Category: यूरोप

यूरोप

मैं ब्रह्मा हूँ – (कविता)

मैं ब्रह्मा हूँ मैं ब्रह्मा हूँये सारा ब्रह्मांडमेरी ही कोख से जन्मा हैपाला है इसे मैंनेढेर सा प्यार-दुलार देकरऔर ये मेरे ही जाएमेरी ही गोद काबँटवारा करने पर तुले हैंचिंदी…

कुम्भ स्नान – (कविता)

कुम्भ स्नान मैं नहीं जानतीक्यों आई हूँ मैं प्रयागराजफ़ाफ़ामऊ स्टेशन देखना बदा था भाग्य में या महामंडलेश्वर के आगे नतमस्तक हुजूमऔर किन्नरों के दांत काटे सिक्कों कोमाथे पर ग्रहण करनेया…

महाकुंभ 2025 : आस्था को सहेजने के लिए मुझे सौ आंखें और चाहिए – (आलेख)

महाकुंभ 2025 : आस्था को सहेजने के लिए मुझे सौ आंखें और चाहिए – रामा तक्षक मेरा बहुत समय से भारतीय ज्ञान परम्परा और महाकुंभ के बारे में लिखने का…

मुसाफ़िर – (कविता)

मुसाफ़िर हर शख़्स मुसाफ़िर है,मुसाफ़िर से गिला कैसाकुछ दूर चला संग वो,फिर उससे गिला कैसा हर शख़्स का किरदार अलग,ख़्वाब अलग, मंज़िल अलगवो राह चला अपनी,राही से गिला कैसा रेशम…

हूक – (कविता)

हूक लो कारी बदरिया आई घिरइक हूक उठी हो माई फिरकदम्ब पे कोयल आ बैठीअब देगी कूक सुनाई फिर आँगन में एक साये सालो दिखा वही हरजाई फिरतन मन सिकोड़…

झगड़ा – (कविता)

झगड़ा दिल कहता है पूछ लो जाकरक्या वो मुझसे हैं नाराज़कहती है फिर रूह उबल करआ जाओ तुम अब भी बाज़जाओ मिल आओ दिल बोलाजीने का ये ही अंदाज़काटो दिन…

मायाजाल – (संस्मरण)

मायाजाल – दिव्या माथुर सुबह के 6 भी नहीं बजे थे कि हम घर से निकल पड़े। बेटे ने कार की सीट को गर्म कर दिया था पर फिर भी…

प्राचीनतम-आधुनिकतम : इटली – (यात्रा संस्मरण)

प्राचीनतम-आधुनिकतम : इटली – दिव्या माथुर लंदन की यांत्रिकता के चक्रव्यूह से निकल, फुर्सत के कुछ दिन एक ऐसी जगह बिताने का मन था इस बार, जहां प्राचीन तोरण-द्वार-इमारतें हों,…

त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम – (व्यंग्य)

त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम – दिव्या माथुर जौर्ज बर्नार्ड शा के मुताबिक पुरुष को चाहिए कि जब तक टाल सके टाले और स्त्री को चाहिए कि जितनी जल्दी हो सके…

नई नवेली विधवा – (व्यंग्य)

नई नवेली विधवा – दिव्या माथुर अन्त्येष्टी-निदेशक की चौकसी में कारों का जुलूस चींटी-चाल से आगे बढ़ा। हैनरी विलियम्स का सजा धजा शव काली रौल्स-रॉयस में रखा था। ताबूत पर…

व्हाट्सअप – लुत्फ़, कोफ़्त और किल्लत – (व्यंग्य)

व्हाट्सअप – लुत्फ़, कोफ़्त और किल्लत – दिव्या माथुर एक ज़माना था कि जब हम व्हाट्सऐप को प्रभु का वरदान मान बैठे थे, फिर जो वरदानों की बौछार शुरू हुई…

वैलेन्टाइन्स-डे या मुसीबत – (व्यंग्य)

वैलेन्टाइन्स-डे या मुसीबत – दिव्या माथुर शादीशुदा हो या कुँवारे, वैलेन्टाइंस-डे पुरुषों के लिए खासतौर पर एक अच्छी खासी मुसीबत है। बीवियों और गर्ल-फ़्रेंड्स की फ़रमाइशें हफ़्तों पहले शुरू हो…

अनुवाद की अंतरगाथा – (लेख)

अनुवाद की अंतरगाथा – दिव्या माथुर दक्षिण एशिया का जीवंत बहुभाषावाद हमारी साहित्यिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो स्थानीय और प्रवासी संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करता है। हमें…

ब्रह्मांड के पैटर्न की पच्चीकारी हम – (कविता)

ब्रह्मांड के पैटर्न की पच्चीकारी हम हम ब्रह्मांड के पैटर्न की पच्चीकारी की तरह हैंसमझ में नहीं आता जिसका अर्थ!नीले आकाश की मेहराब के नीचे हम छल्ले छोड़ते हैं,जो हमसे…

पृथ्वी के मुख पर केवल धूल हैं हम – (कविता)

पृथ्वी के मुख पर केवल धूल हैं हम पृथ्वी के मुख पर केवल धूल हैं हमएक निस्संकोच नृत्य में हिमकण-फीता हैं जैसे..हम हैं मानों पिघले बादल जो माँ के गर्भ…

खुद का सहारा – (कविता)

खुद का सहारा खुद से सहारा बनने का वादा करो.अपना जीव तिरस्कार से नहीं पर समर्थन से भर लो,अपने लिए मित्र, पिता और सलाहकार बनो,बाहर से किसी की तलाश करने…

पेड़ों को – (कविता)

पेड़ों को कुछ अकेले ही उगते हैं,और कुछ, अपनी शाखाएँ जोड़कर,एक परिवार बनाते हैंएक पतली बेल बच्ची पैदा करके. जोड़ा बनाके एक दूसरे के तने बांहों में लेते हैंऔर आपस…

और भीड़ में भी मुझे तुम्हारी थकान महसूस हो रही है… – (कहानी)

और भीड़ में भी मुझे तुम्हारी थकान महसूस हो रही है… और भीड़ में भी मुझे तुम्हारी थकान महसूस हो रही है…सिर झुककर, तुम देर रात को मेट्रो से बाहर…

जीवन मेरा पैचवर्क कम्बल – (कविता)

जीवन मेरा पैचवर्क कम्बल मैं एक पैचवर्क कम्बल सिल दूँमेरे जीवन के प्रसंगों से।यहाँ गहरा नीला है, यहाँ चमकीला बैंगनी है, और भूरा, लाल और सभी हरा है!हर टुकड़ा मुझे…

नई नवेली विधवा – (लघु कथा)

नई नवेली विधवा – दिव्या माथुर हैनरी विलियम्स का शव काली रौल्स-रॉयस में रखा था; ताबूत पर चम्पा के फूलों से लिखा था ‘माई-डार्लिंग-हब्बी’ और लिलीज़ से गुंधी हुई अन्य…

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