिहार के बेतिया में जन्मी आस्था देव, पिछले 5 सालों से लंदन में हिंदी लेखन में सक्रिय हैं। वातायन संस्था में मुख्य सचिव के तौर पर कई साहित्यिक…
1. राम-सरल हृदय स्वयं से जब पहचान करेंगेसबको अपने राम मिलेंगे सरल हृदय है पहली नीतिवरना ना भगवान मिलेंगे तनिक कृपा मिल जाय अगरहे राम तेरा वरदान कहेंगे माया मोह…
ब्रिटेन का पतझड़ मानो धरती हरी नहींसोने की लगती एक परातपत्ते मटक-मटक बिखरेजैसे जाते कोई बरात उड़ते पत्ते, झड़ते पत्तेगिरते पत्ते, पड़ते पत्तेकहीं हवा में तैर रहेकहीं फ़िज़ा में सैर…
पानी की बूँद मैं पानी की बूँद चली क्यूँ दूर मेघ से पार।क्या होगा, ये क्या जाने, कैसा होगा संसार। सोच रही है बूँद ये कब सेक्या मेरा कल होगाक्या…
क्या हारा क्या जीत गया समय बहुत सा बीत गयाबहुत समय था रीत गया।अनुभव आपहि बोलेगाक्या हारा क्या जीत गया।। जीवन किसी नाव की भाँतिहिचकोले से हमें हिलातीसमय आप पतवार…