घास काटती हुई औरत – (कविता)
– नरेश शांडिल्य घास काटती हुई औरत बाग़ मेंघास काट रही है एक औरत पर वैसे नहीं –जैसे गोवा के टापूकाट रहे हैं छुट्टियाँ पर वैसे नहीं –जैसे संसद के…
हिंदी का वैश्विक मंच
– नरेश शांडिल्य घास काटती हुई औरत बाग़ मेंघास काट रही है एक औरत पर वैसे नहीं –जैसे गोवा के टापूकाट रहे हैं छुट्टियाँ पर वैसे नहीं –जैसे संसद के…
सर्कस के क्लाउन की डायरी का पन्ना विजय विक्रान्त, कनाडा जैमिनी ब्रदर्स सर्कस में क्लाउन की नौकरी करते हुये मुझे बीस साल से ऊपर हो गये थे। अपनी उछल कूद…
एक डॉक्टर की डायरी का पन्ना विजय विक्रान्त, कनाडा पिछली रात पार्टी से वापस आते आते बहुत देर हो गई थी। नींद पूरी न होने के कारण अभी बिस्तर पर…
यमराज की डायरी का पन्ना – विजय विक्रान्त, कनाडा यमराज के पद पर अपनी नौकरी लगने के कुछ दिन बाद ही जब मैं ने अपने काम और ज़िम्मेवारियों के बारे…
विल यू मैरी मी प्रो. सारिका कालरा भारती ने अपने व्हाट्एप्प मैसेज चेक किए तो आज फिर मीनल का कोई मैसेज नहीं था। ‘पहले तो रोज सुबह-सुबह ही ‘मम्मा गुड…
सिंगल मदर से सुपरमदर -अर्चना पैन्यूली “हर एक कथाकार की हर रचना की कोई प्रेरणा होती है। इस पुस्तक के लिए प्रेरणादायक कौन है?” टीना ने मुझसे पूछा तो मैं…
कबूतरी, थारो कबूतर गूटर-गूटर-गू बोल्यो रे… (कितनी माँएं हैं मेरी) –अर्चना पैन्यूली गूटर गू… गूटर–गू…। वह उसे छेड़ रहा है…। इन दिनों उसकी गर्दन, सिर और छाती पर आकर्षक पंख…
तुम्हारे बगैर मृत्यु ईश्वर! – डॉ0 वरुण कुमार माँ नहीं रहीं। दो महीनों तक मृत्यु से संघर्ष करने के बाद वे विदा हो गईं। दिमाग की नस फटने से वे…
शिव के त्रिशूल पर बसी दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी। शिव की वह नगरी जिसे माता पार्वती के लिए शिव ने बसाया। वह नगरी जिसके बारे में शास्त्रों में…
क्या लिखूँ आप पर… (हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार डॉ. कमल किशोर गोयनका पर आधारित अर्चना पैन्यूली का संस्मरण) अर्चना पैन्यूली डॉ. कमल किशोर गोयनका के कृतित्व के संबंध में कुछ…
डॉ शिप्रा शिल्पी आज के आपाधापी युग में मन खोखले हो रहे हैं उन्हें प्रेम से भरिए, नफरतें अजाब है, जहर भी बचा कर रखे अपने सोने से मन को…
हिंदी तेरा क्या होगा डॉ. अशोक बत्रा, गुरुग्राम अँधेरा इतना सघन है कि एक जुगनू भी नहीं टिमटिमा रहा। जिस सोसाइटी में रहता हूँ, वहाँ हिंदी में कोई छींकता भी…
सोशल मीडिया में दक्षता एवं प्रबंधन कौशल विकास मनोज कुमार श्रीवास्तव वैसे सोशल मीडिया की डाउनसाइड ही ज्यादा बताई जाती हैं। माएँ अपने बच्चों को डाँटती हैं। पत्नियाँ पति को…
‘अंतरराष्ट्रीय हिन्दी संगठन नीदरलैंड’ के मासिक साहित्य कार्यक्रम ‘लेखक की कहानी लेखक की ज़ुबानी’- जिसमें लेखकों से साक्षात्कार करने व उनकी रचनाएँ व कहानी उनकी ही ज़ुबानी सुनने को मिलती…
–डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन यक्ष प्रश्न चढ़ गया एक और प्यासाआत्महन्तासीढ़ियां रचकर शवों कीललकतापीने सुनहरास्वर्ग का मृगजल।अभी मुंह रक्त पी खारा हुआ थाहाथ हत्या से रंगेबदले हुए थे बोटियों मेंऔर…
– डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन नीराजना दीप बुझता-सा लिएमैं खोजता हूंचिर मुंदा अनजान ओझल द्वारजिसके पारस्रोत आपन्न अपरंपारबस ज्योतिष्मती निर्द्वन्द्व धारा बह रही हैकाल-द्रुम के स्वर्णपल्लवएक बंदनवार में आविद्धमस्तक पर…
डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन शोर के गढ़ शोर के गढ़ बन गए सब ओरजिनमें शब्द अर्थों से छुड़ाकरकैद कर रखे उन्होंनेपास जिनके आदमी अपनेबने नक्कारखाने।लेखनी का शील करके भंगवे फहरा…
डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन अधर का पुल अधर में रखा है एक पुलन इधर कोई किनारा है उसकान उधर।दिशाओं से ऊपरआर या पार ले जाने की प्रतिबद्धता से मुक्तशून्य को…
डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन खंडित मुकुर मैं पड़ा खंडित मुकुर-साआपकी नजरों से गिरकरधूल मेंअब रूप कितने देखताप्रतिबिम्ब कितने दे रहा हूं।आप चतुरानन दशानन या शताननरूप जितने भी बनातेमैं उन्हें शत-शतमुखीगंदले…
डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन एक और आत्मसमर्पण खोलकर डोरी धनुष कीऔर निज तूणीरतीखी वेदनाओं से भरामैं डालता हूंआज फिर हथियार मन के स्वर्णलता के बिछाए जाल सेअब तीर अपने आप…