Category: विधा

भावना – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल भावना भावना एक जस्बात् है।भावना एक एहसास है।भावना दिल की कशिश है। भावना एक पूरी दूनिया है।भावना एक महासागर है।भावना सकारात्मकता एवं नकारात्मकता का मेल है।भावना का जागरण…

आत्म-सम्मान – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल आत्म-सम्मान आत्म-सम्मान आपका जीवन का मूल्यवान निधि हैहमेशा इसकी रक्षा करना आपकी ज़िम्मेदारी हैआत्म-सम्मान न बाज़ार में बेचा जाता हैऔर न मंडी में प्राप्त होता हैआप स्वयं आत्म-सम्मान…

मातृभूमि – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल मातृभूमि मातृभूमि! मातृभूमि!मेरी प्यारी मातृभूमि! मानव प्रेमी बनोकर्म प्रेमी बनोस्वाभिमानी बनोबुद्धिमानी बनो! अशक्त नहीं सशक्त बनोपरतंत्र नहीं स्वतंत्र बनोप्यार बाँटोप्रेम करो! मातृभूमि का सम्मान करोकानून का रक्षक बनोकानून…

इश्क – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल ***** इश्क इश्क को प्यार, मुहब्बत भी कहते हैंइश्क एक एहसास हैएक भावना हैहमारा जीवन का आधार हैइश्क ही हमारा जीवन का केन्द्र-बिन्दु है। इश्क आप कलम से…

मजबूरी का सौदा – (व्यंग्य कथा)

मजबूरी का सौदा डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ गौरीपुरा गाँव के ठीक बीचों-बीच, बरगद के पेड़ के नीचे, गिरधारी की छोटी-सी दुकान थी। दुकान क्या थी, एक फटी-पुरानी चारपाई, जिस…

याद – (कहानी)

याद जयशंकर इस क्रिसमस को मैं पैंसठ बरस का हो गया। चौंसठ का हो रहा था और ब्लड प्रेशर रहने लगा। रोज सुबह एक टेबलेट लेने की शुरुआत हो गयी।…

पूर्व-राग : एक पाठक की नोटबुक में कस्बों, किताबों और सिनेमा की दुनिया – (पुस्तक समीक्षा)

पूर्व-राग : एक पाठक की नोटबुक राकेश कुमार मिश्र हिंदी के वरिष्ठ कथाकार-गद्यकार जयशंकर जी की नई किताब पूर्व-राग : एक पाठक की नोटबुक (2025) को पढ़ते हुए लगा कि…

अनुपम मिश्र की उपस्थिति – (संस्मरण)

वरिष्ठ लेखक जयशंकर ने प्रसिद्ध पर्यावरणविद, लेखक अनुपम मिश्र जी को, उनके कामों को याद करते हुए यह आत्मीय गद्य लिखा है।

“हॉब्सन-जॉब्सन, आधुनिक ऑक्सफोर्ड अंग्रेज़ी कोश और  हिंदी” – (आलेख)

हॉब्सन-जॉब्सन और आधुनिक ऑक्सफोर्ड अंग्रेज़ी कोश: हिंदी के बहाने अंतरराष्ट्रीय अंग्रेज़ी का विस्तार ~ विजय नगरकर, अहिल्यानगर, महाराष्ट्र 📜 भूमिका भाषा केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और…

हिंदी के मानकीकरण और दस्तावेज़ीकरण का इतिहास – (आलेख)

हिंदी के मानकीकरण और दस्तावेज़ीकरण का इतिहास ~ विजय नगरकर, अहिल्यानगर, महाराष्ट्र हिंदी के मानकीकरण और दस्तावेज़ीकरण का इतिहास एक लंबी प्रक्रिया है जो सदियों से चली आ रही है।…

आधुनिक गिरमिटिया – (लघुकथा)

आधुनिक गिरमिटिया डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे, नीदरलैंड कल कारला को एक सामाजिक कार्यक्रम का हिस्सा बनने का अवसर मिला। क्योंकि कार्यक्रम भारतीय था इसलिए कारला ने भारतीय परिधान पहना…

फ़्लू – (लघु कथा – अनुवाद)

फ़्लू डॉ. शैलजा सक्सेना आज विभाग के मुख्यसचिव दौरा करने आ रहे थे। पिछले बार जब मुख्यसचिव आए थे तब नीता असिस्टेंट सैक्शन ऑफिसर बनी ही थी। उस को यह…

रिमझिम बरसात भरी – (कविता)

डॉ॰ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’ *** रिमझिम बरसात भरी (उड़ियाना छंद) रिमझिम बरसात भरी, सावन सुहावनी।शिव जी का ध्यान धरें, ऋतु है सुपावनी॥नद नाले तृप्त हुए, हरियाली छायी।कोयल की कुहू-कुहू, मन…

बाल-उपन्यास ‘बिन्नी बुआ का बिल्ला’ – (पुस्तक समीक्षा)

बाल-उपन्यास ‘बिन्नी बुआ का बिल्ला‘ शन्नो अग्रवालshannoaggarwal1@hotmail.com दिव्या माथुर का बाल-उपन्यास ‘बिन्नी बुआ’ का बिल्ला’ एक ऐसे आदर्श परिवार का ढांचा दिखाता है जिसकी परिकल्पना शायद हर बच्चे का सपना…

चाँद – (कविता)

अनीता वर्मा *** चाँद नभ पर देखे चंदा इंसीदेख-देख हँसी है छलकीनानी कहती चंदा है मामामम्मी कहती वो तो है नानीचाँदनी जैसे बाल हैं उसकेमुझे लगे ये कोई कहानीटी.वी.तो कुछ…

नन्ही बूँदे – (कविता)

अनीता वर्मा *** नन्ही बूँदे नन्हीं बूँदें टप-टप बरसेंधरती का मन देखो हरषेपेड़ों ने तो गीत सुनायानन्हा पौधा भी मुस्कायाहरी घास भी लहराती हैजानें क्या क्या गाती हैकोयल ने भी…

जल बचाओ – (कविता)

अनीता वर्मा *** जल बचाओ रिमझिम बूँदें बरस रहीं हैंधरती कितनी चमक रही हैहरा-भरा परिधान पहनकरदेखो कैसी महक रही हैपेड़ों पर कोयल कूक रही हैना जाने क्या पूछ रही हैपत्ते…

पक्का वादा – (बाल कविता)

अनीता वर्मा *** पक्का वादा पक्का वादाहम करते हैं पक्का वादानहीं खायेंगे मीठा ज़्यादाफल सब्ज़ियाँ ताक़त वालीलाती हैं चेहरे पर लालीदादू मुझको आम खिलातेपापा मीठे फल हैं लातेमुझको मेरी मम्मी…

सॉन्ग ऑफ पैराडाइज़ 2025 – भारतीय जीवनी संगीतमय ड्रामा फिल्म – (फिल्म समीक्षा)

अनीता वर्मा पद्म श्री पुरस्कार और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित राज बेगम, जिन्हें कश्मीर की मेलोडी क्वीन के नाम से जाना जाता है, के जीवन पर रूह का…

उत्तरी भारत के नगरों में भाषा समस्या पर कुछ टिप्पणियाँ – (आलेख)

उत्तरी भारत के नगरों में भाषा समस्या पर कुछ टिप्पणियाँ तोमिओ मिज़ोकामि, प्रोफ़ेसर एमेरिट्स ओसाका यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज़

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